नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत का बड़ा बयान, रोजगार के बिना इतनी विकास दर संभव नहीं
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नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत का बड़ा बयान, रोजगार के बिना इतनी विकास दर संभव नहीं

नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा कि देश 7.5 फीसदी की दर से विकास कर रहा है. इतनी दर रोजगार पैदा किए बगैर संभव नहीं है.

हाल में अरुण जेटली ने भी कहा था कि रोजगार पैदा किए बगैर 7-8 फीसदी की विकास दर संभव नहीं है. (फाइल)

नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने देश में पर्याप्त संख्या में रोजगार पैदा होने का समर्थन करते हुये बुधवार को कहा कि भारत सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल कर रहा है जो कि पर्याप्त संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किये बिना हासिल नहीं हो सकती. कांत ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम से इतर कहा कि जब कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे गैर - राजग शासित राज्य यह दावा कर रहे हैं कि नौकरियां सृजित हो रही है तो ऐसा संभव नहीं है कि अखिल भारतीय स्तर पर रोजगार सृजन नहीं हो रहा हो. उन्होंने कहा , " यह कैसे संभव है कि हम 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहे हैं और रोजगार सृजित नहीं हो रहे हैं ? यह संभव नहीं है. " 

रोजगार के बिना उच्च विकास दर संभव नहीं
कांत ने जोर दिया , " यदि पश्चिम बंगाल और कर्नाटक कह रहे हैं कि उनके - उनके राज्यों में रोजगार सृजित हो रहे हैं तो यह कैसे संभव है कि राष्ट्रीय स्तर पर कोई रोजगार सृजित नहीं हो रहा है.’’हाल ही में , वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि बिना रोजगार सजृन के अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल नहीं कर सकती है. कांत का यह बयान अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की उस रिपोर्ट के बाद आया है , जिसमें कहा कि रोजगार के अवसर घटे हैं और 2016 से 2018 के दौरान 50 लाख लोगों का रोजगार छिना है.

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2011 से बेरोजगारी की दर दोगुना हुई - रिपोर्ट
विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डाली गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 से सामान्य तौर पर बेरोजगारी बढ़ी है. पीएलएफएस और सीएमआईई-सीपीडीएक्स दोनों की रिपोर्ट में 2018 में बेरोजगारी की दर को करीब छह प्रतिशत आंका गया हैं यह 2000 से 2011 की औसत दर दर का दोगुना है. इसमें कहा गया है कि भारत में बेरोजगार लोगों में ज्यादातर उच्च शिक्षा प्राप्त और युवा हैं. इसमें कहा गया है कि सीएमआईई-सीपीडीएक्स के विश्लेषण से पता चलता है कि 2016 से 2018 के दौरान 50 लाख लोगों का रोजगार छिना. नवंबर, 2016 में नोटबंदी की गई थी. हालांकि, दोनों के बीच सिर्फ इसी आधार पर कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया जा सकता. 

2017-18 में बेरोजगारी की दर छह प्रतिशत से अधिक रही
एनएसएसओ की समय-समय पर श्रमबल सर्वे पर आधारित लीक रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में बेरोजगारी की दर छह प्रतिशत से अधिक यानी 45 साल के उच्चस्तर पर थी. हालांकि, सरकार ने आधिकारिक रूप से अभी इस रिपोर्ट को जारी नहीं किया है. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की शोध रिपोर्ट के अनुसार शहरों में कामकाज की आयुवाली महिलाओं में 10 प्रतिशत स्नातक है लेकिन इनमें 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं. 

20 से 24 साल के वर्ग में बेरोजगारों की संख्या बहुत ज्यादा है
वहीं 20 से 24 साल के वर्ग में बेरोजगारों की संख्या कहीं अधिक है. उदाहरण के लिए शहरी पुरुषों में कामकाज लायक आबादी में इस आयु वाली आबादी 13.5 प्रतिशत है पर इसमें 60 प्रतिशत बेरोजगार हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी बढ़ी ही है, कम शिक्षित (असंगठित क्षेत्र) श्रमिकों के लिए भी 2016 से रोजगार के अवसर घटे हैं. सामान्य रूप से देखा जाए तो बेरोजगारी के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम प्रभावित हुई हैं. 

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