एक समय ऐसा आ गया था जब राजस्थान के रेगिस्तान में जलसंकट खड़ा हो गया था.
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Jaipur: आधा मानसून बीतने के बाद भी राजस्थान (Rajasthan News) में 60 फीसदी बांध खाली थे. अधिकतर जिलों में जलसंकट (Water crisis) की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन जाते जाते मानसून (Monsoon) ऐसा मेहरबान हुआ कि अब अधिकतर बांध लबालब हो चुके है. आखिर मरूधरा के बांधों (Dams) पर मानसून मेहरबान हुआ है.
राजस्थान के रेगिस्तान में अब नहीं है जलसंकट
एक समय ऐसा आ गया था जब राजस्थान के रेगिस्तान में जलसंकट खड़ा हो गया था. मरूभूमि के अधिकतर जिले पानी के लाचार थे. मानसून की विदाई भी होने वाली थी, पाली (Pali) में तो वॉटर ट्रेन चलाने की तैयारी थी. लेकिन अचानक से रेगिस्तान पर मानसून मेहरबान हुआ और बांधों में लगातार पानी की आवक होने लगी. 23 सितंबर तक जिन बांधों में पानी नहीं था, अब वे बांध लबालब हो चुके थे. 15 जून को मानसून की शुरुआत हुई तब प्रदेश के बांधों में 34 फीसदी पानी था. सितंबर तक इन बांधों में केवल 40 फीसदी पानी की आवक दर्ज की गई. सिर्फ 17 दिनों में बांधों का जल स्तर 70 फीसदी के पार पहुंच गया है.
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सिर्फ 236 बांध खाली
जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के सभी 727 बांधों में से 187 बांध 100 फीसदी भरे हुए है. जबकि 282 बांध आंशिक भरे हुए है. इनमें से सिर्फ 236 बांध ही खाली है. इसके अलावा कोटा (Kota) के 87 बांधों में 88 फीसदी पानी की आवक दर्ज की गई है. जबकि उदयपुर (Udaipur) के 256 बांधों में 81 प्रतिशत, जोधपुर के 123 बांधों में 40 फीसदी, जयपुर के 261 बांधों में 39 प्रतिशत पानी की मात्रा दर्ज की गई.
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इन बांधों में है सबसे ज्यादा पानी
चितौडगढ़ के राणा प्रताप सागर बांध (Rana Pratap Sagar Dam) में 98 फीसदी, कोटा बैराज में 97 प्रतिशत, बांसवाडा का माही बजाज 99 प्रतिशत, प्रतापगढ के जाखड बांध में 88 प्रतिशत पानी की आवक हुई है. मानसून अभी कुछ दिन और सक्रिय रहेगा, ऐसे में उम्मीद है कि बांधों पर मानसून की मेहरबानी और होगी.