आईपीडी टॉवर के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध हुआ तेज, कुलपति भी उतरे विरोध में
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आईपीडी टॉवर के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध हुआ तेज, कुलपति भी उतरे विरोध में

अस्पताल में बनने जा रहे आईपीडी टॉवर के लिए जगह कम पड़ने पर सरकार की ओर से महाराजा कॉलेज और गोखले हॉस्टल की जमीन अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है. 

आईपीडी टॉवर के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध हुआ तेज, कुलपति भी उतरे विरोध में

Jaipur: अस्पताल में बनने जा रहे आईपीडी टॉवर के लिए जगह कम पड़ने पर सरकार की ओर से महाराजा कॉलेज और गोखले हॉस्टल की जमीन अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है. सरकार द्वारा राजस्थान यूनिवर्सिटी को तीन बार पत्र लिखकर जमीन आवंटित करने की मांग की जा चुकी है. इसमें महाराजा कॉलेज की 10 हजार 750 वर्गमीटर जमीन आईपीडी टॉवर के विस्तार, रोड़ को बढ़ाने और अन्य कार्यों के लिए ली जाएगी. जमीन अधिग्रहण के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दो बार नामंजूरी देने के बाद भी जेडीए द्वारा जमीन आवंटन के लिए एक बार फिर प्रस्ताव भेजा है. 

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वहीं दूसरी ओर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल  महाराजा कॉलेज का दौरा कर प्लान तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दे रहे है. साथ ही दो दिन पहले कुल अधिकारियों के साथ पहुंचकर कॉलेज का दौरा किया था, लेकिन अब महाराजा कॉलेज, गोखले हॉस्टल के साथ ही राजस्थान यूनिवर्सिटी के तमाम विद्यार्थी, छात्र संगठन और यूनिवर्सिटी कुलपति के साथ ही शिक्षक भी विरोध में उतर चुके हैं. एसएमएस अस्पताल में 22 मंजिला आईपीडी टॉवर बनाया जा रहा है, लेकिन आईपीडी टॉवर के विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए जगह का आभाव है. वहीं महाराजा कॉलेज और एसएमएस अस्पताल के बीच जेएलएन मार्ग से टोंक रोड़ को जोड़ने वाली सड़क का भी विस्तार किया जाना प्रस्तावित है.

महाराजा कॉलेज की अधिग्रहित जमीन पर 132 केवी GSS का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए गोखले हॉस्टल की 10 हजार 750 वर्गमीटर जमीन अधिग्रहित करने की तैयारी की जा रही है. महाराजा कॉलेज की जो जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया JDA और यूडीएच मंत्री द्वारा की जा रही है. उसमें महाराजा कॉलज के  गोखले हॉस्टल की 6 मैस, गेस्ट हाउस, एलुमिनाई ऑफिस, कुक क्वार्टर, वार्डन आवास, 40 लेटबाथ टूट रहें है. वहीं जमीन जेडीए के पास जाने के बाद महाराजा कॉलेज में जगह का अभाव होगा. जमीन अधिग्रहण के विरोध में महाराजा कॉलेज, गोखले हॉस्टल के स्टूडेंट लगातार विरोध कर रहे है. 

वहीं अब पूर्व विद्यार्थी भी सोशल मीडिया के जरिए सेव एजुकेशन, सेव महाराजा कैम्पेन के जरिए विरोध जता रहें हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, शिक्षक, कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन कर कुलपति को ज्ञापन देकर जमीन अधिग्रहित नहीं करने की मांग की है. गोखले छात्रावास के छात्र प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर पहुंचकर प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध जताते हुए ज्ञापन दिया. शहर के विकास कार्यों के लिए जेडीए और अन्य संस्थाओं के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से अब तक सात बार जमीन दी जा चुकी है. 

जिसमें महारानी कॉलेज के पास सड़क चौड़ी करने के लिए 0.05 हैक्टयर भूमि, आवासन मण्डल द्वारा निर्मित जवाहर नगर के प्लॉटों की 3.65 हैक्टयर भूमि, जेएलएन मार्ग मुख्य सड़क गांधी सर्किल से पूर्व की ओर सड़क के लिए 1.62 हैक्टयर जमीन, इन्दिरा गांधी प्रतिमा की मुख्य चौराहे पर स्थापित मूर्ति के लिए 0.71 हैक्टयर जमीन, शान्ति पथ को चौड़ा करने के लिए 0.53 हैक्टयर जमीन, जेएलएन मार्ग तिलक मार्ग से जोड़ने के लिए 0.65 हैक्टयर जमीन, जेएलएन मार्ग को चौड़ा करने के लिए 0.87 हैक्टयर भूमि आवंटित की जा चुकी है.

राजस्थान विश्वविद्यालय को अब तक तीन बार भूमि अधिग्रहण करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है, लेकिन राविवि प्रशासन अब किसी भी कीमत पर जमीन देने के मूड में नजर नहीं आ रहा है. इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण के प्रस्ताव को यूनिवर्सिटी की सिंडीकेट की मीटिंग में भी नामंजूर कर दिया गया है. राविवि कुलपति प्रो राजीव जैन का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के विरोध में ना सिर्फ छात्र हैं साथ ही सभी शिक्षक और कर्मचारी भी इसके विरोध में है. 

महाराजा कॉलेज सबसे पुराने कॉलेज में से एक है. सिंडीकेट की मीटिंग में जेडीए के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी जमीन अधिग्रहण की अनुमति नहीं देगा इसलिए सरकार की ओर से करीब 10 हजार वर्गमीटर से ज्यादा जमीन अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है, जबकि हमें खुद अब विस्तार के लिए जमीन की आवश्यकता है, ऐसे में जमीन नहीं दी जाएगी.

दूसरी ओर प्रदेश के दो सबसे बड़े छात्र संगठन एनएसयूआई और एबीवीपी भी जमीन अधिग्रहण के विरोध में उतर चुके हैं. बीते दिन जहां दोनों ही संगठनों ने महाराजा कॉलेज के बाहर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया तो वहीं यूनिवर्सिटी में भी अनिश्चितकालीन धरने की शुरूआत कर दी है. एनएसयूआई और एबीवीपी छात्र पदाधिकारियों का कहना है कि आज तक शिक्षा के मंदिर की जमीन का अधिग्रहण सरकार की ओर से नहीं किया गया है. ऐसा देश में किसी भी हिस्से में नहीं सुना गया है. सरकार द्वारा जो जमीन अधिग्रहण की जा रही है, उसका पूरजोर तरीके से विरोध किया जा रहा है. अगर जल्द ही सरकार अपने आदेश को वापस नहीं लेती है, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

Reporter: Dilip Chouhan

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