उम्मीदवार बदलने से दिलचस्प हो गई है दरभंगा की लड़ाई, BJP-RJD में कांटे की टक्कर
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उम्मीदवार बदलने से दिलचस्प हो गई है दरभंगा की लड़ाई, BJP-RJD में कांटे की टक्कर

इस चुनाव में दरभंगा पर एक दशक से चल रहे कब्जे को बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं अपनी परंपरागत सीट को पुन: पाले में करने के लिए आरजेडी ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है. 

दरभंगा में बीजेपी-आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर. (फाइल फोटो)

दरभंगा : 17वीं लोकसभा चुनाव में बिहार के मिथिलांचल की महत्वपूर्ण सीट दरभंगा में राजनीतिक गुटबंदियों के बाद एकबार फिर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच है. इस क्षेत्र में एक ओर जहां जाति और धर्म के समीकरण अपनी जगह कायम हैं, वहीं प्रत्याशी अपनी साख और पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए कायरें के इतिहास और वादों को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं.

इस चुनाव में दरभंगा से कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं, परंतु राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से बीजेपी और विपक्षी दलों के महागठबंधन की ओर से आरजेडी का आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि, दोनों गठबंधनों के समीकरण और उम्मीदवार बदलने के बाद मुकाबला दिलचस्प बन गया है.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कीर्ति आजाद आरजेडी के अली अशरफ फातमी को लगातार दूसरी बार हराकर संसद पहुंचे थे. मुस्लिम और ब्राह्मण बहुल मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में पिछले चुनाव में जनता दल (युनाइटेड) ने संजय झा को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था. 

2014 में कीर्ति आजाद को जहां 3,14,949 मत मिले थे, वहीं फातमी को 2,79,906 मतों से संतोष करना पड़ा था. जेडीयू के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में ये तीनों प्रत्याशी यहां नहीं हैं. 

इस चुनाव में दरभंगा पर एक दशक से चल रहे कब्जे को बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं अपनी परंपरागत सीट को पुन: पाले में करने के लिए आरजेडी ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है. बीजेपी और आरजेडी दोनों ने स्थानीय उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. 

बीजेपी ने बिरौल अनुमंडल के पररी गांव निवासी पूर्व विधायक गोपालजी ठाकुर को मैदान में उतारा है, तो आरजेडी अपने वर्तमान विधायक बेनीपुर अनुमंडल के रूपसपुर गांव निवासी अब्दुलबारी सिद्दिकी को चुनावी जंग में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है. 

उल्लेखनीय है कि फातमी ने जहां आरजेडी छोड़कर अलग राह पकड़ ली है, वहीं आजाद बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर झारखंड के धनबाद से चुनाव लड़ रहे हैं. 

दरभंगा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत दरभंगा, दरभंगा ग्रामीण, बहादुरपुर, बेनीपुर, अलीनगर और गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इन छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर आरजेडी का तो तीन पर बीजेपी, जेडीयू का कब्जा है. 

विपक्षी दलों के महागठबंधन को जहां एक बार फिर मुस्लिम-यादव मतदाताओं पर भरोसा है, वहीं बीजेपी को अपने वोट बैंक के अलावा जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के वोटबैंक की उम्मीद है. हालांकि अति पिछड़ा वर्ग भी यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं. इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी यहां से मुस्लिम उम्मीदवार मोहम्मद मोख्तार को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. 

दरभंगा के स्थानीय पत्रकार संजीव कुमार बताते हैं, "इस चुनाव में मिथिला संस्कृति के केंद्र माने जाने वाले दरभंगा से स्थानीय मुद्दे गौण हैं. बाढ़, बेरोजगारी, यातायात व्यवस्था और पलायन इस क्षेत्र की मुख्य समस्या है, परंतु न स्थानीय प्रत्याशी इस मुद्दे को लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं और न ही उनके स्टार प्रचारक ही मंच से इन मुद्दों को उठा रहे हैं. यहां चुनावी मुद्दे राष्ट्रीयस्तर के बने हुए हैं."

दरभंगा निवासी और झारखंड के विनोबा भावे विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर विमलेश्वर झा कहते हैं, "इस संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं में वोट बंटवारा तय है. सिद्दिकी सहित यहां से तीन मुस्लिम मतदाता चुनाव मैदान में हैं. दरभंगा में सामाजिक समीकरणों के आधार पर गोलबंदी होती रही है. ऐसे में ब्राह्मण, अतिपिछड़ा वर्ग और यादव मतदाताओं की गोलबंदी चुनाव परिणाम को तय करेंगे." दरभंगा में चौथे चरण में यानी 29 अप्रैल को मतदान होना है. मतों की गिनती 23 मई को होगी.

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