गुजरात: स्कूलों में जी सर-जी मैडम की जगह सुनाई देगी 'जय हिंद-जय भारत' की गूंज
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गुजरात: स्कूलों में जी सर-जी मैडम की जगह सुनाई देगी 'जय हिंद-जय भारत' की गूंज

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनका कहना है कि ये कदम बचपन से ही बच्चों में देशप्रेम जगाने के लिए है.

इसकी सबसे पहले शुरुवात की सूरत की सायण प्राथमिक स्कूल से तीन साल पहले हुई थी.
इसकी सबसे पहले शुरुवात की सूरत की सायण प्राथमिक स्कूल से तीन साल पहले हुई थी.

सूरत, (किरन सिंह गोहिल/निर्मल त्रिवेदी): अब गुजरात के सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों में जयहिंद बोलना अनिवार्य हो गया है. जानकारी के मुताबिक, अब से पूरे गुजरात के स्कूल में हाजरी के दौरान जी सर या जी मैडम नहीं बल्कि जय हिंद या जय भारत कह कर जवाब देंगे. इस आदेश के लिए एक नोटिस सभी स्कूलों में भेज दिया गया है. इस आदेश के मुताबिक, अब सभी छात्रों के लिए ये अनिवार्य हो गया है. आपको बता दें कि इसकी सबसे पहले शुरुवात की सूरत की सायण प्राथमिक स्कूल से तीन साल पहले हुई थी.

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सोमवार (31 दिसंबर) को विभाग ने इसको लागू करने के आदेश भेजे हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनका कहना है कि ये कदम बचपन से ही बच्चों में देशप्रेम जगाने के लिए है. सायण प्राथमिक स्कूल ने भी इसी उद्देश्य के साथ 2015 में जय हिंद या जय भारत बोलने का आदेश छात्रों के लिए लागू किया था. स्कूल आचार्य का कहना है कि शुरूआत में बच्चों को इसकी आदत नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे छात्रों के साथ अध्यापकों के प्रयास से ये सफल हुआ. 

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स्कूल के अध्यापक महेंद्र गोहिल ने बताया कि बच्चों को इसे नियमित जुबान पर लाने के लिए इनाम देने की शुरूआत की. उन्होंने बताया कि अगर कोई बच्चा लगातार पांच दिन तक बिना भूले जय भारत जय हिन्द बोलता रहता, तो उसे इनाम के तौर पर चॉकलेट दी जाती थी. इससे बच्चों में ये बोलने की ललक बढ़ी. गोहिल ने कहा कि बच्चों को मानस पटल पर जन्मभूमि के प्रति गौरव और समर्पण की भावना संचित हो, इसका महत्व से कोई काम नहीं करता है. उन्होंने कहा कि एक छोटी सी कोशिश से ये संभव हुआ और हमें खुशी हैं कि अब राज्य के दूसरे स्कूलों में भी ये संभव हो पाएगा. 

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जय हिन्द प्रोजेक्ट को बड़ी कामयाबी मिलने के बाद स्कूल की आचार्य सेजल बेन राठौड़ के मार्गदर्शन में अध्यापक महेंद्रसिंह गोहिल द्वारा तैयार किये गए जय हिन्द प्रोजेक्ट को 2015 में जिला शिक्षा तालीम भवन सूरत में जिला स्तर के इनोवेशन फेयर में प्रस्तुत किया गया. इसके बाद इस प्रोजेक्ट को GCRT गुजरात काउंसलिंग रिसर्च फॉर ट्रेनिंग में राज्य स्तर पर भेजा गया और अब इस प्रोजेक्ट को राज्य शिक्षा विभाग द्वारा राज्य की तमाम स्कूलों में लागू करने का निर्णय लिया, जो तीन साल पहले ओलपाड के एक शिक्षक ने सरकार के सामने रखा था.  

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