5 अलगाववादी नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शाबिर शाह शामिल हैं.
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नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने कश्मीर के 5 अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा समेत अन्य सरकारी सुविधाएं वापस ले ली हैैं. इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. 5 अलगाववादी नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शाबिर शाह शामिल हैं.
सरकार ने इनको मुहैया कराए गई सुरक्षा और वाहन रविवार शाम तक वापस लेने का फैसला लिया है. फैसले के मुताबिक अब इन अलगाववादी नेताओं को किसी भी सूरत में सुरक्षा बल या अन्य सुरक्षा इंतजाम नहीं मुहैया कराए जाएंगे. अगर उनके पास कुछ अन्य सरकारी सुविधाएं भी हैं तो बाद में उनसे वो भी वापस ली जाएंगी.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ संदिग्ध तौर पर संपर्क रखने वाले कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा की समीक्षा करने की बात कही थी. एक शीर्ष अधिकारी ने बताया था कि केंद्र सरकार ने एक सुझाव दिया था जिसके बाद ऐसे व्यक्तियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी जिनपर आईएसआई के साथ संबंधों का शक है.
उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार के गृह सचिव अलगाववादियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा करेंगे और फिर इसे वापस लेने पर निर्णय लेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार अलगाववादियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा करेगी क्योंकि उनमें से अधिकतर को जम्मू कश्मीर पुलिस सुरक्षा मुहैया कराती है.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को श्रीनगर में पत्रकार वार्ता में कहा था कि पाकिस्तान और उसकी जासूसी एजेंसी आईएसआई से धन लेने वाले लोगों को मिली सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘‘ जम्मू कश्मीर में कुछ तत्वों के आईएसआई और आतंकी संगठनों से रिश्ते हैं.उन्हें मिली सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए.’’
बता दें कि गुरुवार को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं. शनिवार को इन शहीद जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचाए गए. वहां शहीदों को अंतिम विदाई दी गई है.