नगर निगम हैरिटेज: ये क्या दफ्तर खुलने के बाद भी अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर, निरीक्षण टीम रह गई दंग
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1514622

नगर निगम हैरिटेज: ये क्या दफ्तर खुलने के बाद भी अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर, निरीक्षण टीम रह गई दंग

नगर निगम हैरिटेज में उस वक्त हड़कंप मच गया जब प्रशासनिक सुधार विभाग की टीम निरीक्षण करने कार्यालय पहुंची. 489 कर्मचारी-अधिकारियों वाले हैरिटेज में सिर्फ 129 अफसर और कर्मचारी अपनी सीट पर दिखे. बाकी 360 गैर नदारद मिले. सप्ताह में दो दिन वीक ऑफ होने के बाद भी अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमर्जी जारी है. 

नगर निगम हैरिटेज: ये क्या दफ्तर खुलने के बाद भी अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर, निरीक्षण टीम रह गई दंग

जयपुर: फाइव डे वर्किंग डे वर्किंग होने के बावजूद सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों-कार्मिकों की मनमानी जारी हैं. सरकारी दफ्तरों में नियत समय पर उपस्थिति को लेकर अधिकारी-कर्मचारियों को ढर्रा अभी तक बिगड़ा है. सरकारी कार्यालयों का खुलने का समय सुबह 9:30 बजे है, लेकिन अधिकारी-कर्मचारी निर्धारित समय के बाद तक भी कार्यालय नहीं पहुंचते. इसका खुलासा प्रशासनिक सुधार विभाग की सात सदस्यीय विजिलेंस टीम के औचक निरीक्षण के दौरान हुआ. राजपत्रित अधिकारियों (गजेटेड ऑफिसर) रैंक के अफसरों की कुर्सियां तो 100 फीसदी खाली मिली और नॉन गजेटेड कार्मिकों की उपस्थिति 15 फीसदी मिली. हैरानी तो तब और हुई जब उनके चैम्बर में लाइट, हीटर ऑन मिले , लेकिन अधिकारी-कार्मिक ड्यूटी से ऑफ दिखे.

जनता से सीधे जुड़े सरकारी कार्यालयों में अफसर-कर्मचारियों की मनमानी का सच सामने आया तो अफसर दंग रह गए.  बॉयोमेट्रिक से डाटा निकलवाया गया तो उसमें कई अधिकारियों कर्मचारियों के पंच इन और आउट तो मिले ही नहीं. नगर निगम हैरिटेज मुख्यालय में अलग-अलग विंग का आकस्मिक निरीक्षण किया तो 75 फीसदी से ज्यादा अफसर-कर्मचारी गैरहाजिर मिले. निर्धारित समय के बाद भी कार्यालय नहीं पहुंचे.यह हालात देख विजिलेंस टीम भी हैरान रह गई. प्रशासनिक सुधार विभाग के डिप्टी सेक्रेट्री कल्ला राम मीणा के नेतृत्व में टीम नगर निगम हैरिटेज मुख्यालय सुबह 9:30 बजे पहुंची तो देखा पूरा ऑफिस खाली पड़ा नजर आया.

यह भी पढ़ें: दो 'पायलट' की नाव पर सवार है सरकार, राजस्थान की छवि को कट्टरता में बदला गया - सुधांशु त्रिवेदी

प्रिंसीपल सेक्रेट्री को भेजी जाएगी रिपोर्ट

नगर निगम हैरिटेज के मुखिया (कमिश्नर) विश्राम मीणा का भी चैम्बर खाली मिला. खुद कमिश्नर करीब दोपहर 10:30 बजे मुख्यालय पहुंचे. अधीक्षण अभियंता (सिविल), विधानसभा प्रकोष्ठ, डिप्टी कमिश्नर विजिलेंस, एडिश्नल चीफ इंजीनीयर और डिप्टी कमिश्नर कार्मिक के चैम्बर खुले मिले, जहां लाइटें ऑन थी. इनमें से कुछ अधिकारियों के चैम्बर में हीटर भी पहले से ऑन मिले. वहीं असिस्टेंट टाउन प्लानर (एटीपी), विजीलेंस इंस्पेक्टर के चैम्बर पर तो ताला जड़ा मिला.औचक निरीक्षण करने वाली टीम को लीड करने वाले कल्ला राम मीणा ने बताया कि हमने सभी कर्मचारियों की 9:45 बजे तक की जब बायोमेट्रिक अटेंडेंस की रिपोर्ट निकलवाई तो उसमें 489 कर्मचारी-अधिकारियों में से 360 गैर हाजिर मिले. यानि की 489 में से 129 अधिकारी और कर्मचारियों की उपस्थित मिले. इसकी रिपोर्ट बनाकर प्रिंसीपल सेक्रेट्री प्रशासनिक सुधार को भेजी जाएगी.

कार्मिक विभाग के नियमों का नहीं हो रहा पालन

कार्यालयों में बकाया विधानसभा प्रश्न, संपर्क पोर्टल पर दर्ज परिवाद व शिकायतों के निस्तारण, आरटीआई के लंबित प्रकरणों की जानकारी निरीक्षण दल द्वारा ली जाएगी,  जिससे विभागों की गुणवत्ता का परीक्षण हो सके.आयुक्त विश्राम मीना ने कहा की प्रशासनिक सुधार विभाग की टीम की रिपोर्ट आने के बाद गैर हाजिरी रहने वाले कार्मिकों को नोटिस दिए जाएंगे.

यह भी पढ़ें: राजस्थान में ढाई साल बाद कांग्रेस में खुशी, 100 ब्लॉक अध्यक्षों की लिस्ट जारी, यहां देखिए नाम

प्रशासनिक सुधार विभाग के डिप्टी सेकेट्री कल्ला राम मीणा ने बताया की नगर निगम हैरिटेज के कार्मिक विभाग ने कर्मचारियों-अधिकारियों की उपस्थिति और उनके वर्किंग को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं उसके तहत सभी कर्मचारी-अधिकारी को सुबह 9:40 बजे तक अपनी उपस्थिति बायोमेट्रिक मशीन में दर्ज करवानी अनिवार्य है, जबकि कर्मचारियों के पहुंचने के लिए 9:30 बजे का समय निर्धारित है. इस दौरान कोई कर्मचारी 20 मिनट लेट होता है तो उसे उस सप्ताह के वर्किंग-डे के दिन 20 मिनट अतिरिक्त काम करके उसकी पूर्ति करनी होती है. नियमों के तहत अगर कोई कर्मचारी 10 बजे बाद आकर अपनी हाजिरी लगाता है या शाम को 5 बजे से पहले निकल जाता है तो उसकी उस दिन की हाफ-डे लगाई जाती है.

महापौर ने कराया निरीक्षण तो अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी मिले थे गायब

निगम में कर्मचारियों के लिए वर्किंग ऑवर्स सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक निर्धारित है. इसमें 30 मिनट का (दोपहर 1:30 से 2 बजे) तक का लंच अवधि शामिल है. दरअसल, कर्मचारियों को भी शायद इस बात का अहसास है कि जब साहब ही समय पर दफ्तर नहीं आते तो हमारा कोई क्या बिगाड़ेगा. कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सरकारी ड्यूटी को सिर्फ औपचारिकता समझते हैं. सुबह घंटाभर लेट आना और शाम को टाइम से पहले निकल जाने के सरकारी बाबू आदी हो गए हैं. पांच माह पहले नगर निगम हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने भी जब निरीक्षण किया तो सिर्फ 50 कार्मिक ही उपस्थित मिले थे. गुर्जर ने एंट्री गेट बंद करने के बाद जब बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी काउंट की गई तो उसमें देखा कि 400 में से केवल 50 कर्मचारियों की ही उपस्थिति थी. जबकि 350 कर्मचारियों की गैरउपस्थिति लगी हुई थी. सभी कर्मचारियों को मेयर ने कारण बताओ नोटिस जारी करने और आधे दिन का अवकाश लगाने के बाद भी निगम में हालात नहीं सुधरे हैं

फिल्ड में होने का देते हैं बहाना

बहरहाल, भले ही पारदर्शी जवाबदेही प्रशासन की बात की जाती हो, लेकिन सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों की लेटलतीफी और डेली अपडाउन की आदत के कारण सरकारी दफ्तरों की दशा खराब है. कई अधिकारी जब कार्यालय में नहीं होते हैं और उनसे मोबाइल पर बात की जाती है तो वे फील्ड में होने की बात कहते हैं, जबकि नियमानुसार फील्ड में जाने से पहले उनको कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कर मूवमेंट बुक में फील्ड में जाने संबंधी जानकारी का अंकन करना होता है

Trending news