ZEE जानकारी: दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल आंदोलन से 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' सदमे में
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ZEE जानकारी: दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल आंदोलन से 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' सदमे में

आज हम देश के एक करोड़ लोगों को कोटि कोटि प्रणाम करना चाहते हैं. ये वो एक करोड़ लोग हैं जिन्होंने इतिहास रच दिया है और नया World Record बना दिया है. अगर आपने भी पिछले 7 दिनों में Zee News द्वारा जारी किए गए नंबर्स पर फोन करके नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में अपनी राय दर्ज कराई है तो फिर आपके नाम भी एक नया World Record दर्ज हो गया हैं क्योंकि ये दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल जनमत संग्रह है. 

ZEE जानकारी: दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल आंदोलन से 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' सदमे में

आज हम देश के एक करोड़ लोगों को कोटि कोटि प्रणाम करना चाहते हैं. ये वो एक करोड़ लोग हैं जिन्होंने इतिहास रच दिया है और नया World Record बना दिया है. अगर आपने भी पिछले 7 दिनों में Zee News द्वारा जारी किए गए नंबर्स पर फोन करके नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में अपनी राय दर्ज कराई है तो फिर आपके नाम भी एक नया World Record दर्ज हो गया हैं क्योंकि ये दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल जनमत संग्रह है. 

सिर्फ 7 दिनों में Zee News के इस अभियान को 1 करोड़ 10 हज़ार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल चुका है. इसलिए आज हम टुकड़े-टुकड़े गैंग को बताएंगे कि एक करोड़ भारतीयों की ताकत क्या होती है. लेकिन सबसे पहले आप संक्षेप में ये जान लीजिए कि ये एक करोड़ लोग हमारे इस अभियान के साथ कैसे जुड़े. हमने इस अभियान की शुरुआत 21 दिसंबर को की थी. दो दिनों में हमें 10 लाख से ज्यादा लोग Missed Call कर चुके थे. 24 दिसंबर को ये आंकड़ा 50 लाख के ऊपर चला गया और 26 दिसंबर तक 75 लाख लोग. इन नंबर्स पर Missed Call करके अपनी राय दर्ज करा चुके थे और हमें ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि अब ये आंकड़ा 1 करोड़ से भी ज्यादा हो चुका है.

देश के टुकड़े टुकड़े गैंग, और Zee News की कोशिशों को झूठा बताने वालों लोगों को आज इन 1 करोड़ लोगों की अहमियत पहचाननी चाहिए. क्या टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग जानते हैं कि दुनिया के 133 देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 1 करोड़ या फिर उससे भी कम है. ग्रीस, पुर्तगाल, जॉर्डन और स्वीडन जैसे देशों की जनसंख्या 1 करोड़ से थोड़ी ज्यादा है जबकि UAE, इजरायल, सिंगापुर, डेनमार्क और फिनलैंड जैसे देशों की आबादी 1 करोड़ से भी कम है जबकि न्यूज़ीलैंड की जनसंख्या तो 50 लाख भी नहीं है. यानी अगर हमें Missed Call देने वाले लोग इन देशों के नागरिक होते तो वहां पूर्ण बहुमत से सरकार बनवा देतें.

झारखंड में सरकार बनाने वाले JMM, कांग्रेस और RJD के गठबंधन को भी सिर्फ 53 लाख वोट मिले हैं . इतना ही नहीं अगर ये एक करोड़ लोग चाहें तो भारत के आधे से ज्यादा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार बनवा सकते हैं . भारत में 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं. जहां की आबादी एक करोड़ से कम है. 
आपको जानकर हैरानी होगी कि हमें ये Missed Calls सिर्फ भारत के शहरों और गांवों से नहीं बल्कि दुनिया के 100 से ज्यादा देशों से आ रही हैं . इनमें अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश भी शामिल हैं. नए कानून का सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यकों को ही मिलने वाला है. 

इसके अलावा, हमें जापान, कंबोडिया, चीन, कनाडा, UAE, फ्रांस, इंडोनिशिया, ईरान और ब्राज़ील जैसे देशों से भी लगातार Call आ रही है. दुनिया के करीब 208 देशों में 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय रहते हैं और इनमें से 3 लाख भारतीय हर रोज़ हमें Call करके अपनी राय दे रहे है. हमें सबसे ज्यादा Missed Calls जिन देशों से आई है. उनमें सबसे ऊपर Russia है. यहां से हमें 76 हज़ार से ज्यादा लोगों ने Calls किए हैं इसके बाद म्यांमार, टर्की और फिलीपींस से हमें सबसे ज्यादा Calls आई हैं .

लेकिन हमें यकीन है कि देश विरोधी गैंग को अब भी इन एक करोड़ लोगों की ताकत कम लग रही होगी तो ऐसे लोगों को हम बता देना चाहते हैं कि ये दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल जनमत संग्रह है. ये उन एक करोड़ लोगों की आवाज़ है जो अपनी बात रखने के लिए सड़कों पर नहीं उतरे, इन्होंने तोड़फोड़ नहीं की, हिंसा नहीं की और पुलिस पर पत्थर भी नहीं बरसाए. ये वो लोग हैं जिन्होंने बहुत शांति के साथ डिजिटल तरीके से अपनी बात रखी लेकिन हमारे देश में इन लोगों की बात कोई नहीं सुनना चाहता और खासकर टुकड़े टुकड़े गैंग को इस बहुमत पर यकीन नहीं हैं .

इसलिए हम आज इस गैंग के सामने एक करोड़ की संख्या से जुड़े कुछ और तथ्य रखना चाहते हैं. इस साल सऊदी अरब जाकर हज करने वाले लोगों की संख्या 24 लाख थी जबकि हमें Missed Call देने वालों की संख्या इससे चार गुना ज्यादा है . अगर ये एक करोड़ लोग एक साथ सड़क पर आ जाएं और नागिरकता कानून के समर्थन में मार्च निकालें या फिर रैली करें तो ये दुनिया का सबसे बड़ा गैर धार्मिक जमावड़ा होगा. 

कुंभ मेला दुनिया का अकेला ऐसा धार्मिक आयोजन है जिसमें श्रद्धालुओं की संख्या 5 से 8 करोड़ तक होती है और शाही स्नान के दिन तो करीब 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु कुंभ मेले का हिस्सा बनते हैं. कुंभ मेले की भव्यता को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर Zee News के ज़रिए. नए कानून को समर्थन देने वाले ये एक करोड़ लोग एक साथ एक जगह जमा हो जाएं तो क्या हो सकता है ? अगर ये एक करोड़ लोग एक साथ अपने हाथों में क्रांति की मशाल थाम लें या फिर अपने मोबाइल फोन की FlashLight भी On कर दें तो इस तस्वीर को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है .

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ये उस सत्य की ताकत है जिसकी रोशनी हर अंधेरे को चीर देती है और इसे आसमान भी नहीं रोक पाता . दुनिया में कई ऐसी क्रांतिया हुईं जिनमें सिर्फ कुछ लाख लोगों ने हिस्सा लिया और इतिहास को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. 1963 में अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ होने वाले भेदभाव के विरोध में एक बड़ा आंदोलन चल रहा था. जिसका नेतृत्व महान क्रांतिकारी Martin Luther King Junior कर रहे थे . 28 अगस्त 1963 को Martin Luther King Junior के नेतृत्व में 2 लाख लोगों ने अमेरिका की राजधानी Washington DC में एक मार्च निकाला था. इसी मार्च के दौरान Martin Luther King Junior ने अपना विश्व प्रसिद्ध भाषण I Have A Dream दिया था . कहा जाता है कि इस मार्च और King के भाषण ने अमेरिका के इतिहास को बदलकर रख दिया और आने वाले कुछ वर्षों में अमेरिका में अश्वेतों को बराबरी का दर्जा मिल गया .

अब आप सोचिए उस मार्च में मौजूद सिर्फ 2 लाख लोगों ने अमेरिका की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया जबकि Zee News द्वारा शुरू की गई डिजिटल क्रांति के साथ 1 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं और अब इन लोगों की आवाज़ को दबाना ना तो टुकड़े-टुकड़े गैंग के लिए संभव है और ना ही नागरिकता कानून का विरोध करने वाली राजनैतिक पार्टियों के लिए संभव है. 

Martin Luther King Junior महात्मा गांधी के अहंसिक आंदोलनों और सत्याग्रह में यकीन रखते थे . आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 1930 में महात्मा गांधी द्वारा शुरु किए गए नमक सत्याग्रह में करीब 60 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था और इन लोगों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ आज़ादी का बिगूल फूंक दिया था . और इन 60 हज़ार लोगों ने स्वराज के आंदोलन को भारत के घर घर तक पहुंचा दिया था. उस दौर में मोबाइल फोन नहीं था, इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसी चीज़ें भी नहीं थी. फिर भी कुछ हज़ार भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के घमंड को चकनाचूर कर दिया था जबकि आज हमारे साथ करोड़ों लोग खड़े हैं और हमें लगता है कि ये एक करोड़ लोग टुकड़े टुकड़े गैंग ही नहीं  देश के हर दुश्मन का हौसला तोड़ने की ताकत रखते हैं. 

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