ZEE जानकारी: नागरिकता संशोधन विधेयक से किसको होगा फायदा?
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ZEE जानकारी: नागरिकता संशोधन विधेयक से किसको होगा फायदा?

कल रात लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पास कर दिया गया था. और आज दिन भर इस पर राजनीतिक और गैर राजनीतिक बहस होती रही और देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए.

ZEE जानकारी: नागरिकता संशोधन विधेयक से किसको होगा फायदा?

कल रात लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पास कर दिया गया था. और आज दिन भर इस पर राजनीतिक और गैर राजनीतिक बहस होती रही और देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. आज हम इस बिल की अहम बातों को आसान भाषा में आपको समझाएंगे. इसलिए अगर आप इसे लेकर कोई राय बनाने वाले हैं तो उससे पहले हमारा आज का ये विश्लेषण आपको ध्यान से देखना चाहिए. आज देश की राजधानी दिल्ली से लेकर असम तक इस बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए . इनमें दिल्ली, असम , अरुणाचल प्रदेश , त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, और चेन्नई जैसे शहर और राज्य शामिल थे.

असम में आज इस बिल के विरोध में नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ने 12 घंटे का बंद रखा . इसके अलावा गुवाहाटी में आगजनी की घटनाएं भी हुईं. गुवाहाटी में आज असम के शिक्षा मंत्री की कार पर भी हमला करने की कोशिश की गई. इसके अलावा डिब्रूगढ़ और गोलाघाट में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भी प्रदर्शनों के बाद...सरकार ने प्रभावित इलाकों में अगले 48 घंटों के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा पर भी प्रतिबंध लगा दिया है .

प्रदर्शनों की ऐसी ही तस्वीरें..मेघालय की राजधानी इम्फाल से भी आई हैं. ये प्रदर्शन उस देश में हो रहे हैं जो एक गणराज्य है यानी Republic है. जहां जनता द्वारा चुनी गई सरकार. जनता के हितों के लिए काम करती हैं और धर्म इसके आड़े नहीं आता . जबकि पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है..और वहां सिर्फ एक धर्म को मानने वाले लोग ही. आराम की जिंदगी जी सकते हैं.सरकार नागरिकता संशोधन बिल को देर से उठाया गया सही कदम बता रही है . लेकिन विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है . ऐसे में आपके लिए जानना जरूरी है इस बिल के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क दिए जा रहे हैं .

विपक्ष का आरोप है कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है . सबसे पहले आपको ये बता देते हैं कि अनुच्छेद 14 क्या है ? संविधान का ये अनुच्छेद देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. इसका मतलब ये हुआ कि भारत के सभी नागरिक कानून की नजरों में समान हैं और किसी भी नागरिक के साथ जाति,धर्म या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा .

विपक्ष के आरोप पर सरकार का तर्क है कि नागरिकता संशोधन बिल किसी एक धर्म के लिए नहीं लाया गया है . ये धार्मिक रूप से प्रताड़ित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए लाया गया है. सरकार का कहना है कि अनुच्छेद 14 का उल्लघंन तब होता, जब सिर्फ हिंदुओं को, या किसी भी एक समुदाय को नागरिकता दी जाती. इसे Reasonable Classification बताते हुए सरकार ने कहा है कि ...इस आधार पर कानून बनाने से समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है . सरकार ने 1971 का उदाहरण देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लाखों शरणार्थियों को इसी आधार पर रहने की इजाज़त दी थी . इसी आधार पर युगांडा से आए शरणार्थियों को भी नागरिकता दी गई .

विपक्ष का सवाल ये भी है कि सिर्फ गैर-मुस्लिमों को ही नागरिकता क्यों दी जा रही है ?
इस पर सरकार का तर्क ये है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश...तीनों इस्लामिक देश हैं...और वहां हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी और सिख अल्पसंख्यक माने जाते हैं, जिनका वहां धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है . वहां अल्पसंख्यकों का धर्म परिवर्तन कराया गया है, उनके परिवार की महिलाओं से बलात्कार और उनकी हत्या की जा रही है.

सरकार का तर्क है कि... ऐसे में भारत ही ऐसा देश है जो उन अल्पसंख्कों के धर्म,संस्कृति और जीवन की रक्षा कर सकता है. इसलिए उन्हें नागरिकता दी जानी चाहिए .सरकार का जवाब ये है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम नागरिको को भारत की नागरिकता देने के कानून में कोई बदलाव नही किया जा रहा है . यानि अगर वो भारत की नागरिकता चाहते हैं तो उन्हे पुरानी प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा और उसके बाद उन्हें नागरिकता मिल जाएगी.

विपक्ष का ये भी कहना है कि म्यामांर मे रोहिंग्या मुस्लिमों पर भी तो धार्मिक अत्याचार हुए हैं .इसी तरह शिया,अहमदिया और बलोच पर अत्याचार हो रहे हैं . तो फिर उन्हें इस बिल में शामिल क्यों नहीं किया गया है ? इस पर सरकार का तर्क है कि विपक्ष को घुसपैठिए और शरणार्थी में अंतर समझना होगा. रोहिंग्या मुस्लिमों ने भारत में बांग्लादेश से होते हुए घुसपैठ की और भारत के कई हिस्सों में आ गए . सरकार का ये भी तर्क है कि अहमदिया, बलोच और शिया के साथ धार्मिक आधार पर अत्याचार नहीं हो रहे हैं, वो POLITICAL VICTIM हैं ...यानी उनपर जो अत्याचार हो रहे हैं,वो राजनीतिक वजहों से हो रहे हैं .

भारतीय नागरिकता हासिल कर चुके गायक अदनान सामी ने इस बिल का समर्थन किया है . अदनाम सामी ने ट्वीट कर के कहा है कि...'इस्लामिक देशों में मुस्लिमों पर धार्मिक आधार पर अत्याचार नहीं होता है . पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिमों का उनके मजहब के चलते कोई उत्पीड़न नहीं हुआ है.' पाकिस्तान का नाम लिए बिना अदनान सामी ने कहा है कि 'भारत के आंतरिक मामले में किसी भी देश को टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है . उनका कहना है कि कोई व्यक्ति अपने घरे में किसे एंट्री देना चाहता है, इसपर फैसले का अधिकार उस घर के मालिक को ही है .

इसी तरह पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतह ने कहा है कि...भारत को ये फैसला करने का हक है कि... वो अपने देश में किसे नागरिकता दे .कुछ लोगों का कहना है कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाने के लिए सरकार अचानक इस बिल को लेकर आई है...ताकि देश में हिंदू-मुस्लिम की बहस छिड़ जाए.लेकिन, बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में ही नागरिकता कानून में संशोधन करने का वादा किया था .

और इस घोषणा पत्र के मुताबिक ही 19 जुलाई 2016 को सरकार ने लोकसभा में ये बिल पेश भी किया था .8 जनवरी 2019 को ये बिल लोकसभा मे पास भी हो गया था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की वजह से बिल पास नही हो सका था . अब दोबारा सरकार बनने के बाद दूसरे ही सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पास करा लिया, और कल इसे राज्यसभा मे पेश किया जाएगा

कुछ लोग ये भी सवाल खड़ा कर रहे हैं कि असम में NRC यानी National Register of Citizens के बाद ही सरकार नागरिकता संशोधन बिल क्यों लेकर आई . असम में NRC लागू होने के बाद वहां के 19 लाख लोगों के नाम नागरिकता रजिस्टर में नहीं थे, जिनमें ज्यादातर बांग्लादेशी हिंदू थे . कहा जा रहा है कि नागरिकता संशोधन बिल लागू होने से उन लाखों लोगों को भी नागरिकता मिल जाएगी .
राज्यसभा में भी बिल के पास हो जाने के बाद ये कानून बन जाएगा . माना जाता है कि इस कानून से भारत में रह रहे करीब 2 करोड़ शरणार्थियों को यहां की नागरिकता मिल जाएगी .

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