'देश में पुरुषों के मुकाबले 19 प्रतिशत कम वेतन पाती हैं महिलाएं'
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'देश में पुरुषों के मुकाबले 19 प्रतिशत कम वेतन पाती हैं महिलाएं'

देश में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में अब भी काफी अंतर बड़ा है. महिलाओं का वेतन पुरुषों के मुकाबले 19 प्रतिशत कम है. एक सर्वे से यह साफ हुआ है.

'देश में पुरुषों के मुकाबले 19 प्रतिशत कम वेतन पाती हैं महिलाएं'

नई दिल्ली : देश में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में अब भी काफी अंतर बड़ा है. महिलाओं का वेतन पुरुषों के मुकाबले 19 प्रतिशत कम है. एक सर्वे से यह साफ हुआ है. मॉन्स्टर वेतन सूचकांक (एमएसआई) के अनुसार देश में लिंग के आधार पर वेतन में अंतर 19 प्रतिशत है. यहां महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को 46.19 रुपये अधिक वेतन मिलता है. वर्ष 2018 में प्रति घंटे के हिसाब से पुरुषों का सकल वेतन 242.49 रुपये रहा जबकि महिलाओं का वेतन 196.3 रुपये रहा.

सबसे कम अंतर वित्तीय सेवा क्षेत्र में
क्षेत्रों के आधार पर वेतन में सबसे अधिक अंतर यानी 26 प्रतिशत सूचना प्रौद्योगिकी और संबंद्ध क्षेत्रों में देखा गया. वहीं विनिर्माण क्षेत्र में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को 24 प्रतिशत अधिक वेतन मिला. आमतौर पर महिलाओं के लिए मुफीद माने जाने वाले सामाजिक कार्य, देखभाल सेवाएं और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी पुरुषों का वेतन महिलाओं से 21 प्रतिशत अधिक पाया गया. लिंग के आधार पर वेतन में सबसे कम अंतर वित्तीय सेवा क्षेत्र में देखने को मिला जहां महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को दो प्रतिशत अधिक वेतन प्राप्त हुआ.

'नौकरी-पेशा महिलाओं की संख्या में गिरावट
दूसरी तरफ उद्योग क्षेत्र की बदलती जरूरतों को देखते हुए देश में कौशल विकास को लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं. महिलाओें के कौशल विकास पर सरकार विशेष ध्यान है. लेकिन एक सर्वे के अनुसार कार्यबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2018 में बेहद कम हुआ है. डेलॉइट द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2005 में जहां नौकरी-पेशा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 36.7 प्रतिशत थी. वही 2018 में घटकर 26 प्रतिशत हो गई है.

दूसरी तरफ असंगठित क्षेत्र या बिना पारिश्रमिक वाले क्षेत्र में 19.5 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं. रिपोर्ट में इसकी अहम वजह अच्छी शिक्षा तक महिलाओं की पहुंच कम होना और डिजिटल विभेद (डिजिटल डिवाइड) का बढ़ना बतायी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश ही नहीं दुनियाभर में रोजगार क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कम होने की प्रवृत्ति देखी जा रही है.

(इनपुट एजेंसी से)

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