Rajasthan News: वाल्मीकि समाज की झाड़ू डाउन हड़ताल से सफाई व्यवस्था हुई डाउन
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Rajasthan News: वाल्मीकि समाज की झाड़ू डाउन हड़ताल से सफाई व्यवस्था हुई डाउन

Rajasthan News: जयपुर में नगर निगम के वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों की हड़ताल ने शहर की सूरत बिगाड़ कर रख दी है. कचरा संग्रहण के लिए हूपर नहीं पहुंचने से लोग घरों का कचरा अब खुली सडकों पर फेंकते हुए नजर आ रहे हैं. हड़ताल कर्मी आज सातवें दिन भी हड़ताल पर डटे रहे. 

 

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Rajasthan News: राजस्थान के जयपुर में नगर निगम के वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों की हड़ताल ने शहर की सूरत बिगाड़ कर रख दी है. शहर कचरों के ढेर पर है. शहर की गलियों से लेकर मुख्य सड़कों पर कचरा-कचरा नजर आ रहा है. सड़कें कचरे के अटने के कारण लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. कचरा संग्रहण के लिए हूपर नहीं पहुंचने से लोग घरों का कचरा अब खुली सडकों पर फेंकते हुए नजर आ रहे हैं. 

 

बारिश ने स्थिति और भी खराब कर दी है. हड़ताल कर्मी आज सातवें दिन भी हड़ताल पर डटे रहे. बात से बात नहीं बनी तो हड़ताल समाप्त होने की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही है. वाल्मिकी समाज की झाड़ू डाउन हड़ताल से शहर की सफाई व्यवस्था डाउन हो गई है. सात दिन से हड़ताल के कारण शहर में झाड़ू नहीं लगने से कचरे का दाग पिंकसिटी पर लग रहा है. शहर की खूबसूरती देखने आने वाले सैलानी पहले गंदगी देखने को मजबूर हैं. 

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शहर की गलियों से लेकर मुख्य सडकों, मंदिर जाने वाले रास्तों पर कचरे का ढेर और सीवरेज का पानी बहता हुआ नजर आ रहा है. पिंकसिटी में बड़ी संख्या में सैलानी इसकी खूबसूरती के साथ तस्वीर और सेल्फी लेते हैं, लेकिन अभी इसपर कचरे का दाग लगा हुआ है. चारदीवारी से एंट्री लेने वाले लगभग सभी नौ गेटों सहित कई जगह अभी ऐसे ही दृश्य नजर आ रहे हैं. 

 

सबसे बड़ा कारण संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई कर्मचारियों की भर्ती को लेकर पिछले 7 दिन से हड़ताल पर हैं. इनकी मांग है कि जो कर्मचारी निगम में पहले से मस्टरोल पर काम कर रहे हैं और सफाई का अनुभव है, उन्हें ही प्राथमिकता दी जाए. सात दिन से हड़ताल के कारण आमजन से लेकर जनप्रतिनिधि और अफसर परेशान हैं. समाधान कैसे हो इस पर मंथन हुआ लेकिन कामयाबी नहीं मिली. 

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यदि इसी तरह के हालात और हड़ताल रहीं तो दोनों नगर निगमों का इस बार भी स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ना तय है. क्योंकि स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम कभी भी शहर में सफाई व्यवस्था देखने आ सकती है. हेरिटेज निगम व ग्रेटर निगम के पास केंद्र की स्वच्छता सर्वेक्षण टीम का प्रोग्राम आ चुका है. इन हालातों में केंद्र से स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम को लेकर निगम प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते मुख्य सड़कों और कॉलोनियों के ​डिपो से निगम कचरा नहीं उठवा पा रहा है.

 

उधर हड़ताल पर चल रहे वाल्मिकी सफाईकर्मियों ने शहर में हाथों में झाड़ू और तख्तियां लेकर रैली निकाली. संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई कर्मचारी संघ अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया का कहना है कि 24 हजार 797 पदों पर होने जा रही भर्ती रद्द होनी चाहिए. क्योंकि इसमें त्रुटियां बहुत हैं. नए सिरे से भर्ती निकाली जाए और 2012 के नियमों के तहत भर्ती की जाए. 

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भर्ती में वाल्मीकि समाज को 100 फीसदी प्राथमिकता देने और पूर्व में कार्यरत अस्थाई सफाई कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की मांग है. जिससे कि उन्हें राहत मिल सके. सफाई कर्मचारी चाहते हैं कि भर्ती मस्टरोल के आधार पर हो. हालांकि सफाई कर्मियों की भर्ती का मामला विधानसभा में उठा है. 

 

हालांकि निगम का दावा है कि डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन में हूपर चल रहे हैं. हकीकत में ये हूपर भी सिर्फ होटल, ढाबे व रेस्टोरेंट का कचरा उठाने पर ध्यान दे रहे हैं. इसी के चलते जहां रोजाना 1800 से 1900 मीट्रिक टन कचरा उठाया जा रहा था. अब 900 मीट्रिक टन ही उठ रहा है यानी 1000 मीट्रिक टन कचरा सड़कों पर ही फेंका जा रहा है.

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बहरहाल शहर की स्वच्छता रैंकिंग दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. दो साल पहले वर्ष 2022 की स्वच्छता रैंकिंग में हेरिटेज नगर निगम को 26वीं और ग्रेटर निगम को 33वीं रैंक मिली थी. इसके बाद तो स्थिति और खराब होने लगी और 2023 की हेरिटेज की 171वीं और ग्रेटर की 173वीं रैंक रही. इसी तरह के हालात रहे तो रैंकिंग सुधरना मुश्किल है.

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