Navratri Ashtami 2022: आज अष्टमी पर बना है सुकर्मा योग, ऐसे करें कन्या पूजन तो मनोकामना होगी पूरी
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1147060

Navratri Ashtami 2022: आज अष्टमी पर बना है सुकर्मा योग, ऐसे करें कन्या पूजन तो मनोकामना होगी पूरी

इस साल दुर्गाष्टमी पर सुकर्मा योग बन रहा है. जो आज सुबह 11:25 बजे से शुरू हो रहा है. इसके अलावा पूरे दिन पुनर्वसु नक्षत्र भी रहेगा.

Navratri Ashtami 2022: आज अष्टमी पर बना है सुकर्मा योग, ऐसे करें कन्या पूजन तो मनोकामना होगी पूरी

Navratri Ashtami 2022: चैत्र नवरात्रि की अष्‍टमी को दुर्गाष्टमी या महाष्टमी कहते हैं. इस दिन हिंदू धर्म के ज्‍यादातर अनुयायी व्रत रखते हैं. इस साल चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 08 अप्रैल, शुक्रवार को रात 11:05 मिनट पर शुरू होगी और 09 अप्रैल, शनिवार को देर रात 01:23 तक रहेगी. लिहाजा दुर्गाष्टमी व्रत 09 अप्रैल को रखा जाएगा. आमतौर पर जो लोग नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक व्रत नहीं रखते हैं. वे पहले दिन और दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखते हैं. इस दिन कन्‍या पूजन और हवन भी किया जाता है. इस साल दुर्गाष्‍टमी पर एक खास योग बन रहा है. जिससे यह दिन शुभ काम करने के लिए बेहद शुभ है.

दुर्गाष्टमी 2022 पर बन रहा सुकर्मा योग
इस साल दुर्गाष्टमी पर सुकर्मा योग बन रहा है. जो आज सुबह 11:25 बजे से शुरू हो रहा है. इसके अलावा पूरे दिन पुनर्वसु नक्षत्र भी रहेगा. ये योग शुभ काम करने के लिए बहुत शुभ माना गया है.

ये भी पढ़ें: Horoscope 9 april 2022 : अष्टमी पर मां दुर्गा, मकर और मीन पर बरसा रही कृपा, जानें अपनी राशि का हाल

महागौरी की होती है पूजा
दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा होती है. देवी महागौरी सुख, सफलता, धन, धान्य, संपत्ति और विजय की दाता हैं. उन्‍हें मां अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है. इसलिए कहा जाता है कि जिन लोगों पर उनकी कृपा हो जाए उनके जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती है. कन्‍याओं को मां दुर्गा का स्‍वरूप माना गया है. इसलिए दुर्गाष्‍टमी के दिन कन्‍याओं की पूजा करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्‍न होती हैं. कन्‍या पूजन के लिए छोटी बालिकाओं को खीर-पूरी, हलवे का सम्‍मानपूर्वक भोजन कराएं. उन्‍हें तिलक लगाकर भेंट दें और उनका आशीर्वाद लें.

नवरात्रि की अष्टमी-नवमी की सही तिथि और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हुई थी और 10 अप्रैल को इसकी समाप्ति होगी. नवरात्रि में अष्टमी-नवमी का खास महत्व होता है. अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री मां का पूजन किया जाता है. अष्टमी 9 अप्रैल को जबकि नवमी 10 अप्रैल को मनाई जाएगी. हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है.

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया की अष्टमी-नवमी का खास महत्व
चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना का विधान है. नवरात्रि में अष्टमी-नवमी का खास महत्व होता है. अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री मां का पूजन किया जाता है. अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है. कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्रि व्रत संपन्न माने जाते हैं. इसमें 2 से 11 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं.

अष्टमी-नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्टमी की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है. इसका समापन 9 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन किया जा सकता है. कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं. नवमी तिथि 10 अप्रैल की रात्रि 1बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है. जो 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. इसलिए इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Twitter बना अखाड़ा, केन्द्रीय मंत्री के एक के बाद एक सात Tweet, सीधे CM पर निशाना, ERCP मुद्दा राजनीतिक उफान पर

अष्टमी-नवमी की पूजा में रखें इन बातों का ध्यान
संधि काल का समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. संधि काल के समय 108 दीपक जलाए जाते हैं. अष्टमी के दिन संधि काल में ही दीपक जलाना शुभ माना जाता है. संधि काल का ध्यान रखें. हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए इन दोनों में से किसी एक दिन हवन जरूर करें. अगर आपने नवरात्रि के पूरे व्रत रखे है. तो आखिरी दिन किसी भी तरह की हड़बड़ी ना दिखाएं. कई लोग अष्टमी की रात 12 बजते ही व्रत पारण करना गलत माना जाता है. नवमी के दिन सुबह पूरे विधि-विधान के साथ ही व्रत खत्म करें. इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद पूरे विधि से हवन करें और कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही इसका समापन करें. अष्टमी के दिन तुलसी जी के पास नौ दिये जलाकर और उनकी परिक्रमा करने से घर-परिवार में सुख समृद्धि आती है.

कन्या पूजन विधि
शास्त्रों के मुताबिक कन्‍याओं को एक दिन पूर्व ही उनके घर जाकर निमंत्रण दें. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं. अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाएं. सभी के पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर अपने हाथों से उनके पैर स्‍वच्‍छ पानी से धोएं. कन्‍याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें.

Trending news