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नई दिल्ली: केरल के वायनाड जिले कही रहने वाली श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) ने साल 2018 में यूपीएससी एग्जाम पास किया और आईएएस अफसर बनने वालीं केरल की पहली आदिवासी लड़की हैं. हालांकि श्रीधन्या सुरेश के लिए ये सफर आसान नहीं था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. करीब 7 हजार की आबादी वाले गांव पोजुथाना की कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाली श्रीधन्या सुरेश की स्टोरी काफी प्रेरणादायी है और उन्होंने कई मुश्किलों को पार कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया.
श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) के पिता दिहाड़ी मजदूर होने का साथ गांव के ही बाजार में धनुष-तीर बेचने का काम करते थे और मां भी मनरेगा के तहत काम करती थीं, लेकिन इसके बावजूद परिवार को हमेशा आर्थिक मुसीबतों का सामना करना पड़ा. परिवार बेहद गरीब था, लेकिन श्रीधन्या के माता-पिता ने कभी भी उनके भाई-बहनों में फर्क नहीं किया और कोई रोक-टोक नहीं लगाई. उन्होंने कभी भी अपनी गरीबी को बच्चों की पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया.
श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) ने अपने गांव पोजुथाना के सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए कोझीकोड पहुंची और कालीकट यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उनका चयन केरल में ही अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के रूप में हो गया. इसके अलावा कुछ समय के लिए श्रीधन्या ने वायनाड में आदिवासी हॉस्टल के वॉर्डन के रूप में भी काम किया.
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श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) ने कॉलेज के दिनों में ही सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था. आदिवासी हॉस्टल की वार्डन की नौकरी और क्लर्क की जॉब के दौरान उन्होंने सिविल परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने नौकरी के साथ-साथ ट्राइबल वेलफेयर द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र में कुछ दिन कोचिंग की और उसके बाद वो तिरुवनंतपुरम चली गईं. अनुसूचित जनजाति विभाग से आर्थिक मदद मिलने के बाद श्रीधन्या ने पूरा ध्यान तैयारी पर लगा दिया.
श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) ने यूपीएससी एग्जाम के लिए कड़ी मेहनत की और तीसरे प्रयास में साल 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली. श्रीधन्या ने ऑल इंडिया में 410वीं रैंक हासिल की और उनका नाम इंटरव्यू की लिस्ट में आ गया.
इंटरव्यू की लिस्ट में नाम आने के बाद श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh) के सामने बड़ी मुसीबत आ गई, क्योंकि उनके बाद साक्षात्कार के लिए दिल्ली जाने के पैसे तक नहीं थे. इस बात की जानकारी जब उनके दोस्तों को चली तो उन्होंने चंदा जुटाया और श्रीधन्या के लिए 40 हजार रुपये की व्यवस्था कर दिल्ली भेजा. श्रीधन्या भी उम्मीदों पर खरा उतरीं और इंटरव्यू क्लियर कर आईएएस अफसर बन गईं.
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