NEET रिजर्वेशन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं
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NEET रिजर्वेशन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. 

NEET रिजर्वेशन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2020-21 सत्र में मेडिकल के स्नातक, पीजी और डेन्टल पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटे में तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गयी सीटों में राज्य के कानून के तहत अन्य पिछड़े वर्गो के लिये 50 फीसदी सीटें आरक्षित नहीं करने के केन्द्र के निर्णय के खिलाफ राजनीतिक दलों की याचिकाओं पर विचार करने से गुरुवार को इंकार कर दिया. 

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु की सभी राजनीतिक पार्टियां राज्य के ओबीसी के कल्याण के एक साथ मिलकर आगे आई हैं, यह असामान्य बात है लेकिन आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. 

दरअसल, डीएमके, एआईडीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर राज्य में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी लेकिन कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इसी दौरान जस्टिस राव ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. सभी यचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से वापस ली जाएं. आप हाईकोर्ट जा सकते हैं.

पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा, "आप इसे वापस लीजिए और मद्रास उच्च न्यायालय जाएं."  पीठ ने राजनीतिक दलों को ऐसा करने की छूट प्रदान की. इन राजनीतिक दलों ने मेडिकल के वर्तमान शैक्षणिक सत्र के दौरान तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गई सीटों में राज्य के आरक्षण कानून के तहत अन्य पिछड़े वर्गो के लिए 50 फीसदी स्थान आरक्षित नहीं करने के केन्द्र के फैसले को चुनौती दी थी.

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