Supreme Court: जब बुलाएं तो बैग-बैगेज के साथ आइएगा, सीधे जेल भी पड़ सकता है जाना; सूरत पुलिस को फटकार
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Supreme Court: जब बुलाएं तो बैग-बैगेज के साथ आइएगा, सीधे जेल भी पड़ सकता है जाना; सूरत पुलिस को फटकार

Surat BuisnessmanTusharbhai Shah Case: जिस प्रसंग का हम जिक्र करेंगे वो थोड़ा अलग है. सुप्रीम कोर्ट ने एक सूरत के एक व्यापारी को अग्रिम जमानत दे थी. लेकिन उस बीच सूरत पुलिस ने व्यापारी से पूछताछ के लिए चार दिन की रिमांड लोअर कोर्ट से मांगी. निचली अदालत ने रिमांड भी दे दी.

Supreme Court: जब बुलाएं तो बैग-बैगेज के साथ आइएगा, सीधे जेल भी पड़ सकता है जाना; सूरत पुलिस को फटकार

Supreme Court Contempt Case: यह तो घोर अवमानना है. तैयार रहिए जब बुलाएं तो बैग और बैगेज के साथ आइएगा. हो सकता है अदालत से सीधे जेल जाना पड़े. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कड़ी टिप्पणी करते हुए ना सिर्फ गुजरात के एडिश्नल चीफ सेक्रेटरी कमल दयानी, सूरत पुलिस कमिश्नर ए के तोमर, डेप्यूटी विजय सिंह गुर्जर, सूरत के एडिश्नल सीजेएम और  इंसपेक्टर आर वाई रावल को कड़ी फटकार लगाते हुए नोटिस भी जारी किया. सवाल यह है कि आखिर पूरा मामला क्या है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई क्यों भड़क गए.

सूरत के व्यापारी से जुड़ा है केस

दरअसल मामला सूरत के एक व्यापारी तुषारभाई शाह से जुड़ा है. व्यापारी को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत दी थी. लेकिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सूरत की एक अदालत से चार दिनों की रिमांड हासिल की. पूछताछ में बर्बर तरीके से पेश आए और एक करोड़ 65 लाख रुपए की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह हैरानी की बात है अग्रिम जमानत की नाफरमानी की गई.

व्यापारी तुषारभाई शाह के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अग्रिम जमानत मिलने के चार दिन बाद ही सूरत पुलिस ने रिमांड के लिए अर्जी लगाई. निचली अदालत के जज ने भी 13 दिसंबर को ऑर्डर पास कर उसके मुवक्किल को 16 दिसंबर तक जेल भेज दिया. यही नहीं रिमांड में उसके मुवक्किल को प्रताणित किया गया. रिमांड पर लेने का मकसद कुछ और नहीं बल्कि उसके मुवक्किल को डराना धमकाना था. पुलिस का मकसद किसी भी तरह से तुषारभाई शाह से एक करोड़ 60 लाख रुपए हासिल करने थे. जबकि यह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सरासर उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ना सिर्फ पुलिस, प्रशासन बल्कि निचली अदालत के जज पर भी बाध्यकारी था.

' मामले से जुड़े सबकी नीयत खराब थी'
तुषारभाई शाह के वकीलों की दलील पर जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता बुरी तरह से भड़क गए. दोनों जजों ने कहा कि पुलिस प्रशासन से जुड़े लोगों ने जानबूझकर अदालत के आदेश की नाफरमानी की है. इसके लिए उन्हें नहीं छोड़ा जा सकता. यही नहीं एडिश्नल सीजेएम की नीयत भी ठीक नजर नहीं आती. आखिर आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर इस तरह की कार्रवाई कैसे कर सकते हैं. जांच अधिकारी ने रिमांड पर लेने की हिम्मत कैसे की. 

'हद है रिमांड में कैमरों ने काम करना किया बंद'

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाने के बाद पुलिस से कहा कि आप उन चार दिनों की सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराएं. अदालत के इस सवाल पर पुलिस ने कहा कि कैमरे काम नहीं कर रहे थे. इस जवाब पर अदालत ने कहा कि हद की बात है जब आप रिमांड में लेकर पूछताछ कर रहे थे उसी समय आपके कैमरे भी खराब हो गए थे. सूरत देश का डायमंड कैपिटल है, बड़ा व्यापारिक केंद्र है और आप लोग इस तरह की दलील पेश कर रहे हैं. इस मामले में पुलिस प्रशासन का पक्ष रख रहे एडिश्नल सॉलीसिटर जनरल एस वी राजू ने बिना शर्त माफी की मांग की. लेकिन अदालत ने एक ना सुनी और निचली अदालत के जज, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी की

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