मां सीता के साथ अयोध्‍या अकेले लौटे थे भगवान राम, कहां गई रावण की लंका जलाने वाली वानर सेना?
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मां सीता के साथ अयोध्‍या अकेले लौटे थे भगवान राम, कहां गई रावण की लंका जलाने वाली वानर सेना?

Ramayan Katha :  भगवान राम लंका जीतने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्‍मण के साथ अयोध्‍या आ गए थे. उनके साथ हनुमान जी भी अयोध्‍या आए. वहीं, सुग्रीव को किष्किन्धा का राज दे दिया गया.

सांकेतिक तस्‍वीर

Ramayan Katha : रामायण में भगवान राम और रावण के युद्ध का वर्णन है. रावण से युद्ध में भगवान राम की सेना में वानर सेना का उल्‍लेख है. हनुमान जी की वानर सेना की मदद से ही भगवान राम माता सीता को रावण से छुड़ा पाए थे. कहा जाता है कि भगवान राम की सेना में वानर नहीं आते तो लंका पहुंचना मुश्किल था और लंका न पहुंचते तो रावण से युद्ध जीत पाना भी आसान नहीं था. यह पौराणिक कहानी हम सबने कभी न कभी एक बार जरूर सुनी होगी. लेकिन क्‍या आपको पता है कि भगवान राम की सेना में शामिल लाखों वानर जीत के बाद कहां गायब हो गए?. 

यह है पौराणिक कथा 
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम लंका जीतने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्‍मण के साथ अयोध्‍या आ गए थे. उनके साथ हनुमान जी भी अयोध्‍या आए. वहीं, सुग्रीव को किष्किन्धा का राज दे दिया गया. बाली के पुत्र अंगद को युवराज घोषित कर दिया गया. किष्किन्धा में दोनों ने मिलकर कई वर्षों तक शासन किया. श्रीराम के साथ लंका गई वानर सेना में नल-नील भी थे, जिन्होंने सेतु निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जब सुग्रीव किष्किन्धा के राजा बने, तो नल-नील को सुग्रीव के राज्य में मंत्री पद दिया गया.

सुग्रीव और अंगद को देते थे सलाह 
माना जाता है कि नल-नील अपनी चतुराई का उपयोग करके सुग्रीव और अंगद को राज्य चलाने के लिए सलाह दिया करते थे. किष्किन्धा राज्य में ही वानर सेना रहा करती थी और किष्किन्धा राज्य की सुरक्षा किया करते थे. वर्तमान समय की बात करें, तो रामायण काल का किष्किन्धा राज्य अब कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे है. किष्किन्धा के आसपास ऐसी गुफाएं हैं, जहां कभी राम और लक्ष्मण रुके थे. 

गुफा में ही रहने लगी वानर सेना 
माना जाता है कि विशाल वानर सेना का कुछ हिस्सा सुग्रीव के राज्य में अपना योगदान देने लगा और वानर सेना की कुछ टुकड़ी यहां की गुफाओं में रहने लगी थी. रामायण के अनुसार, श्रीराम की मदद करने वाली वानर सेना में एक लाख से ज्यादा योद्धा थे. वहीं, किष्किन्धा से हनुमान जी का भी संबंध है. माना जाता है कि किष्किन्धा में काफी बड़े इलाके में घना वन फैला हुआ है. 

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