सूचना के अधिकार को लेकर आयुक्त ने लगाई अधिकारियों की क्लास, कही ये बात
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सूचना के अधिकार को लेकर आयुक्त ने लगाई अधिकारियों की क्लास, कही ये बात

सूचना आयुक्त बारेठ ने कहा ऐसी सूरत में आयोग मूकदर्शक नहीं रह सकता. यह विडंबना है कि पंचायत प्रतिनिधि प्रथम अपील की सुनवाई में बेरुखी का भाव रखते है. 

 सूचना आयुक्त नारायण बारेठ

Jaipur City: राज्य सूचना आयोग ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग को पंचायती राज संस्थाओं में लोगों से जुड़ी जरुरी सूचनाओं के मिलने की पुख्ता व्यवस्था करने और सूचना आवेदनों के समय पर  निस्तारण  करने के निर्देश दिए हैं. आयोग ने इसके लिए तीन माहीने का समय दिया है. आयोग ने यह आदेश उदयपुर के शांतिलाल मेहता के जिला परिषद के विरुद्ध दाखिल अपील की सुनवाई पर दिए है. मेहता ने इस बाबत शिकायत की थी कि उन्होंने परिषद से सूचना अधिकार कानून के तहत आवश्यक सूचनाओं के प्रकाशन और प्रकटीकरण की जानकारी मांगी थी, मगर परिषद ने उनकी सुनवाई नहीं की. इस मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने  सूचना विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि इस कानून को लागू करने के साथ ही यह अपेक्षा की गई थी कि विभाग और संस्थान अधिक से अधिक सूचनाओं का खुद ब खुद प्रकटीकरण करेंगे. लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाये गए है.

आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि यह उचित समय है जब पंचायती राज महकमे के प्रमुख शासन सचिव को निर्देश दिया जाये कि वे जरुरी सूचनाओं का इस तरह सार्वजनिक प्रकाशन करे कि वे आम लोगो को सहज उपलब्ध हो.आयोग ने विभाग से कहा है कि वो सूचना अधिकार कानून की धारा 4 में वर्णित प्रावधान के क्रियान्वयन की व्यवस्था करे.आयोग ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि लोक सूचना अधिकारी कानून की पालना को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे अनेक मामले सामने आये है जब आवेदक को न तो सूचना मुहैया करवाई गई न ही कोई जवाब दिया गया. आयोग में सुनवाई के दौरान भी ना तो समय पर जवाब दिया जाता है न ही कोई हाजिर होता है. 

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सूचना आयुक्त बारेठ ने कहा ऐसी सूरत में आयोग मूकदर्शक नहीं रह सकता. यह विडंबना है कि पंचायत प्रतिनिधि प्रथम अपील की सुनवाई में बेरुखी का भाव रखते है. जब कोई नागरिक किसी सूचना का मांग करे और वो किसी अभिलेख में बंद हो कर रह जाये तो लोगो के दिलो दिमाग में संदेह की दीवारे खड़ी होने लगती है और स्थानीय स्तर पर विवाद उतपन्न होने लगते है. यही वजह है कि समाज में अब जवाबदेही कानून के लिए आवाज उठने लगी है.

सूचना आयोग ने अपने आदेश में कई न्यायिक निर्णयों का हवाला दिया है और कहा है कि सूचना का अधिकार आम आदमी के हाथो एक ऐसा उपकरण है जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है. साथ ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद करता है. आयोग ने कहा है कि सूचना एक ऐसी प्राणवायु है जिसका निर्बाध प्रवाह लोकतंत्र को मजबूत और कारगर बनाता है. आयोग ने कहा सूचना कानून की पालना में कोताही एक नागरिक को सूचना हासिल करने के अधिकार से महरूम करना है.

सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त बारेठ ने कहा राज्य की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है. अगर प्रशासन की जवाबदेही है तो पंचायती राज प्रतिनिधियों का भी फर्ज है कि वे इस कानून के कामयाब क्रियान्वयन में अपनी भूमिका का निर्वाह करे. आयोग ने कहा कि दुनिया के उन हिस्सों में जहां सूचना का उपलब्धता सरल और सहज है ,जीवन बेहतर हुआ और समावेशी विकास को गति मिली है.

Reporter: Vishnu Sharma

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