Jaipur News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर हो या नगर निगम हेरिटेज, दोनों ही निगमों में स्थिति बेहद खराब है, जिसे अब लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है..
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Jaipur: नगर निगम दो बने तो विकास की उम्मीदें भी जगी, लेकिन दो साल बाद उम्मीदें-विकास सब सीवरेज के पानी में बह रहा है. बता दें कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर हो या फिर नगर निगम हैरिटेज दोनों निगमों में हालात कुछ एक जैसे हैं. सीवरेज का बहता पानी और जगह-जगह कचरों का ढेर. आवारा पशु, बंदर, श्वान आपको राह चलते दिखाई दे जाएंगे. पर्यटकों को भी इन दिनों पिंकसिटी में सुंदरता की जगह ये सबकुछ दिखाई दे रहा है.
आपको बता दें कि जयपुर स्मार्टसिटी जहां पिंकसिटी में पर्यटक घूमते हैं और यहां की पर्यटन स्थलों को अपने कैमरें में कैद करते हैं उसी वॉल सिटी में अभी स्थितियां बहुत खराब हैं. सीवरेज के बहते हुए पानी से स्कूली बच्चों और उनके परिजनों का निकलना मजबूरी हो गई है. घर के बाहर अब सीवरेज का पानी जमा है. मेयर मुनेश गुर्जर का दावा है संसाधन बहुत है. वार्ड 66 में उपचुनाव होने के चलते थोडा व्यस्त हैं, लेकिन अब दोबारा से दौरे शुरू करेंगी. अफसरों की मीटिंग लेंगी, लेकिन सवाल ये है की जब संसाधन बहुत हैं तो सीवरेज जाम जैसी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो रहा ? क्यों पिंकसिटी की खूबसूरती पर दाग लगाया जा रहा है ?
साथ ही हालात इतने खराब हो गए हैं की निगम हेरिटेज में किशनपोल जोन के चौड़ा रास्ता संघीजी की गली में सीवर जाम होने से गंदा पानी घरों में भर गया. लोगों को घरों से निकलने के लिए गली में लोहे की रेलिंग लगानी पड़ गई. स्थानीय निवासी का कहना है कि गली में एक साल से सीवर लाइन जाम है. निगम में बार-बार शिकायत करने के बाद कर्मचारी आते हैं. जेटिंग से सीवर को खोलकर जाते हैं, दो दिन बाद फिर वहीं हालात हो जाता है. लोगों को गंदे पानी से गुजरना पड़ता है. चौड़ा रास्ते के नजदीक गली के 40 घरों में रहने वाले परिवारों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. निगम अधिकारियों ने भी सुनवाई करना बंद कर दिया. ऐसे में इन 40 परिवारों को घर तक पहुंचना ही मुश्किल हो रखा है. ऐसे में इन परिवारों ने गली में लोहे के पायदान बनाकर लगाए हैं. जिन पर चलकर घरों तक पहुंच रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार बेखबर हैं. क्षेत्र में रहने वाले लोग बोले कि वे नरक का जीवन जी रहे हैं. कोई देखने और सुनने वाला नहीं है. सब उनके दर्द को बांटने की बजाय आगे से आगे बढ़ा देते हैं. बात एक या दस दिन की हो तो समझ में आए, लेकिन महीने हो गए है. ये पीड़ा वॉल सिटी में रहने वाले लोगों की है.
अब हालत ये हो गई है की वहां के लोगों में गुस्सा है. बता दें कि वहां के इलाके की आबादी ज्यादा होने के कारण यहां बिछी सीवर पाइप लाइन लोड नहीं उठा पाती है और काफी समय से इन सीवरों की सफाई भी नहीं हुई हैं. इस कारण इलाके में आए दिन सीवर ओवरफ्लो हो जाता है. मेयर मुनेश गुर्जर का कहना हैं की हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है, इसको दोबारा से रिव्यू करेंगे अभी एक वार्ड में उपचुनाव होने के चलते दौरे नहीं कर पा रही हैं, लेकिन जल्द बैठक अधिकारियों की बैठक बुलाकर सफाई, सीवरेज की समस्या के निस्तारण के सख्त निर्देश दिए जाएंगे. चारदीवारी क्षेत्र में पुरानी सीवरेज लाइनें हैं. अब जल्द ही नई सीवरेज लाइनों डालने का काम शुरू होगा.
आपको बता दें कि नाहरगढ़ रोड पर पारीक कॉलेज के सामने रोड पर एक माह से सीवर लाइन जाम है. पानी नाली में बह रहा है. इस स्थान पर रोड का एक किनारा विधानसभा किशनपोल जोन और दूसरी तरफ विधानसभा हवामहल जोन में आता है. दोनों जोन की सीमा रेखा होने से दोनों जोन के अधिकारी एक-दूसरे पर टाल रहे हैं. बाबा हरिचंद्र मार्ग में 6 माह पहले सीसी रोड बना था. रोड के नीचे ही सीवर लाइन के चैंबर दबा दिए. सीवर लाइन जाम है, लेकिन चैंबर बंद होने से सफाई नहीं हो रही है. दूसरे चौराहे पर पानी निकलने के लिए नाली बनाकर लोहे का जाल लगाना था. ठेकेदार ने सीसी रोड तोड़कर नाली बना दी. अब पैदल चलना मुश्किल हो गया. पार्षद अरविंद मेठी का कहना हैं की सीवरेज सिस्टम के ओवरफ्लो की समस्या जस की तस है.
आलम यह है कि सीवरेज सिस्टम से पानी निकल कर सड़कों पर बह रहा है. नगर निगम शहर कागजों में स्मार्ट हो रहा है. जमीनी स्तर पर यदि हकीकत देखें को शहर में अव्यवस्था का आलम है. गलियों में सीवरेज का पानी है, लोगों के घरों में गंदा पानी आ रहा है, जो सड़कें विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए खोदी गई थी वह अभी तक नहीं बनी है. स्ट्रीट लाइटों को लगाते-लगाते साल गुजर गए, लेकिन शहर में अब भी अंधेरा कायम है. फिलहाल शहरी सरकार बेशक लाख दावे करे कि जयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. शहर को खुले में शौच और गंदगी से मुक्ति कराने के लिए ढेरों प्रबंध किए गए हैं, लेकिन धरातल पर जमीनी हकीकत यह है कि शहर करोड़ों-अरबों खर्च करने के बाद न तो अभी तक स्मार्ट बन पाया है और न ही शहर को गंदगी से मुक्ति मिल पाई है.
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