प्रशासन और गौशाला संचालकों की लापरवाही के चलते मृत गौवंशों को जमीन में दफनाने की बजाय जगह-जगह खुले में ही फेंका जा रहा है. मृत पशुओं को खुले में डालने से आमजन में भी अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा बना हुआ है.
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Jayal: उपखण्ड में लंपी स्किन बीमारी से लगातार मवेशियों की मौत हो रही है. इस वायरस से मरने वाले मवेशियों की संख्या अब बढ़कर 992 हो गई है. इसको लेकर तहसील के कई गावों में गौवंश की हालत बेहद चिंताजनक है.
जायल उपखण्ड में संचालित हो रही 72 गौशालाओं की हालत काफी निंदनीय है. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के चलते प्रतिदिन सैकड़ो गायों की मौत हो रही. उपखण्ड में बुधवार तक 60,426 गौवंश का सर्वे किया गया, जिसमें 9,218 पशु प्रभावित पाये गये और 992 गायों की मौत बताई गई.
मौत के आंकड़ों में हुई वृद्धि
मवेशियों में तेजी से फैलते वायरस ने अब तक कागजों में 992 मवेशियों की अकाल मौत का आंकड़ा दर्ज कर है, जबकि क्षेत्र में गौशालाओं से अलग-अलग जगह पर मृत पशुओं की संख्याओं को देखते हुए संख्या हजारों से पार हो गई है. उपखण्ड क्षेत्र में गौवंश को बचाने के पर्याप्त संसाधनों के अभाव के चलते मवेशियों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
प्रशासन ने अब तक गंभीर बीमारी को लेकर को कड़े कदम भी नही उठाये है. जिसके चलते मवेशियों के मौत के आंकड़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है. विधायक डॉ मेघवाल द्वारा लंपी स्कीन बीमारी हेतु 10 लाख रुपए की घोषणा भी ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रही है. उपखण्ड मुख्यालय पर बने प्रथम श्रेणी चिकित्सालय में भी संसाधनो और स्टाफ की कमी के चलते हालत चिंताजनक है.
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जगह जगह डाल रहे मृत पशु
मवेशियों में फैले लम्पी स्किन वायरस से प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में पशुओं की अकाल मौत हो रही. प्रशासन और गौशाला संचालकों की लापरवाही के चलते मृत पशुओं को जमीन में दफनाने की बजाय जगह-जगह खुले में ही फेंका जा रहा है. मृत गौवंशों को खुले में डालने से आमजन में भी अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा है. साथ ही खुले में मृत मवेशियों को डालने से आसपास रहने वाले लोगों का दुर्गंध की वजह से जीना दूभर हो गया है.
Reporter: Damodar Inaniya
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