ZEE जानकारी: राफेल, राहुल गांधी और आधा सच!
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ZEE जानकारी: राफेल, राहुल गांधी और आधा सच!

The Hindu. नामक अखबार ने आज अपने Front Page पर... रफाल रक्षा सौदे को लेकर... एक ख़बर प्रकाशित की है . 

ZEE जानकारी: राफेल, राहुल गांधी और आधा सच!

सत्य के मुकाबले... अर्धसत्य.... ज़्यादा आकर्षक होता है, ज़यादा खतरनाक होता है और ज़्यादा तेज़ी से फैलता है. आपने अब तक Doctored Video के बारे सुना होगा.. लेकिन आज हम आपको Doctored दस्तावेज़ दिखाएंगे. इन दस्तावेज़ों की मदद से आज एक अंग्रेज़ी अखबार ने, पूरे देश को भ्रमित कर दिया और रफाल के विवाद पर एक अर्धसत्य पूरे देश में ट्रेंड करने लगा. इस अखबार ने अपनी ख़बर से ये संकेत दिया कि रक्षा मंत्रालय.. रफाल रक्षा सौदे को कमज़ोर किए जाने के खिलाफ.. प्रधानमंत्री कार्यालय का विरोध कर रहा था.

लेकिन अर्धसत्य की उम्र बहुत छोटी होती है. जल्द ही ये सच सामने आ गया कि अखबार ने जो दस्तावेज़ छापा उसमें कांट-छांट की गई थी और रक्षा मंत्री की टिप्पणी को बड़ी चालाकी से छिपा लिया गया था. 

हमारे देश में ऐसे कार्य करने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए उन्हें.. पत्रकार के बजाए, कलाकार कहा जाता है. ये वो लोग हैं जो सच के प्रति शक पैदा करने में बहुत माहिर हैं, ये लोग खुद को सच का ठेकेदार कहते हैं और ये समझते हैं कि सच पर उन्हीं का कॉपीराइट है. जो ये लिखेंगे और जो ये बताएंगे, देश वही सुनेगा

The Hindu. नामक अखबार ने आज अपने Front Page पर... रफाल रक्षा सौदे को लेकर... एक ख़बर प्रकाशित की है . इसमें रफाल सौदे पर सवाल खड़े करने की कोशिश की गई है . लेकिन जिस दस्तावेज के आधार पर ये पूरी Report को तैयार की गई है . वो दस्तावेज ही Doctored है . यानी दस्तावेज को पूरा नहीं दिखाया गया. बल्कि इस दस्तावेज को कांट-छांट कर, लोगों के सामने पेश किया गया. 

इस ख़बर की Headline है... Defence Ministry protested against PMO undermining Rafale negotiations 

इसका मतलब ये हुआ कि रक्षा मंत्रालय ने रफाल सौदे को कमज़ोर किए जाने के खिलाफ... PMO का विरोध किया था. इस Headline से ये संकेत दिया गया है कि रफाल मामले पर जारी बातचीत में PMO हस्तक्षेप कर रहा था और इसकी वजह से इस सौदे में भारत का पक्ष कमज़ोर हुआ है .

लेकिन जिस आधार पर इस ख़बर को खड़ा किया गया है वो बुनियाद ही बहुत कमज़ोर है . जिस दस्तावेज के आधार पर खबर को तैयार किया गया है... उस दस्तावेज के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को इस अखबार ने देश की जनता से छुपा लिया.

इस अखबार ने अपनी खबर को रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन Deputy Secreatary S K Sharma के एक Note के आधार पर तैयार किया है . ये Note तो एक ही है लेकिन आज देश के सामने इसके दो Versions मौजूद हैं. 
इनमें से एक है वो Doctored दस्तावेज़ जिसे अखबार ने प्रकाशित किया और दूसरा है वो सच्चा दस्तावेज़ जिसे कांट छांटकर छापा गया. 

आप इसे एक अर्धसत्य भी कह सकते हैं . अर्धसत्य एक खाद की तरह होता है जो झूठ की फसल को ऊर्जा प्रदान करता है . अर्धसत्य और Doctored दस्तावेज़ों वाली पत्रकारिता देश के लिए बहुत हानिकारक है . लेकिन अर्धसत्य की एक खासियत ये भी है कि ये एजेंडा चलाने वालों को बहुत ऊर्जा देता है.

इस अर्धसत्य में इतना आकर्षण था कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी अपने आपको रोक नहीं पाए और बहुत उत्साहित हो गए . उन्होंने सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन... किया. और रफाल के सौदे पर कई सवाल खड़े कर दिए . पहले आप... राहुल गांधी के इस युवा जोश पर गौर कीजिए... इसके बाद हम दस्तावेजों को कांट छांट कर प्रकाशित करने वाली पत्रकारिता को Expose करेंगे . 

हमारे देश के राजनेताओं का स्वभाव पूरी दुनिया जानती है . वो अपने राजनीतिक लाभ को ही शाश्वत सत्य मानते हैं . लेकिन हमारा ये कर्तव्य है कि हम आपको पूरी बात बताएं . 

सबसे पहले आपको ये समझना होगा कि आखिर The Hindu ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा क्या लिखा है जिससे पूरी कांग्रेस पार्टी में उत्साह की लहर दौड़ गई. 
इस अखबार ने अपनी खबर की शुरुआत में ही लिखा है कि 

France की टीम ने PMO द्वारा की जा रही.. समानांतर बातचीत का लाभ उठाया है, जिसकी वजह से इस सौदे में भारत की स्थिति कमज़ोर हुई. 

ये वर्ष 2015 और 2016 की बात है. तब भारत और फ्रांस की सरकार, रफाल लड़ाकू विमान के सौदे को लेकर बातचीत कर रही थी . दोनों देशों के सरकारों की तरफ से एक Team का गठन किया गया था... जो रक्षा सौदे पर बातचीत कर रही थी . उस वक्त देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर थे . 

इस अखबार ने अपनी खबर को रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन Deputy Secreatary S K Sharma के एक Note के आधार पर तैयार किया है . ये Note तो एक ही है लेकिन आज देश के सामने इसके दो रूप मौजूद हैं... एक वो Doctored दस्तावेज़ है जो इस अखबार ने प्रकाशित किया है और दूसरा ये पूरा शुद्ध सच्चा Document है . हमारे पास एक ही Document के ये दोनों रूप मौजूद हैं और हम इनका पूरा विश्लेषण करेंगे.

The Hindu ने जो Document जनता के सामने रखा है उसमें Para Number 5 में लिखा है कि ये स्पष्ट है कि PMO द्वारा इस समानांतर बातचीत से रक्षा मंत्रालय और भारत की टीम की बातचीत करने की स्थिति कमज़ोर हुई है . हम PMO को ये सलाह देते हैं कि वो अधिकारी जो भारत की टीम का हिस्सा नहीं हैं . उन्हें फ्रांस की सरकार के अधिकारियों के साथ समानांतर बातचीत से बचना चाहिए . अगर PMO रक्षा मंत्रालय के द्वारा की जा रही बातचीत से निकलने वाले परिणाम को लेकर आश्वस्त नहीं है . तो उचित स्तर पर PMO के नेतृत्व में बातचीत में संशोधन को स्वीकार किया जा सकता है . 

Deputy Secretary S K Sharma के Note को तत्कालीन Defence Secretary G. मोहन कुमार ने आगे बढ़ाते हुए.. रक्षा मंत्री को लिखा कि रक्षा मंत्री कृपया देखें... इस तरह की बातचीत से PMO को बचना चाहिए . इससे हमारी बातचीत की क्षमता कमजोर होती है . 

अखबार ने अपने Note के सिर्फ़ उन्हीं हिस्सों को प्रकाशित किया है जिसमें 
Deputy Secretary और Defence Secretary ने PMO के अधिकारियों द्वारा बातचीत पर चिंता ज़ाहिर की है . लेकिन इसके बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जो निर्देश दिए हैं . उसको इस अखबार ने छुपा लिया गया है . 

ये रक्षा मंत्रालय का पूरा Note है . इसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का जवाब और निर्देश भी शामिल है . मनोहर पर्रिकर ने लिखा है कि 

प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांस के राष्ट्रपति का कार्यालय पूरे मामले की प्रगति की निगरानी कर रहा है ये बात भारत और फ्रांस की Summit Meeting में हुई थी . Para Number 5 में जो लिखा गया है वो Over Reaction यानी जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया है . Defence Secretary इस मामले को प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव से बात करके हल कर सकते हैं . 

The Hindu ने जिस एक Page के Document के आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की . अगर वो पूरा प्रकाशित कर दिया जाता... तो रफाल मामले पर आज कोई विवाद खड़ा नहीं होता . लेकिन अखबार ने ख़बर को सनसनीखेज़ बनाने के लिए तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के जवाब को ही छुपा लिया . 

आश्चर्य की बात ये है कि इसी अखबार ने Defence Secretary की उस बात को प्रकाशित किया है... जिसमें Defence Secretary ये कह रहे हैं कि कृपया रक्षा मंत्री देखें . तब.... रक्षा मंत्री ने जो जवाब उसी Note के नीचे लिखा है... उसे इस अखबार ने क्यों नहीं प्रकाशित किया ? ये बहुत बड़ा सवाल है जिसका इस अखबार के पास कोई जवाब नहीं है . 

जब अखबार से बार-बार ये सवाल पूछा गया तो अखबार की तरफ से जवाब दिया गया कि ये उनकी मर्ज़ी है कि वो क्या दिखाएं और क्या नहीं दिखाएं ? क्या देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में इस तरह के रवैये को सही ठहराया जा सकता है ? ये देश के वो महात्वाकांक्षी पत्रकार हैं जो पूरे आत्मविश्वास के साथ सच की ठेकेदारी करते हैं . इन्हें लगता है कि वो देश को जो बताएंगे... जो दिखाएंगे... देश उसी पर भरोसा कर लेगा . 

पत्रकारिता का सबसे बड़ा आदर्श ये है कि मामले के सभी पक्षों से बात की जानी चाहिए . लेकिन यहां अखबार ने अपनी खबर प्रकाशित करने से पहले रक्षा मंत्री के पक्ष को ही हटा दिया . अखबार की तरफ से ये सफाई दी गई कि मनोहर पर्रिकर बीमार है इसलिए उनसे बात नहीं की गई . लेकिन इस सवाल का क्या जवाब है कि पूरे मामले पर तत्कालीन रक्षा मंत्री के निर्देशों को ही खबर से हटा दिया गया . 

यहां महत्वपूर्ण बात ये भी है कि एक रक्षा सौदे को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति के कार्यालय और भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय के बीच अगर आपस में बातचीत हो रही है तो इस पर आपत्ति क्या है ? ये बात एक बार फिर ध्यान देने वाली है कि बातचीत रक्षा सौदे में दलाली करने वाले किसी व्यक्ति से नहीं हो रही थी . ये रक्षा सौदा... दो सरकारों के बीच किया गया था और दो सरकारें ही आपस में बातचीत कर रही थीं . लेकिन इन मूल प्रश्नों का जवाब आज किसी ने नहीं दिया. सिर्फ़ सनसनी पैदा करने के लिए और सच के प्रति शक पैदा करने के लिए देश के रक्षा सौदे पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं . सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इस तरह का रुख... देश की सुरक्षा के प्रति संवेदनहीनता को दिखाता है .

इस अखबार ने तत्कालीन Defence Secretary G. मोहन कुमार के Note के आधार पर इस खबर को तैयार किया है . लेकिन मोहन कुमार ने इस अखबार की पूरी खबर को ही खारिज कर दिया है . 

मोहन कुमार ने एक बयान जारी किया है.. और कहा है कि रक्षा मंत्रालय के Note का कीमतों से कोई लेना-देना नहीं था . ये Note सामान्य नियम और शर्तों के बारे में था . 

बड़ी बात ये है कि इस रक्षा सौदे पर विवाद खड़ा करने वाले लोग लगातार अपने बयान बदल रहे हैं . पहले ये कहा गया कि रफाल विमान की कीमत बहुत ज्यादा है.. इसमें घोटाला किया गया है . फिर ये कहा गया कि इसमें उद्योगपति अनिल अंबानी को लाभ पहुंचाया गया है. इसके बाद ये सवाल पूछा गया कि सिर्फ़ 36 रफाल विमानों का सौदा क्यों किया गया ? लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पूरे मामले को नए सिरे से उठाया गया है और रफाल सौदे की शर्तों पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है . ताकि चुनाव से पहले ये सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाए

अखबार ने अर्धसत्य के जो बीज सुबह बोए थे . वो दोपहर 12 बजे तक झूठ की फसल बनकर लहलहाने लगे . सुबह करीब साढ़े 10 बजे कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस अर्धसत्य वाली रिपोर्ट पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सुबह 11 बजे जब लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही शुरू हई तो इस पर सुनियोजित तरीके से हंगामा किया गया . सदन में 'चौकीदार चोर है' के नारे लगाए गए . और इसके बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले पर जवाब दिया.

अधूरा ज्ञान ख़तरनाक होता है. लेकिन उससे भी ख़तरनाक स्थिति तब पैदा हो जाती है, जब अधूरे ज्ञान के चक्कर में लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते. और कई बार ऐसी बातें कह देते हैं, जो उन्हें कभी नहीं कहनी चाहिए. आज रफाल के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने भी एक संवेदनहीन बात कह दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी देश के जवानों और वायुसेना के Pilots को संबोधित कर रहे थे. और इसी दौरान उन्होंने कथित तौर पर 30 हज़ार करोड़ रुपये की चोरी की बात कही. और देश के सैनिकों से कहा, कि इन पैसों का इस्तेमाल उनकी सुरक्षा के लिए हो सकता था. इन पैसों को उनके परिवार को दिया जा सकता था. और ये 30 हज़ार करोड़ रुपये वायुसेना के उन Pilots को मिल सकते थे, जो भविष्य में किसी Plane Crash में मारे जाते. 

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