Uttarkashi Tunnel Rescue : ...तो अब मौत के मुंह से निकल जाएंगे 40 मजदूर? 'डबल इंजन' से चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन
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Uttarkashi Tunnel Rescue : ...तो अब मौत के मुंह से निकल जाएंगे 40 मजदूर? 'डबल इंजन' से चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन

Uttarkashi Tunnel Collapse :  रेस्क्यू का काम जारी है. बचाव अभियान के दौरान मिट्टी धसने और भारी पत्थर आने से दिक्कतें आ रही हैं. इस बीच इंदौर से एक हैवी मशीन मंगाई गई है. वहीं नॉर्वे और थाइलैंड के एक्सपर्ट जिन्होंने थाइलैंड में 12 बच्चों और उनके कोच को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी, उनसे भी बात हुई है.

Uttarkashi Tunnel Rescue : ...तो अब मौत के मुंह से निकल जाएंगे 40 मजदूर? 'डबल इंजन' से चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन

Uttarkashi Tunnel Rescue Update : उत्तरकाशी की सिल्कयारा टलन ढहने के बाद फंसे 40 मजदूरों को अब तक बाहर नहीं निकाला जा  सका है. हालांकि रेस्क्यू काम कर रही एजेंसियों का कहना है कि बचाव दल फंसे हुए मजदूरों तक जल्द ही पहुंच सकता है. हालांकि रेस्क्यू के काम में लगातार चुनौतियां सामने आ रही है. इस बीच NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खलखो का कहना है कि हमने रेस्क्यू का काम जल्द से जल्द खत्म करने के लिए इंदौर से एक और मशीन मंगाई है, जो शनिवार सुबह तक यहां पहुंच जाएगी.

क्या है मेन दिक्कत?

उत्तरकाशी की सुरंग में मजदूर इसके एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं. जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है. रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है, जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है. 

थाइलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बचाने वाली टीम से चर्चा

उत्तराखंड में चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान के लिए नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों से सलाह ली गई है, क्योंकि मजदूरों की निकासी के लिए 50 मीटर मलबे में घुसने की जरूरत महसूस की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि मलबे के ऊबड़-खाबड़ मार्ग में स्टील पाइप का 6 मीटर का हिस्सा डाला गया है. इसमें एक अन्य खंड को वेल्ड किया जा रहा था. इस योजना के तहत विशाल ड्रिल की मदद से 800 मिमी और 900 मिमी व्यास वाले पाइपों को एक के बाद एक डालते हुए उतना आगे पहुंचाना है जब तक निर्माणाधीन सुरंग के ढह गए हिस्से के उस पार फंसे मजदूरों के निकलने का रास्ता न बन जाए. 

रेस्क्यू का छठा दिन- परिजनों की बढ़ी परेशानी

सुरंग में फंसे मजदूरों तक भले ही ऑक्सीजन, और खाना-पानी पहुंचाने की बात कही जा रही है लेकिन अब अंदर फंसे मजदूरों के परिवारवालों का धैर्य जवाब दे रहा है. हालांकि रेस्क्यू का काम लगातार चलाया जा रहा है. बचाव अभियान के दौरान मिट्टी धसने और भारी पत्थर आने से दिक्कतें हो रही हैं. एजेंसी के मुताबिक तमाम चुनौतियों के बावजूद बचाव दल ने मलबे में 24 मीटर तक ड्रिल करने में कामयाबी हासिल की है. यह एक अच्छी स्थिति है. बचाव दल जल्द से जल्द दूसरे छोर तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. इसमें कामयाबी के लिए हर संभाव काम किया जा रहा है. 

रोकना पड़ा ड्रिलिंग का काम

एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने ये भी कहा कि फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए बचाव दल को लगभग 60 मीटर की दूरी तय करनी है. हमारी टीम ने बीती पूरी रात लगातार काम किया. इस तरह 25 मीटर की गहराई तक ड्रिल करने में कामयाबी हासिल हुई. हालांकि, हमारी मशीन किसी मेटल के हिस्से से टकरा गई. फिर ड्रिलिंग का काम रोकना पड़ा. अधिकारियों ने ये भी कहा कि अब गैस कटर का उपयोग करके उस मेटल को काटने का प्रयास कर रही है, ताकि आगे का रास्ता साफ किया जा सके.

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