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नई दिल्ली. देश की सीमाओं पर आए दिन हो रहे हमलों और अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजनियरिंग टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) कॉलेज के सहयोग से एक मानव रहित बॉर्डर सिक्योरिटी सिस्टम तैयार किया गया है. इस डिवाइस को मानव रहित सोलर मशीन गन नाम दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक ये सिस्टम बॉर्डर पर तैनात जवानों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आतंकियों का सामना करेगा. इसे एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेरठ के आईडिया इनोवेशन लैब में तैयार किया गया है. ये एक इलेट्रॉनिक मशीन गन है. इसे चलाने के लिए किसी इंसान की जरुरत नहीं होगी. इसका इस्तेमाल बेहद संवेदनशील बॉर्डर एरिया में आतंकियों का सामना करने के लिए किया जा सकेगा. इसमें लगे सेंसर कैमरे दुश्मनों पर दूर से नजर रख सकतें हैं. इसके अलावा आस-पास किसी तरह की आहट होने पर यह मानव रहित गन सैनिकों को चौकन्ना करने के साथ दुश्मनों पर गोलियों की बौछार भी करने में सक्षम है.
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इसे तैयार करने वाले युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया ने बताया कि ये अभी इसका प्रोटोटाइप बनाया गया है. इसकी रेंज तकरीबन 500 मीटर तक होगी, जिसे और बढ़ाया भी जा सकता है. इस मानव रहित गन को ऑटोमेटिक और मैनुअल दोनों तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. ऑटोमेटिक मोड पर ये अपने आप काम करेगी, वहीं मैनुअल मोड पर इसे इंटरनेट या रिमोट से सैनिक इस्तेमाल कर सकेंगे. इसकी सबसे खास बात ये है कि ये गन सोलर पैनल से चार्ज होता है और कई महीने धूप न मिलने पर भी ये सिस्टम काम कर सकता है. इसकी मदद से आतंकियों से आमने-सामने की लड़ाई में हमारे जवानों का जान माल का नुकसान नहीं होगा.
श्याम ने कहा कि इस गन को रिमोट व इंटरनेट की सहायता से बिना दुश्मन की नजर में आए हमारे सैनिक खुद को सुरक्षित रखते हुए आतंकियों पर गोलाबारी करने में इस्तेमाल कर सकते हैं. इस सिस्टम के तीन पार्ट हैं. ये तीनों ही वायरलेस टेक्नोलॉजी की मदद से एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं. जैसे ही कोई बॉर्डर पार करने की कोशिश करेगा या इनके सेंसर के रेंज में कोई हलचल होगी, तो ये सोलर गन को एक अलर्ट भेज देगा, जिससे उस बॉर्डर एरिया में लगी मशीन गन एक्टिवेट हो जाएगी और टारगेट पर गोलियां दागना शुरू कर देगी.
श्याम ने बताया कि इस मानव रहित मशीन गन से बॉर्डर एरिया में किसी जानवर या बेगुनाह की जान को नुकसान न पहुंचे इसके लिए यह गन गोली चलाने से पहले कंट्रोल रूम को टारगेट का फोटो सेंड कर देती है. कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में इस डिवाइस का प्रोटोटाईप तैयार करते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि गन के पास अगर कोई अपना सैनिक गलती से आ जाये तो ये खुद को लॉक कर लेता है.
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इस उपकरण का पहला प्रोटोटाइप बनाने में लगभग 25000 रुपये का खर्च आया है. ये डिवाइस 360 डिग्री में घूम कर दुश्मनों को टारगेट कर सकेगा. इसका वजन प्रोटोटाइप में 40 किलो है. इस उपकरण को बनाने में लॉन्ग रेंज का मोशन सेंसर कैमरा, सेंसर ट्रिगर, मेटल पाईप, ट्रांसमीटर रिसिवर, नाईट विजन सेंसर, 12 वोल्ट सोलर प्लेट, जीएसएम अलार्म, 6 वोल्ट बैटरी का उपयोग हुआ है.
एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में आईडिया इनोवेशन रिसर्च लैब है, जिसमें हमारे छात्र इनोवेटर के साथ मिल कर देश की तरह-तरह के समस्याओं को अपने नये-नये अविष्कार व इनोवेशन के जरिये हल करते हैं. उन्होंने बताया कि उसी में से एक युवा साइंटिस्ट ने मानव रहित सोलर मशीन गन का इजाद किया है, जो कि हमारे देश के सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है. इस साइंटिस्ट ने ऐसे कई अन्य समान बनाएं हैं, जो सेना के लिए आने वाले वक्त में कारगर साबित हो सकते हैं.
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