कश्‍मीर पर आतंकियों से कोई भी बातचीत सरकार की शर्तों पर ही संभव: सेना प्रमुख
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कश्‍मीर पर आतंकियों से कोई भी बातचीत सरकार की शर्तों पर ही संभव: सेना प्रमुख

सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद जम्मू कश्मीर सीमा पर भारत के प्रति पाकिस्तान के आक्रामक व्यवहार में कोई कमी नहीं आई है. 

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत. फोटो ANI

नई दिल्ली : तालिबान के साथ बातचीत का समर्थन करने के एक दिन बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि यही रुख जम्मू कश्मीर में नहीं अपनाया जा सकता. जनरल रावत ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में आतंकवादी समूहों के साथ कोई भी बातचीत सरकार द्वारा तय शर्तों के आधार पर ही होगी.

सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद जम्मू कश्मीर सीमा पर भारत के प्रति पाकिस्तान के आक्रामक व्यवहार में कोई कमी नहीं आई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी नेता केवल शांति की बात कर रहे हैं और जमीन पर स्थिति में सुधार के लिए कुछ भी नहीं कर रहे.

जनरल रावत ने 15 जनवरी को सेना दिवस से पहले आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कश्मीर में सीमा पर 300 से अधिक आतंकवादी घुसपैठ के फिराक में इंतजार कर रहे हैं लेकिन हमारे जवान उनके प्रयासों को विफल करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कश्मीर से निपटने के लिए कड़ा और नरम रुख अपना रही है...हम जम्मू कश्मीर में शांति के लिए केवल सहायक है.’’

उन्होंने तालिबान के साथ वार्ता में कई देशों के शामिल होने का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को इससे अलग नहीं रहना चाहिए क्योंकि अफगानिस्तान में उसके ‘‘हित’’ हैं. जनरल रावत ने कहा, ‘‘यही रुख जम्मू कश्मीर के लिए लागू नहीं हो सकता. यह हमारे और हमारे पश्चिमी पड़ोसी के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है. इसमें किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए कोई स्थान नहीं है.

यहां हमें बातचीत करनी होगी, हमें बातचीत हमारी शर्तों के आधार पर करनी होगी.’’ जनरल रावत से बुधवार को ‘रायसीना डायलाग’ में अपने संबोधन में अफगानिस्तान में तालिबान के साथ वार्ता का समर्थन किया था.

सेना प्रमुख से बुधवार की उनकी टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया जिसमें उन्होंने तालिबान के साथ वार्ता का समर्थन किया था और यह कि क्या वह कश्मीर में हुर्रियत कान्फ्रेंस और अन्य अलगाववादी समूहों के साथ वार्ता का समर्थन करते हैं, उन्होंने कहा,‘‘हम कह रहे हैं वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं हो सकते. यह न केवल हमारे पश्चिमी पड़ोस बल्कि यह जम्मू कश्मीर के लिए भी लागू है. आप ऐसा नहीं कर सकते कि सुरक्षा कर्मियों की हत्या करना जारी रखें और कहें कि हम वार्ता के लिए तैयार हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वार्ता तभी हो सकती है जब आप हिंसा छोड़ें.’’

सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में सफलता को केवल मारे जाने वाले आतंकवादियों की संख्या से नहीं मापा जा सकता और राज्य के लोगों ने यह समझना शुरू कर दिया है कि हिंसा आगे का रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में स्थानीय युवाओं के आतंकवाद में शामिल होना दुष्प्रचार के तेज होने से जुड़ा हुआ है, सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों को मारने से नहीं. उन्होंने राज्य में स्थिति पर कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि यह पूरी तरह से नियंत्रण में है.’’

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