ZEE जानकारी: Exit Polls के बाद विपक्ष ने उठाने शुरू किए EVM पर सवाल
Advertisement
trendingNow1529049

ZEE जानकारी: Exit Polls के बाद विपक्ष ने उठाने शुरू किए EVM पर सवाल

 Exit Polls में बीजेपी की बड़ी जीत के संकेत मिलने के बाद विपक्षी पार्टियों ने ये आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बड़े पैमाने पर EVM बदली जा रही हैं. 

ZEE जानकारी:  Exit Polls के बाद विपक्ष ने उठाने शुरू किए EVM पर सवाल

Zee News के दर्शक बहुत ही ज़िम्मेदार नागरिक हैं और हमें यक़ीन है इस बार के लोकसभा चुनाव में आपने वोट ज़रूर दिया होगा. आप भयानक गर्मी में, कड़ी धूप में.. वोट वाली कतार में खड़े हुए होंगे. और जब आपने EVM पर बटन दबाकर अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट दिया होगा...तो आपको इस लोकतंत्र के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का ऐहसास हुआ होगा. 

इसके बाद आपने बड़े फक्र से अपनी उंगली पर वोट के निशान के साथ अपनी सेल्फी ली होगी और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया होगा. मतदान के दौरान देश के तमाम लोगों ने अपनी वोट वाली सेल्फी हमें भेजी थी. उस दिन आपने गर्व महसूस किया होगा. लेकिन कुछ नेता आपके इस पूरे योगदान को Fraud मानते हैं. और आपकी पूरी मेहनत को बर्बाद कर देना चाहते हैं. इस चुनाव के लिए भारत के 60 करोड़ लोगों ने घर से निकलकर अपना वोट डाला. 

इस बार लोकसभा चुनाव 40 दिनों में हुआ है. ये सात चरणों वाला चुनाव था. इस पर भी विपक्षी दलों ने कई सवाल उठाये...लेकिन क्या इतनी बड़ी प्रक्रिया को कमतर करके आंका जा सकता है, ये फ़ैसला हम आप पर छोड़ते हैं.

इस बार चुनाव में 22 लाख 30 हज़ार EVM इस्तेमाल हुई हैं. 
पूरे देश में इस बार 10 लाख 35 हज़ार से ज़्यादा पोलिंग स्टेशन बनाये गये थे.
इन पोलिंग स्टेशन्स पर 20 लाख सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया.
हर चरण में ढाई लाख से ज़्यादा केंद्रीय सुरक्षाबलों को एक जगह से दूसरी जगह वक़्त पर पहुंचाया गया.
इस बार चुनाव करवाने के लिए कम से कम एक करोड़ Polling Officers की तैनाती हुई. 
इसके लिये 250 से ज़्यादा ट्रेन्स, 22 हेलीकॉप्टर, 17 हज़ार बस, ट्रक और घोड़ों तक का इस्तेमाल किया गया.
भारत में कई जगह भौगोलिक स्थिति ऐसी हैं जहां सिर्फ़ नाव या जहाज़ से पहुंचा जा सकता है, वहां भी पोलिंग स्टाफ़ और सुरक्षाकर्मी पहुंचे...क्योंकि हर नागरिक का वोट क़ीमती है.
राजनीतिक पार्टियों ने भी चुनाव प्रचार पर ज़बरदस्त खर्च किया. 
इस पूरी प्रक्रिया में 50 से 60 हज़ार करोड़ रुपये खर्च हुए. 
ये दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बन चुका है क्योंकि अमेरिका में 2016 में राष्ट्रपति पद का जो चुनाव हुआ था...उसमें भी 35 हज़ार करोड़ रुपये ही ख़र्च हुए थे.
इतने बड़े अभियान को एक और नज़रिये से भी देखा जा सकता है.
वर्ष 1986-87 में भारतीय सेना ने एक सैन्य अभ्यास किया था जिसका नाम था 'Operation Brasstacks'. इस अभ्यास में क़रीब 8 लाख सैनिक शामिल हुए थे. ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद NATO यानी अमेरिकी और यूरोपीय देशों के सैन्य गुट के युद्ध अभ्यास से भी बड़ी exercise थी. और इस बार का चुनाव इससे भी बड़ा था.

इस लिहाज़ से चुनाव आयोग ने जो काम 40 दिन में करके दिखाया है...वो किसी भी मायने में महा युद्ध से कम नहीं है. इस पर हमें गर्व करना चाहिये. अब अगर बिना किसी आधार के, सीधे सीधे ये कह दिया जाए कि ये चुनाव सही नहीं है, इसमें बेईमानी हुई है, धांधली हुई है, तो लोकतंत्र का इससे बड़ा अपमान और क्या होगा?

शर्म की बात ये है कि आज देश के लोकतंत्र, आपकी मेहनत और आपके फ़ैसले का मज़ाक उड़ाया जा रहा है. Exit Polls में बीजेपी की बड़ी जीत के संकेत मिलने के बाद विपक्षी पार्टियों ने बड़ी ही चालाकी से ये आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बड़े पैमाने पर EVM बदली जा रही हैं. यानी पहले ये लोग EVM हैकिंग के आरोप लगाते थे लेकिन जब EVM हैकिंग वाली थ्योरी फेल हो गई तो EVM बदलने वाली थ्योरी तैयार कर ली गई. और इसे आधार बनाकर कई नेता यहां तक कह रहे हैं कि सड़कों पर खून खराबा हो सकता है. ये सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि विपक्ष नतीजों की आहट मिलने के बाद से ख़ौफ में है. अगर 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दिया जाये तो अब तक 113 विधानसभा चुनाव और 3 लोकसभा चुनावों में EVM का इस्तेमाल हो चुका है. और इनमें ज़्यादातर चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं, तो क्या विपक्ष उन नतीजों पर भी शक करेगा?

Exit Polls के बाद से ही विपक्ष के नेताओं की तरफ़ से EVM को लेकर शक पैदा करने वाला Propaganda चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पोस्ट किये जा रहे हैं जिनमें देश के कई शहरों में EVM बदलने की बात की जा रही है. हालांकि चुनाव आयोग ने आज एक बयान जारी करके कहा है कि EVM पूरी तरह सुरक्षित हैं.

लोकसभा चुनाव के नतीजे दो दिन बाद आएंगे, लेकिन लगता है कि विपक्ष, नतीजे आने से पहले ही हार गया है. ये सिर्फ़ हार का बहाना तलाशने वाली कोशिश नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को ज़ख़्म देने वाले वो विचार हैं जिनसे आज हम आपको सावधान करना चाहते हैं. 

EVM वाली राजनीति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए विपक्ष ने एक नई शब्दावली ढूंढ निकाली है . विपक्ष का आरोप है कि EVM को Swap किया जा रहा है, यानी बदला जा रहा है. आज ही EVM के मुद्दे पर विपक्ष के नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात तय की थी. 

आज सुबह से कुछ विशेष राजनीतिक दलों के समर्थकों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने ऐसे Video Share किए जिनमें ये दावा किया गया कि EVMs को बदलने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल किया जा रहा है . विपक्ष के नेता भी ज़ोर शोर से इन Videos को Viral करवाने में लग गए . 

EVM Swap होने की इन अफवाहों के बाद उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, चंदौली, डुमरियागंज, झांसी, सिद्धार्थनगर और मऊ में हंगामा शुरू हो गया . 
कुछ ज़िलों में EVM को लेकर BSP और SP के नेता और कार्यकर्ता उग्र हो गए . बड़ी चालाकी से बुद्धिजीवियों ने इस विरोध को भी अपने Propaganda का हिस्सा बना लिया.

यानी लोकतंत्र विरोधी Gang ने पहले खुद EVM को लेकर भ्रम और विवाद पैदा किया . और फिर इस पर होने वाले हंगामे का भी इस्तेमाल करते हुए अपने एजेंडे को और रफ्तार दी .  चुनाव आयोग ने हर घटना का संज्ञान लेकर स्थिति को स्पष्ट किया है . 

चुनाव आयोग ने बताया कि मतदान खत्म होने के बाद इस्तेमाल नहीं होने वाली EVMs को हटाया जाता है . सभी राजनीतिक दलों को सूचना देकर ही इन प्रक्रियाओँ का पालन किया जा रहा है . लेकिन EVMs हटाने के Video गलत सूचनाओं के साथ प्रचारित किए जा रहे हैं . चुनाव आयोग ने कहा कि झांसी में 30 अप्रैल के एक Video के आधार पर ये भ्रम फैलाया जा रहा है. आज चुनाव आयोग ने इस पर एक Press Note भी जारी किया है . 

चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण के बाद भी बुद्धिजीवियों ने Social Media पर अपना Propaganda जारी रखा . ये सब पूर्व-नियोजित लग रहा है . क्योंकि आज ही विपक्ष के नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात का दिन तय किया था . 

आज दोपहर में 22 विपक्षी दलों ने पहले दिल्ली में बैठक की और फिर चुनाव आयोग जाकर मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात की. वर्ष 2013 से ये परंपरा शुरू हुई थी कि हर चुनावी क्षेत्र में एक पोलिंग बूथ पर EVM पर दबाए गए बटन और पर्चियों का मिलान किया जाता है . ये मिलान मतगणना के आखिरी चरण में होता है . सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब हर चुनावी क्षेत्र में 5 पोलिंग बूथ में EVM और VVPAT की पर्चियों का मिलान किया जाएगा. विपक्ष के नेताओं ने चुनाव आयोग से मांग की है कि ये मिलान अब मतगणना के शुरू होने से पहले किया जाए . यानी सबसे पहले 5 बूथों पर मिलान किया जाए और अगर गड़बड़ है तो पूरे चुनाव क्षेत्र की EVM और VVPAT की पर्चियों का 100 प्रतिशत मिलान करवाया जाए . 

इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी . जिसमें ये मांग की गई थी कि EVM और VVPAT की पर्चियों का 100 फीसदी मिलान किया जाए . आज सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया है . 

इस बीच विपक्ष के कुछ नेता ऐसे भी है जो शायद भारत में वोटों की गिनती से पहले गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं . आज महागठबंधन के सहयोगी दल के एक नेता ने जनता को भड़काते हुए कहा कहा कि वो वोट की रक्षा के लिए हथियार भी उठाए और और सड़कों पर खून भी बहाए . 

ये सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि विपक्ष नतीजों की आहट मिलने के बाद से ख़ौफ में है . विपक्ष को ये एहसास हो गया है कि नतीजे उसके पक्ष में नहीं आ रहे हैं. इसलिए अब दूसरे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या यही अभिव्यक्ति की आज़ादी है? अगर ऐसे ही आरोप प्रत्यारोप लगते रहे तो इस देश में चुनावों का क्या भविष्य है ? 

EVM की विश्वसनीयता पर ये सवाल 2014 के चुनावों के नतीजे के बाद ही उठने शुरू हुए थे. तब देश में बीजेपी की सरकार बनी थी और कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी. इसके बाद देश में बहुत से विधानसभा चुनाव हुए और ज्यादातर चुनावों में बीजेपी ही जीती. कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने लगातार बीजेपी पर EVM हैक करने के आरोप लगाए. हालांकि इस बीच बहुत से ऐसे चुनाव भी हुए, जिनमें बीजेपी की हार हुई. 

जैसे 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव, 2015 में दिल्ली में भी विधानसभा के चुनाव हुए थे और यहां भी बीजेपी हारी थी.
फिर बीजेपी पंजाब में भी हारी.
इसके बाद बीजेपी हाल ही में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी हारी.
लेकिन नोट करने वाली बात ये है कि जब बीजेपी की हार हुई, तब EVM पर सवाल नहीं उठे.
लेकिन जैसे ही बीजेपी ने कोई चुनाव जीता, तो तुरंत कुछ राजनीतिक पार्टियों ने EVM पर सवाल उठा दिया. 

और Exit Polls के आंकड़े आते ही एक बार फिर EVM वाला जिन्न बाहर आ गया है. फर्क सिर्फ इतना है, कि पहले EVM Hacking के आरोप लग रहे थे. और अब विपक्षी पार्टियां EVM बदलने के आरोप लग रही हैं. वैसे प्रधानमंत्री मोदी ने 8 मई को मुझसे बातचीत के दौरान कह दिया था, कि विपक्षी पार्टियां नतीजे आने से पहले ही EVM वाली राजनीति शुरु कर चुकी हैं.

बुद्धिजीवी हमेशा खुद को निष्पक्ष बताते हैं और दूसरों पर सवाल खड़े करते हैं . लेकिन आज एक वीडियो, पक्षपाती और Selective सोच वाले बुद्धिजीवियों पर सवाल उठा रहा है. 

ये वीडियो Social Media पर Viral हो रहा है. ये किस बूथ का वीडियो है ? इसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते. हालांकि सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल के किसी पोलिंग बूथ का है . इस पोलिंग बूथ में मौजूद एक व्यक्ति लगातार वोट डाल रहे लोगों की निगरानी कर रहा है . हर बार जब भी कोई वोट डालने के लिए जाता है, तो वो व्यक्ति भी वोटर के साथ मौजूद रहता है और नज़र रखता है कि EVM का कौन सा बटन दबाया जा रहा है . ये भी बूथ कैप्चरिंग का ही एक तरीका है, जिस पर बुद्धिजीवी पूरी तरह से खामोश हैं . 

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से बेहतर कौन समझ सकता है. प्रणब मुखर्जी ने इमरजेंसी के दौर में संस्थानों को क़ब्ज़े में करने वाली राजनीति क़रीब से देखी है.

वो कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और रणनीति को भी बहुत बेहतर तरीक़े से समझते हैं. कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष EVM से लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है. ऐसे में प्रणब मुखर्जी ने दो दिनों में अपना दो तरह का नज़रिया सामने रखा है.

कल प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान चुनाव आयोग की बहुत तारीफ़ की थी. उन्होंने कहा था कि देश में चुनाव की प्रक्रिया बहुत ही शानदार तरीक़े से पूरी हुई है. देश में अगर लोकतंत्र सफल रहा है तो उसका श्रेय चुनाव आयोग को देना चाहिये. प्रणब मुखर्जी ने देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन का ज़िक्र किया और कहा कि सूकुमार सेन से लेकर आज के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा तक...सभी ने अच्छा काम किया है, इसकी आलोचना नहीं करनी चाहिये.

लेकिन आज प्रणब मुखर्जी ने एक लिखित बयान जारी करके EVM का मुद्दा उठाया है. उन्होंने लिखा है कि - मैं मतदाओं के फ़ैसले के साथ कथित छेड़छाड़ की Reports को लेकर चिंतित हूं. EVM की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की है, और जो भी अटकलें चल रही हैं, उनपर चुनाव आयोग को विराम लगाना चाहिये

आख़िर ऐसा क्या हुआ कि एक दिन पहले प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग की जो तारीफ़ की थी, वो नसीहत में बदल गई. देखा जाये तो प्रणब मुखर्जी ने किताब के विमोचन के वक़्त जो बात कही थी...वो कांग्रेस पार्टी को आईना दिखाने जैसी थी. उनके ये कंटीले शब्द कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को ज़रूर चुभे होंगे. ये भी मुमकिन है कि चुनाव आयोग की तारीफ़ राहुल गांधी को पंसद ना आई हो...और इसके बाद एक फ़ोन प्रणब मुखर्जी को भी आया हो.

प्रणब मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति EVM की शिकायतों पर जताई फ़िक्र
निष्पक्ष चुनाव की तारीफ़, 20-05-2019 21-05-2019))

 विपक्ष के नेता, चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन दुनिया भारत की चुनाव प्रक्रिया की तारीफ कर रही है . भारत में जर्मनी के नए राजदूत Walter J Lindner ((वाल्टर जे लिंडनर)) ने कहा है कि भारत में इतने बड़े चुनाव का आयोजन करना अपने आप में एक World Record है, उन्होंने सफल चुनाव के आयोजन के लिए भारत को बधाई दी है .

अब सवाल ये है कि क्या EVM से छेड़छाड़ करना और EVM को बड़े पैमाने पर बदलना संभव है . चुनाव आयोग ने EVM की सुरक्षा की एक प्रक्रिया तय की है . अगर आपको इस प्रक्रिया की जानकारी होगी तो आप भी ये बात बहुत आसानी से समझ जाएंगे कि EVM की सुरक्षा अभेद्य है . इसमें किसी समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है.

आज हम आपको 21 साल पुरानी तस्वीरें भी दिखाना चाहते हैं . ये तस्वीरें इस बात की गवाही देती हैं कि भारत में कैसे बूथ कैप्चरिंग के ज़रिए चुनाव जीते जाते थे, और लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया जाता था. 

ये तस्वीरें बताती हैं कि उस ज़माने में हमारे देश में लोकतंत्र का मज़ाक कैसे उड़ता था. हमारे देश के नेता, बाहुबलियों के दम पर, दशकों तक बूथ लुटवाते रहे, और चुनाव जीतते रहे. कभी डरा धमकाकर वोट लिया, कभी पैसा देकर वोट लिया तो कभी रिश्वत देकर वोट खरीदा..और देश की जनता ये समझती रही कि हमारी सरकारें लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई हैं. 

इन तस्वीरों में आपने देखा कि कैसे छोटे छोटे बच्चे भी वोट दे रहे हैं. ये तस्वीरें 1998 में हुए लोकसभा चुनावों की हैं और जगह है पटना का एक इलाका. जहां बैलेट बॉक्स किसी पोलिंग बूथ में नहीं बल्कि किसी सुनसान जगह पर रखा हुआ है. और वहां फर्ज़ी वोटिंग हो रही है. आज हमने आपको ये तस्वीरें इसलिए दिखाईं, क्योंकि हमारे देश की कुछ राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर से देश को.. बूथ कैप्चरिंग वाले इसी युग में ले जाना चाहती हैं. 

ये लोग EVM का विरोध करते हैं, उस पर सवाल उठाते हैं और देश में एक बार फिर बैलेट से चुनाव करवाने की मांग करते हैं. लेकिन ऐसे लोगों को हम एक बयान सुनाना चाहते हैं. ये बयान उस चुनाव अधिकारी का है, जिसका बूथ लूटा गया. बूथ लूटने वाले लुटेरों ने इस अधिकारी का क्या हाल किया?... आप खुद ये सुनिए और इस अधिकारी की मजबूरियों का अंदाज़ा लगाइये.

Trending news