आजकल अफजल प्रेमी गैंग के नए-नए अवतार में सामने आ रहा है. नए-नए POSTER BOY और POSTER GIRL बड़ी शान से देश के टुकड़े-टुकड़े करने की कसमें खा रहे हैं.
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नई दिल्ली: आजकल अफजल प्रेमी गैंग के नए-नए अवतार सामने आ रहेे हैं. नए-नए POSTER BOY और POSTER GIRL बड़ी शान से देश के टुकड़े-टुकड़े करने की कसमें खा रहे हैं. दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तो कई मौकों पर ये साबित कर दिया है कि जिन्ना वहां के कुछ छात्रों के आदर्श हैं. कुछ दिनों पहले JNU के छात्र और टुकड़े-टुकड़े गैंग के नए सदस्य शरजील इमाम ने भी देश को तोड़ने वाले बयान दिए थे. जिसके बाद दिल्ली के शाहीनबाग में भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
क्राइम ब्रांच ने शरजील इमाम को जहानबाद के काको थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. शरजील इमाम के ऊपर देशद्रोह और दंगा भड़काने का आरोप लगा है. वहीं, दिल्ली में भी यूपी पुलिस ने शरजील की तलाश में कई जगह छापेमारी की थी. उसके ऊपर असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं.
बिहार के जहानाबाद जिले का रहने वाला है शरजील इमाम
शरजील इमाम मूल रूप से बिहार के जहानाबाद का रहनेवाला है. उसपर भड़काऊ भाषण के लिए देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. जानकारी के मुताबिक, आइआइटी बॉम्बे (IIT Bombay) से कंप्यूटर साइंस (Computer science) में एमटेक (M Tech)की डिग्री हासिल करने के बाद शरजील भारत से विदेश चला गया था. वहां नौकरी करने के बाद फिर वापस भारत लौट आया. यहां उसने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पीएचडी करने के लिए दाखिला ले लिया.
शरजील शाहीन बाग में हो रहे धरना प्रदर्शन का मुख्य आयोजक
कहा जा रहा है कि शरजील शाहीन बाग में हो रहे धरना प्रदर्शन का मुख्य आयोजक था. वो सोशल मीडिया पर लोगों को लगातार इस धरने में शामिल होने की अपील करता था. एक फेसबुक पोस्ट में शरजील ने लिखा है, 'शाहीन बाग का मॉडल चक्का जाम का है, बाक़ी सब सेकेंडरी हैं, चक्का जाम और धरने में फ़र्क समझिए, हर शहर में धरने कीजिए, उसमे लोगों को चक्का जाम के बारे में बताइए, और फिर तैयारी करके हाईवेज पर बैठ जाइए.'
शरजील इमाम नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के कारण अचानक चर्चा में आए. सोशल मीडिया पर जारी उनके वीडियो में कथित तौर पर देशविरोधी भड़काऊ बयान देने का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम को शेष भारत से अलग (कम से कम एक महीने के लिए)करने की बात करते हुए सुना जा सकता है.