ZEE जानकारी: सुबह हाथ में तिरंगा और शाम को आगजनी क्यों?
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ZEE जानकारी: सुबह हाथ में तिरंगा और शाम को आगजनी क्यों?

आज देश के कई शहरों में जुम्मे की नमाज़ के नाम पर जब लोग इकट्ठा हुए तो ये भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई इसलिए सबसे पहले आपको हिंसा की ये तस्वीरें देखनी चाहिए. पहली तस्वीर देश की राजधानी दिल्ली की है. सुबह तक जिस प्रदर्शन को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कहा जा रहा था. शाम होते होते कथित अमन पसंद लोगों ने उसे हिंसा और आगजनी में बदल दिया और दंगाइयों ने दरियागंज के पास ख़ड़ी एक गाड़ीं में आग लगा दी.

ZEE जानकारी: सुबह हाथ में तिरंगा और शाम को आगजनी क्यों?

आज शाम देश की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में हिंदू कुश पहाड़ थे. ये पहाड़ दिल्ली से 1 हज़ार किलीमीटर की दूरी पर हैं. हिंदू-कुश का अर्थ है..वो पहाड़ जो हिंदू बहुसंख्या वाले भारत को मध्य एशिया से अलग करते हैं लेकिन आज देश के ही हिदूं और मुसलमानों के बीच एक नफरत का पहाड़ खड़ा किया जा रहा है और ये पहाड़ देश में हो रही हिंसा, आगजनी और सांप्रदायिक दंगों का केंद्र है. इसलिए आज हम नफरत के इस पर्वत को गिराने वाला एक विश्लेषण कर रहे हैं. आज शाम को आया भूकंप देश की जनता के लिए एक संदेश है. मौत और भूकंप पूरी तरह से धर्म निरपेक्ष हैं. मौत मुसलमानों और हिंदुओं, अमीरों और गरीबों को शिकार बनाते हुए उनमें भेदभाव नहीं करती जबकि जीवन और सुख, लोगों को जाति-पाति में बांटता है. सांप्रदायकिता में बांटता है. जो भूकंप आज देश को छू कर गया है..वो इस बात की भी घोषणा है कि मृत्यु ही अंतिम सत्य है.

आज शुक्रवार है. आज के दिन देश भर के मुसलमान जुम्मे की नमाज़ पढ़ते हैं और जुम्मे का अर्थ होता है लोगों का समूहों में इकट्ठा होना लेकिन आज देश के कई शहरों में जुम्मे की नमाज़ के नाम पर जब लोग इकट्ठा हुए तो ये भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई इसलिए सबसे पहले आपको हिंसा की ये तस्वीरें देखनी चाहिए. पहली तस्वीर देश की राजधानी दिल्ली की है. सुबह तक जिस प्रदर्शन को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कहा जा रहा था. शाम होते होते कथित अमन पसंद लोगों ने उसे हिंसा और आगजनी में बदल दिया और दंगाइयों ने दरियागंज के पास ख़ड़ी एक गाड़ीं में आग लगा दी.

इस दौरान प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा. ये तस्वीरें देखकर आप सोचिए..जिन लोगों के हाथ में दिन भर तिरंगा था. गांधी जी और भगत सिंह जैसे महापुरुषों के पोस्टर्स और संविधान की प्रतियां थी..वो लोग शाम होते-होते कैसे सांप्रयादिक दंगे फैलाने में जुट गए. हिंसा की ऐसी ही तस्वीरें उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से भी आईं. जहां नमाज़ पढ़कर निकली भीड़ बेकाबू हो गई. इस भीड़ ने पत्थरबाज़ी शुरू कर दी और गाड़ियों में आग भी लगा दी. गोरखपुर में भी ठीक ऐसा ही हुआ. नमाज़ के बाद, भीड़ पत्थरबाज़ी करने लगी. आप इन तस्वीरों को देखेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे ये उत्तर प्रदेश के शहरों की नहीं..बल्कि कश्मीर के लाल चौक की तस्वीरें हैं. मेरठ में भी नमाज़ पढ़कर निकली भीड़ ने पुलिस पर पत्थर बरसाए और एक पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई. गाजियाबाद में भीड़ ने पुलिस पर हमला किया. हंगामा करने की कोशिश की और छतों से पुलिस वालों के ऊपर पत्थर और ईंट फेंकी. 

मुजफ्फरनगर में भी पुलिस भीड़ को काबू करने की कोशिश करती रही लेकिन लोग शांत नहीं हुए. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने लाउड स्पीकर पर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा की वजह से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान भी हुआ है लेकिन फिर भी अफवाहों और खौफ के सहारे देश के हर शहर में हिंसा फैलाने की कोशिश की जा रही है. अब इन तस्वीरों को देखकर आप खुद सोचिए कि क्या. ये शांतिपूर्ण प्रदर्शन है क्या वाकई ये संविधान बचाने की कोशिश है. हमें लगता है कि ये संविधान बचाने की नहीं बल्कि संविधान को तोड़ने की कोशिश है और इस कोशिश की वजह से देश को भ्रम वाले भूकंप के झटके लग रहे हैं. दिल्ली और दूसरे शहरों में हुई हिंसा को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है और प्रार्थना के दिन को दंगों वाले दिन में बदल दिया गया. 

दिल्ली जैसे शहरों में आम लोगों को परेशान किया गया. कई रास्ते रोक दिए गए. Metro Stations भी बंद कर दिए और ये सब हुआ..संविधान बचाने के नाम पर. आज दोपहर दिल्ली की जामा मस्जिद में जो भीड़..नमाज़ पढ़ने के लिए दाखिल हुई. वो नमाज़ के बाद, सरकार के खिलाफ मोर्चे में बदल गई. एक लोकतांत्रिक देश में शातिपूर्ण प्रदर्शनों से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन अब इस भीड़ को देखकर अंदाज़ा लगाइए, कि क्या ये एक शहर को बंधक बनाने की साजिश नहीं है?

गौर करने वाली बात ये है कि इन प्रदर्शनकारियों के हाथ में तिरंगे थे और ये लोग संविधान बचाने के नारे लगा रहे थे लेकिन कुछ मुट्ठीभर लोगों को छोड़ा दिया जाए तो किसी को इस बात की पहवाह नहीं थी कि उनके इस प्रदर्शन से दिल्ली के लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. देशभर के पुलिस वाले इन हिंसक प्रदर्शनों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और आप कह सकते हैं कि आज की तारीख में इन पुलिसवालों का काम सबसे मुश्किल है. पुलिस वाले दंगाइयों को रोकने के लिए अगर बल प्रयोग करते हैं..तो इनका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया जाता है और अगर पुलिस वाले दंगाइयों को नहीं रोकते हैं तो पुलिस वालों की ही पिटाई कर दी जाती है. 

कल गुजरात के अहमदाबाद से भी ऐसी ही तस्वीरें आई थी. जहां एक पुलिस वाले को अकेला देखकर भीड़ ने हमला कर दिया और बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी. आप इन पुलिस वालों की बातें सुनकर और इन तस्वीरों को देखकर सोचिए कि अपने कर्तव्यों का पालन करते वक्त, हमारे देश की पुलिस कई बार कितनी असहाय हो जाती है. आज की स्थिति में पुलिस वालों और उनके परिवारों की जिंदगी सबसे मुश्किल है. इन पुलिसवालों के परिवार ये सोचते होंगे कि ड्यूटी पर गया उनके परिवार का सदस्य वापस आएगा भी या नहीं?

आज आप गाजियाबाद से आई एक तस्वीर भी देखिए. इसमें आपको एक पुलिस वाला अपना काम करता हुआ दिखाई दे रहा है और अचानक उसके चेहरे पर आकर एक ईंट लगती है. ये ईंट एक घर की छत से फेंकी गई थी. दो दिन पहले दिल्ली के जाफराबाद से भी ऐसी ही तस्वीरें आईं थी. जब भीड़ में फंसा एक पुलिस वाला आगे-आगे दौड़ रहा था और दंगाई उसे मारने के लिए पीछे पीछे दौड़ रहे थे. 16 दिसंबर को लखनऊ के नदवा कॉलेज से पुलिस पर हमले की तस्वीरें आईं थी. कॉलेज के गेट पर पुलिसवाले खड़े थे, तभी उनपर छात्रों पर पत्थरबाजी की थी. यानी पुलिस वालों पर कब कौन कहां से हमला कर देगा. ये कहा नहीं जा सकता.  फिर भी हमारे देश के कुछ लोग..पुलिस वालों की आलोचना कर रहे हैं और उन पर बर्बरता के आरोप लगा रहे हैं. 

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जब भी सड़क पर हज़ारों लोगों की भीड़ विरोध-प्रदर्शन करती है तो मीडिया अक्सर इनसे दूरी बनाकर रखता है. आपने अक्सर ऐसे Reporters को कवरेज करते हुए देखा होगा. जो भीड़ से दूर, किसी बिल्डिंग की छत पर खड़े होकर रिपोर्टिंग करते हैं। ताकि उन्हें कोई दिक्कत ना हो लेकिन Zee News हमेशा ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग करता है. इसलिए आज जब दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज के बाद नागरिकता कानून के खिलाफ नारेबाजी शुरु हुई तो Zee News ने लोगों की भीड़ के बीच जाकर एक साहसिक रिपोर्टिंग की है.

दिल्ली के एक और इलाके सीलमपुर में भी आज लोग इस कानून का विरोध करने के लिए सड़कों पर इकट्ठा हुए. 18 दिसंबर को इसी इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुआ था लेकिन आज यहां पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन हुए. एक अच्छी बात ये रही कि भीड़ में कई लोगों को CAA के बारे में पूरी जानकारी थी और कुछ ऐसे भी थे जिन्हें सरकार पर भरोसा नहीं था. यहां भी Zee News के रिपोर्टर ने लोगों से बात की और CAA के बारे में उनके मन के डर को भी दूर किया. जामा मस्जिद के आस-पास कई प्रदर्शनकारी इस कानून का विरोध करते-करते मीडिया का विरोध करने लगे। ये एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि Zee News के रिपोर्टर वहां पर जनता से बात करने और उनकी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए मौजूद थे. 

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