सरकारी ढर्रे पर काम करने वाले CPWD कर्मियों को सचिव-DG का सख्‍त संदेश, 'क्‍या बाहर होना चाहते हैं'
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सरकारी ढर्रे पर काम करने वाले CPWD कर्मियों को सचिव-DG का सख्‍त संदेश, 'क्‍या बाहर होना चाहते हैं'

उन्होंने विभाग की कार्यशैली में इसके अनुरुप आये बदलाव की सराहना करते हुये कहा, ‘‘मेरे पास पुख्ता जानकारी है कि तमाम अधिकारी ऐसे हैं जो खुद को नकारात्मक रवैये से बाहर नहीं कर पा रहे हैं.’’ 

पीडब्ल्यूडी के महानिदेशक प्रभाकर सिंह ने कहा ‘‘विभाग को आगे बढ़ाने में आप सभी लोग बाधक बनने के बजाय सहयोग करें. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने केन्द्र सरकार की भवन निर्माण एजेंसी केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के आला अधिकारियों और इंजीनियरों को विभाग में बदलती कार्यशैली के अनुरूप खुद को ढालने का सख्त संदेश देते हुये कहा ‘‘आपको स्वयं तय करना होगा कि देश में बदलाव के आप साथी बनना चाहते हैं या इस प्रक्रिया से बाहर होना चाहते हैं.’’ 

मिश्र ने शुक्रवार को भवन निर्माण क्षेत्र में नवोन्मेषी तकनीक और सामग्री के प्रयोग पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि देश को तीन हजार अरब रुपये से पांच हजार अरब रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार के लक्ष्य को अगले पांच साल में हासिल करने में सीपीडब्ल्यूडी की अहम भूमिका है. 

उन्होंने विभाग की कार्यशैली में इसके अनुरुप आये बदलाव की सराहना करते हुये कहा, ‘‘मेरे पास पुख्ता जानकारी है कि तमाम अधिकारी ऐसे हैं जो खुद को नकारात्मक रवैये से बाहर नहीं कर पा रहे हैं.’’ इससे पहले सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक प्रभाकर सिंह ने भी सिर्फ महानगरों में काम करने के इच्छुक तमाम अधिकारियों और इंजीनियरों को अपनी पसंद की जगह तबादले कराने की कोशिश में लगे रहने से बचने की जरूरत पर बल दिया. 

सिंह ने कहा ‘‘विभाग को आगे बढ़ाने में आप सभी लोग बाधक बनने के बजाय सहयोग करें. क्योंकि इससे मंत्रालय को भी बहुत परेशानी हो रही है. कोई भी अदालत चला जाता है, इससे भी बहुत परेशानी हो रही है. इसको रोकने की सख्त जरूरत है.’’ 

सिंह ने कहा कि विभाग ने देश के सीमावर्ती और दूरदराज के इलाकों में तमाम चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया है. इसलिये सभी अधिकारियों को सिर्फ महानगरों में काम करने को वरीयता देने से खुद को छुटकारा दिलाना होगा. उन्होंने कहा कि विभाग की कार्यशैली में आये बदलाव का ही नतीजा है कि उसे 1.5 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनायें पूरी करने की जिम्मेदारी मिली है. 

बाद में मिश्र ने कहा कि सीपीडब्ल्यूडी के पास भवन निर्माण संबंधी दुनिया की 16 अग्रणी तकनीक मौजूद हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ तकनीक ही काम नहीं करती है बल्कि इसका इस्तेमाल करने वाले का रवैया, काम पूरा करने में सफलता दिलाता है.’’ मिश्र ने नकारात्मक रवैया अपनाने वाले अधिकारियों को आगाह किया कि ऐसे लोग खुद अपना नुकसान कर रहे हैं. उन्होंने विभाग से कृत्रिम बौद्धिकता (आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) पर आधारित तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि इसकी मदद से कूड़ा, जिप्सम और बिजली घरों से निकली फ्लाई ऐश जैसी बेकार पड़ी सामग्रियों के भवन निर्माण में अधिकतम इस्तेमाल को बढ़ावा दें. 

उल्लेखनीय है कि भवन निर्माण क्षेत्र में कार्यरत निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग 250 विशेषज्ञ एकदिवसीय सम्मेलन में भवन निर्माण संबंधी पर्यावरण हितैषी सामग्री के इस्तेमाल और कम समय में अधिक काम को अंजाम देने वाली नवोन्मेषी तकनीक सुझायेंगे. 

सीपीडब्ल्यूडी ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण हितैषी और कम समय में पूरी होने वाली, मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त, 16 वैश्विक तकनीकों का फिलहाल इस्तेमाल कर रहा है. देश के विभिन्न इलाकों में विभिन्न स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक 31 नवोन्मेषी तकनीकों को इस फेहरिस्त में शामिल करने पर सम्मेलन में विचार किया जायेगा. 

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