पेयजल और सिंचाई के साथ पशु-पक्षियों के जीवन स्त्रोत कहलाने वाले जवाई बांध में पिछले 22 वर्षों में अधिकतर पानी का गेज जून और जुलाई में ही कम हुआ है, लेकिन इस बार तो मई महीने में ही पानी का गेज कम हो जाने से बांध में रहने वाले हजारों जलीय जीव जंतुओं के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है.
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Sumerpur: पेयजल और सिंचाई के साथ पशु-पक्षियों के जीवन स्त्रोत कहलाने वाले जवाई बांध में पिछले 22 वर्षों में अधिकतर पानी का गेज जून और जुलाई में ही कम हुआ है, लेकिन इस बार तो मई महीने में ही पानी का गेज कम हो जाने से बांध में रहने वाले हजारों जलीय जीव जंतुओं के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है. बांध के हवामहल परिसर की ओर तो पानी ही नहीं बचने से दूर-दूर तक भूतल दिख रहा है और पानी सूखने से मिट्टी में दबी मरी हुई मछलियां भी दिखाई दे रही हैं.
जानकारी के अनुसार, बांध में करीब 500 मगरमच्छ है और बड़ी संख्या में मछलियों समेत अन्य जलीय जीव जंतु रहते हैं, जिनका जल ही जीवन है, लेकिन बांध में प्रतिदिन पंप से पानी निकालने और तेज गर्मी-धूप से पानी कम होने से अगर जलीय जीवों के लिए बांध का पानी आवंटित नहीं किया गया, तो इनके जीवन पर संकट बढ़ सकता है. इसकी पुष्टि जवाई नहर खंड के बड़े अधिकारी भी कर रहे हैं.
जवाई में सिर्फ 6.35 फीट पानी
जवाई बांध में 18 मई को डेड स्टोरेज में सिर्फ 6.35 फीट पानी भरा हुआ है और इसमें 350.30 एमसीएफटी पानी है. बांध से पंप सेट से पानी को लिफ्ट कर पेयजल के लिए जलदाय विभाग को उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे प्रतिदिन 4.17 एमसीएफटी पानी कम हो रहा है. इस बार बांध में जलीय जीवों की संख्या अधिक होने और बारिश भी कम होने से उनकी सुरक्षा के लिए पानी को आरक्षित किए जाने की जरूरत है.
बांध का पानी आरक्षित रखने का उच्चाधिकारियों से आग्रह
जवाई बांध में करीब 400-500 मगरमच्छ है. बड़ी संख्या में मछलियों समेत जलीय जीव जंतु रहते हैं. यही नहीं, जंगली जानवर भी बांध के पानी पर ही निर्भर है. पिछले 22 वर्षों में बांध का गेज भी अधिकतर जून और जुलाई में ही कम रहा है, लेकिन इस बार तो मई में ही गेज कम हो गया है. ऐसे में 16 मई को विभागीय उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर जलीय जीव जंतुओं, जंगली जानवरों के लिए बांध का पानी आरक्षित करने का आग्रह किया है.
प्रतिदिन 4.17 एमसीएफटी पानी कम
जवाई बांध में इस समय प्रतिदिन 4.17 एमसीएफटी पानी कम हो रहा है, जो पेयजल के लिए सप्लाई हो रहा है. इसके अतिरिक्त भू-तल और तेज गर्मी-धूप की वजह से भी पानी कम हो रहा है. ऐसे में अगर मानसून देरी से आता है तो जून महीने में जलीय जीवों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध रहने की संभावना कम ही लगती है. अगर यह स्थिति उत्पन्न होती है तो बांध में रहने वाले जलीय जीव ही नहीं बल्कि आस-पास पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले जंगली जानवरों का जीवन में संकटमय बन सकता है.
डेड स्टोरेज पानी भी हुआ है कम
निर्माण के समय डेड स्टोरेज 494.50 मी.घ.फुट था. हर वर्ष नदी में पानी के साथ मिट्टी बहकर बांध में आने से अब डेड स्टोरेज में कमी आई है. जवाई बांध का गेज भी अधिकतर जून और जुलाई में ही कम होता है, जबकि इस बार तो मई में ही गेज कम हो गया है. बांध में करीब 500 मगरमच्छ है और बड़ी संख्या में मछलियों समेत अन्य सभी जलीय जीव जंतु और आस-पास गांवों के पालतु पशु, जंगली जानवर भी जवाई के पानी पर ही निर्भर है, इनके लिए बांध में पानी होना जरूरी है.
वर्तमान गेज पर हो पानी आरक्षित
अधिकारियों ने बताया कि जवाई बांध में इस समय पानी कम मात्रा में रहा है. दिन के समय औसत अधिकतम तापमान 45 सी, 46 सी के बीच रहता है. बांध के अंदर प्रतिदिन पानी की मात्रा कम हो रही है. ऐसे में बांध का पानी आरक्षित नहीं हुआ तो जलीय जीव जंतुओं और जंगली जानवरों के अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो जाएगा. इसके लिए जवाई बांध के डेड स्टोरेज से पानी वर्तमान गेज पर ही आरक्षित किया जाना चाहिए.
Reporter- Subhash Rohiswal
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