ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 28 जनवरी (रविवार) का इवेंट जयपुर के बैंक ऑफ बड़ौदा लॉन में दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच होना था. लेकिन प्रसून जोशी अब इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है.
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नई दिल्लीः संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को हरी झंडी दिखाने के बाद से करणी सेना के निशाने पर आने वाले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के अध्यक्ष और प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लेने के लिए नहीं जाएंगे. जोशी को ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 28 जनवरी (रविवार) को शामिल होना था. इस दिन का इवेंट जयपुर के बैंक ऑफ बड़ौदा लॉन में दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच होना था. लेकिन प्रसून जोशी अब इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है. जोशी का कहना है कि वह नहीं चाहते हैं कि उनकी वजह से आयोजन में किसी भी तरह की असुविधा हो या उसकी मूल भावना को ठेस पहुंचे.
आपको बता दें कि 19 जनवरी को राजपूत करणी सेना के सुखदेव सिंह ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेश (CBFC) के प्रमुख प्रसून जोशी को लेकर भी धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि 'हम प्रसून जोशी को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे. हालंकि इस मामले में जब राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया प्रसून जोशी को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया था.
जेएलएफ के संयज रॉय ने बताया, "हम प्रसून जोशी के फैसले का सम्मान करते हैं. विरोध समस्या नहीं है लेकिन हिंसात्मक विरोध बहुत बड़ा मुद्दा है. इस जगह पर घृणा करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है. वह चाहते हैं कि इस विवाद का जेएलएफ पर कोई असर न पड़े."
फिल्म 'पद्मावत' को लेकर हुए विवाद पर जोशी ने कहा, "मैं अपना काम किया है और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास किया है. जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, सिनेमा के कैनवास के साथ-साथ समाज की चिंताओं पर गौर करते हुए प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया को उचित सुझावों के साथ पूरा किया गया. यह दुखद है कि हम शांतिपूर्ण संवाद पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. यह जरूरी है कि हम एक दूसरे का और देश के संस्थानों पर भरोसा करें जिससे मुद्दा इस स्तर तक न पहुंचे."
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लेकिन आज (27 जनवरी) प्रसून जोशी ने मीडिया के दिए अपने बयान में कहा है कि 'मैं इस बार JLF में भाग नहीं ले पा रहा हूं . साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ JLF में चर्चा और विचार विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दुःख मुझे रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों,आयोजकों और वहां आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए.'
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जोशी ने 'पद्मावत' से जुड़े विवाद पर कहा, ' रही बात फ़िल्म से जुड़े विवादों की, यहां मैं एक बार पुनः यह कहना चाहता हूं कि फ़िल्म 'पद्मावत' को नियमों के अंतर्गत सुझावों को जहां तक सम्भव हो सम्मिलित करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही प्रमाणित किया गया है. ये पूरी निष्ठा से एक संतुलित और संवेदनशील निर्णय का प्रयास है.'
प्रसून जोशी ने कहा कि 'अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा. विश्वास एक दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनायी प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी. विवादों की जगह विचार विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े.”
विशाल भारद्वाज बोले- फिल्मों को निशाना दुखद
जयपुल लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने के लिए पहुंचे विशाल भारद्वाज ने कहा, 'यह दुखद है कि भारतीय फिल्मों को निशाना बनाया जा रहा है. सबसे डरावनी बात यह है कि प्रदर्शनकारी कानून को अपने हाथ में लेते हुए ऐसा कर रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि राज्यों की सरकारें इतनी मजबूत हों कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाजवूद कानून का उल्लंघन कर रहे ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई कर सकें'.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और हरियाणा की सरकारों द्वारा लगाए गए बैन को हटाते हुए फिल्म पद्मावत का रास्ता साफ कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि कानून व्यवस्था देखना राज्यों का काम है और केवल इस आधार पर फिल्म की रिलीज को नहीं रोका जा सकता.
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भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को मंजूरी दिए जाने के बाद ऐसा कोई कारण नहीं बनता कि हिंसात्मक प्रदर्शन की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा, 'भले ही करोड़ों लोग सड़कों पर उतर आएं, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि इसमें (फिल्म पद्मावत) कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो फिर हम हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे सकते. हिंसक प्रदर्शन करने का किसी को भी अधिकार नहीं है. बच्चों से भरी स्कूल बसों पर पत्थरबाजी हो रही है. गांधी की धरती पर ये कैसा प्रदर्शन है?'
गौरतलब है कि राजस्थान की राजपूत करणी सेना इतिहास से छेड़छाड़ के नाम पर शूटिंग के दौरान से ही फिल्म पद्मावत का विरोध कर रहे हैं. वे आरोप लगा रहे हैं कि फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ किया गया है. इसके बाद पूरे देश में इस फिल्म का विरोध हुआ. विशाल भारद्वाज ने कहा, 'इससे पहले भी लोगों की भावनाएं आहत हो चुकी हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है. इन लोगों को संस्थाएं ही पत्थर फेंकने के लिए उकसा रही हैं.
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राजस्थान से शुरू हुआ विरोध देशभर में फैल गया है. बढ़े विरोध के बाद गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा ने इस फिल्म पर बैन लगाने तक का फैसला कर लिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद आखिरकार गुरुवार को यह फिल्म रिलीज हो चुकी है. वहीं मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और गोवा में इस फिल्म की स्क्रिनिंग नहीं की जाएगी. इस एसोसिएशन से देश की 75 प्रतिशत मल्टीप्लेक्स मालिक जुड़े हैं.