गोल्ड विनर मानसी जोशी के हौसलों की उड़ान, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर ऐसे बनीं पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी
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गोल्ड विनर मानसी जोशी के हौसलों की उड़ान, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर ऐसे बनीं पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी

मानसी ने अपने फेसबुक पेज पर गोल्ड जीतने की खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि मैंने पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. इस दिन के लिए मैं बहुत कड़ी मेहनत की थी. 

मानसी जोशी (फाइल फोटो: Twitter/@joshimanasi11)

नई दिल्ली: पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाने वाली खिलाड़ी मानसी जोशी खबरों में छाई हुई हैं. पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत ने 12 पदक जीते हैं. मंगलवार को खेलमंत्री किरन रिजिजू और पीएम नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ियों को बधाई दी है. बता दें कि महाराष्ट्र की मानसी जोशी ने महिला एकल में गोल्ड मेडल जीता है. 30 साल की इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर मानसी जोशी ने हादसे में अपना एक पैर खो दिया लेकिन मानसी का जज्बा कम नहीं हुआ. इस हौसले ने ही उनके नाम को आज इतिहास में दर्ज करा दिया है. 

मानसी ने अपने फेसबुक पेज पर गोल्ड जीतने की खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि मैंने पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. इस दिन के लिए मैं बहुत कड़ी मेहनत की थी. यह वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल है और इसके लिए मैं अपने ट्रेनर और गोपीचंद अकेदमी के कोच को शुक्रिया अदा करना चाहती हूं. मेरी इस जीत में कई सारे लोगों का सपोर्ट शामिल है. मानसी ने गोपीचंद का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि गोपी सर मेरे हर मैच के लिए मौजूद रहने के लिए बहुत-बहुत थैंक्स. 

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पिता ने पहचाना हुनूर और दी उड़ान 
छोटी सी उम में मानसी जोशी की रूचि बैडमिंटन में हुई. मानसी के पिता मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में काम करते थे और यहीं मानसी ने इस खेल की बारीकियां सीखनी. मानसी स्कूल और जिला स्तर पर बैडमिंटन में खिताब जीतने लगीं लेकिन 2011 में एक सड़क दुर्घटना में मानसी ने अपना एक पैर हमेशा के लिए खो दिया. इस हादसे के बाद मानसी करीब दो महीने तक अस्पताल में रहीं. 

कई प्रतियोगिताओं में जीते अवॉर्ड 
मानसी ने महिला एकल SL3 के फाइनल में जीत हासिल की. इस कैटिगरी में वे खिलाड़ी शामिल होते हैं जिनके एक या दोनों लोअर लिंब्स काम नहीं करते और जिन्हें चलते या दौड़ते समय संतुलन बनाने में परेशानी होती है. दुर्घटना के बाद मानसी ने कृत्रिम टांग पर खड़े होकर खेलना शुरू किया. बैडमिंटन खेलने का सपना लेकर वो  हैदराबाद के पुलेला गोपीचंद अकादमी में पहुंचीं. 2017 में साउथ कोरिया मे हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता. 2015 में उन्होंने पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिक्स्ड डबल्स में सिल्वर मेडल जीता था. अब मानसी ने गोलड जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया. 

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