सत्तारूढ़ वाम मोर्चा 23 अप्रैल को हुए चुनाव में केवल एक सीट ही जीत पाया. विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने राज्य में 20 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की.
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तिरुवनंतपुरम: केरल में लोकसभा चुनाव में हालिया इतिहास के अब तक के बेहद खराब प्रदर्शन से निराश पिनरायी विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने किसी उत्सव या नई परियोजनाओं की घोषणा के बिना शनिवार को राज्य सरकार की तीसरी वर्षगांठ मनाई.
सत्तारूढ़ वाम मोर्चा 23 अप्रैल को हुए चुनाव में केवल एक सीट ही जीत पाया. विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने राज्य में 20 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की.
देश में एकमात्र सीपीएम के नेतृत्व वाली सरकार ने 25 मई को अपनी पहली और दूसरी वर्षगांठ पर बड़ी जनसभाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित की थी. उसने इस मौके पर नई योजनाओं और परियोजनाओं की घोषणा की परंपरा का भी पालन किया था.
बहरहाल, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दो और दिनों तक आदर्श आचार संहिता लागू रहने के कारण किसी भी समारोह से बचा गया. लेकिन ऐसा लग रहा है कि अप्रत्याशित चुनाव नतीजे ने वाम मोर्चे को ऐसा करने के लिए विवश किया.
आलोचकों का कहना है कि एलडीएफ के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक वोटों का एकजुट होना, बाढ़ पुनर्वास से खराब तरीके से निपटना, सबरीमला मुद्दे पर रुख और मुख्यमंत्री के कामकाज के तौर तरीके को लेकर संभावित असंतोष की वजह हो सकती है.
'सरकार ने पहले ही अपने ज्यादातर वादे पूरे कर दिए'
हालांकि, मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने मीडिया को जारी किए एक लंबे लेख में दावा किया कि उनकी सरकार ने पहले ही अपने ज्यादातर वादे पूरे कर दिए है जो पांच साल के कार्यकाल में पूरे किए जाने थे. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विभिन्न परियोजनाओं को लागू करने के ‘संतोष’के साथ अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर रही है.
इस बीच, सीपीएम के प्रदेश सचिवालय ने यहां कहा कि वाम मोर्चे के पांरपरिक वोटों में ‘कटाव’ हुआ है. सबरीमला मंदिर में माहवारी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे का जिक्र किए बगैर सचिवालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि वोट के आंकड़ें दिखाते हैं कि दक्षिणपंथी ताकतें श्रद्धालुओं के एक वर्ग को ‘भ्रमित’करने में कामयाब रही.
यह केवल अस्थाई झटका
चुनाव में करारी शिकस्त के बाद शनिवार को पहली बार मीडिया से रूबरू होते हुए विजयन ने कहा कि चुनाव नतीजे राज्य सरकार के खिलाफ नहीं है और यह केवल अस्थाई झटका है.
उन्होंने दावा किया कि सबरीमला मंदिर में माहवारी आयु वर्ग की महिलाओं को अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश को लागू करने के सरकार के फैसले का चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा.
विजयन ने कहा, ‘सरकार को अब भी लोगों का समर्थन प्राप्त है. मौजूदा चुनाव नतीजे राज्य सरकार के प्रदर्शन का आकलन नहीं है. यह सच है कि हमारे वोट बैंक में कटाव हुआ है. हम इसके कारणों का विश्लेषण करेंगे.’ साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनके काम करने के तौर-तरीके में कोई बदलाव नहीं होगा.