राजस्थान: 62 साल में 9 मुस्लिम चेहरों को टिकट, फिर भी तुष्टिकरण का आरोप
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राजस्थान: 62 साल में 9 मुस्लिम चेहरों को टिकट, फिर भी तुष्टिकरण का आरोप

तुष्टीकरण का आरोप झेलने वाली पार्टी में 25 सीटों पर केवल एक लोकसभा सीट पर ही टिकट दिए जाने की चर्चा है. 

कांग्रेस नेता अश्क अली टाक ने इन आरोपों को गलत बताया है. (फाइल फोटो)

जयपुर: देश की राजनीति में मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप भले हीं कांग्रेस झेलती रही हो. लेकिन चुनावों के दौरान टिकट वितरण में मुस्लिम समाज के साथ पार्टी खड़ी हुई नजर नहीं आती. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में कांग्रेस पिछले 62 सालों में केवल 9 मुस्लिम चेहरों को ही चुनावी मैदान में उतार पाई है. माना जा रहा है कि इस बार भी मुश्किल से केवल एक ही मुस्लिम चेहरे को पार्टी टिकट दे सकती है. ऐसे में सवाल ये की विधानसभा चुनाव में बड़ी तादाद में मुस्लिम मतदाताओं को साथ रखने में कामयाब रहने वाली कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में भी ऐसा कर पाएगी.

राजस्थान में लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने के बाद सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में टिकट वितरण की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. पार्टी के भीतर 25 सीटों को लेकर कई स्तरों पर मंथन हो चुका है. टिकट वितरण के लिए निर्णय लेने के दौरान दौरान विभिन्न वर्ग जातियों और धर्मों के आधार पर समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है. लेकिन इन समीकरणों के बीच सबसे रोचक पहलू यह है कि मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप झेलने वाली कांग्रेस पार्टी में 25 सीटों पर केवल एक लोकसभा सीट पर ही मुस्लिम समाज को टिकट दिए जाने की चर्चा है. 

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राज्य में 11 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता, 1 संसद पहुंचने में कामयाब

दरअसल पिछले कई चुनाव का इतिहास खंगाले तो जो सच्चाई निकल के सामने आती है वह हैरान करने वाली है. प्रदेश में 11 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद 62 सालों में एक ही अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीत कर लोकसभा पहुंच पाया है. कांग्रेस ने पिछले 62 साल में  अल्पसंख्यक समाज के 9 उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा और राज्यसभा सांसद रहे अश्क अली टाक का मानना है कि कांग्रेस पार्टी पर मुस्लिम परस्त होने का आरोप गलत लगता है. पार्टी ने हमेशा सीट की परिस्थिति और व्यक्ति की काबिलियत को ज्यादा तवज्जो दी है. 

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करीब 18 जिलों में मुस्लिम वोटर जीत हार में निर्णायक 

राजस्थान में डेढ़ दर्जन जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम वोटर उम्मीदवार की जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. राज्य के यह 11 फ़ीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता जयपुर, झुंझुनू, सीकर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, अलवर, कोटा, अजमेर, जोधपुर, चूरू और टोंक सवाई माधोपुर की सीटों पर खासा असर रखते हैं. इसके बावजूद मुस्लिम समाज के नेताओं को लोकसभा टिकट हासिल करने में खासी जद्दोजहद करनी पड़ती रही है. 1984 और 1991 में केवल कैप्टन अयूब ही दो बार झुंझुनू से लोकसभा का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बने थे. 

चुरू और टोंक सवाई माधोपुर से जता रहे हैं दावेदारी

2014 में कांग्रेस ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव लड़ा था. लेकिन उनकी सेलिब्रिटी इमेज भी यहां से चुनावी जीत दिलाने में कामयाब नहीं हो पाई. इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर से अल्पसंख्यक वर्ग ने चूरू और टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी जताई है. लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो दोनों में से किसी एक सीट पर ही मुस्लिम समाज के प्रत्याशी को टिकट मिल सकता है.

62 साल में 9 अल्पसंख्यक बने हैं उम्मीदवार

राजस्थान की लोकसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो 62 साल में केवल 9 मुस्लिम उम्मीदवार कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में उतारे गए हैं. 1952 में जोधपुर से 1957 में जयपुर से 1977 में चूरू से 1984 से 1996 तक झुंझुनू से इसके अलावा 1991 और 96 में भरतपुर से 1998 में जयपुर से 2004 में अजमेर से 2009 में चुरू से और 2014 में टोंक सवाई माधोपुर से मुस्लिम प्रत्याशी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन 1984 और 1991 में झुंझनु में कैप्टन युब भी लोकसभा का चुनाव जीत पाए थे. 

कांग्रेस विधायक का है दो सीटों पर जीत का दावा

जयपुर से किशनपोल विधानसभा सीट से विधायक अमीन कागज़ी ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि मुस्लिम समाज हमेशा से कांग्रेस के साथ रहा है. उम्मीद है इस बार कांग्रेस दो मुस्लिम चेहरों को टिकट देगी और पुराना रिकॉर्ड सुधारते हुए दोनों मुस्लिम प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचेंगे.

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