नेताजी चुनाव प्रचार के लिए जहां चाहे वहां गए, ऐसे की गई थी चाक-चौबंद सुरक्षा
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नेताजी चुनाव प्रचार के लिए जहां चाहे वहां गए, ऐसे की गई थी चाक-चौबंद सुरक्षा

यह किसी के लिए भी जिज्ञासा का विषय हो सकता है कि इतने व्यस्त चुनाव प्रचार कार्यक्रम के दौरान हमारे नेताओं की सुरक्षा कैसे होती है?

फाइल फोटो

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में सातों चरणों का मतदान रविवार (19 मई) को समाप्त हो गया है. इस दौरान हर एक राजनीतिक दल के नेता ने अपनी रैलियों और जनसभाओं के जरिए जनता के बीच पहुंचकर अपनी बात रखी. इस दौरान कई बड़े नेताओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रही. लेकिन हमारे देश के सुरक्षादस्तों ने बड़ी ही मुस्तैदी से अपने कर्तव्य को निभाया. आज हम आपको बताते हैं कि हमारे नेताओं की सुरक्षा में लगे केंद्रीय बल कैसे वीआईपी लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं.

दरअसल यह किसी के लिए भी जिज्ञासा का विषय हो सकता है कि इतने व्यस्त चुनाव प्रचार कार्यक्रम के दौरान हमारे नेताओं की सुरक्षा कैसे होती है? इसके लिए केन्द्रीय बलों के पास जमीनी स्तर पर 2000 से अधिक सतर्क कमांडो, 120 युवा पर्यवेक्षक अधिकारी, हजारों गोलियां, प्राथमिक चिकित्सा किट और खुफिया डाटा शीट होती हैं.

SPG करती है पीएम मोदी और राहुल गांधी की सुरक्षा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सुरक्षा, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) द्वारा की जाती है. अन्य प्रमुख राजनेताओं की सुरक्षा एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी जैसे केन्द्रीय बलों द्वारा की जाती है. ये नेता अपनी पार्टियों के प्रचार के लिए हर रोज हजारों किलोमीटर की यात्रा करते है.

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वीआईपी सुरक्षा प्रतिष्ठान में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुल मिलाकर, लगभग 2,000 कमांडो ज़मीन पर हैं और उन्हें पाली में लगाया जाता है. इसके अलावा 120 युवा अधिकारियों को राजनेताओं के केंद्रीय सुरक्षा दायरे में शामिल किया जाता है.

78 वीआईपी को मिली है Z+ कैटगरी की सुरक्षा
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पास बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत 78 वीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. शाह ‘जेड प्लस’ सुरक्षा श्रेणी में है. सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ के तहत सुरक्षा प्राप्त वीआईपी पर नजर रखने के लिए देश के विभिन्न भागों में 54 से अधिक अधिकारी तैनात होते हैं. उन्हें विशेष कार्यों के लिए विशेष बल के 28 विभिन्न स्तरों से लेकर जमीनी स्तर की इकाइयों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है.देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल के ये कमांडो केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद को भी सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं.

ये कमांडो आधुनिक एके सीरीज और एमपी5 असॉल्ट राइफल, मैगजीन, पिस्तौल, मोबाइल बॉडी कवच और भीड़ नियंत्रण एवं विशेष परिस्थितियों में रस्सियों और लाठी से लैस होते हैं.

कैसे होता है कंट्रोल
नोएडा में सीआरपीएफ अड्डे पर एक 24X7 नियंत्रण कक्ष, नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय में इसी तरह के परिचालन केंद्र के साथ लगातार संपर्क में रहता है जो इन टीमों को ले जाने वाले हर कदम का समन्वय करता है और वायरलेस तथा मोबाइल पर उनके साथ नियमित संपर्क में रहता है.

केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) को 93 वीआईपी की सुरक्षा की सौंपी गई है. विभिन्न सुरक्षा टीमों पर नज़र रखने के लिए लगभग 40 अधिकारियों को पर्यवेक्षक की भूमिकाओं में तैनात किया गया है. अधिकारी ने बताया कि वे स्थानीय क्षेत्र में शिविर लगाते हैं और कमांडो की तैयारियों, रसद, भोजन और अन्य आवश्यकताओं को सुनिश्चित करते हैं.

किन नेताओं के पास है कौन सी सुरक्षा
सीआईएसएफ की सुरक्षा में कुछ जाने माने वीआईपी लोगों में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (जेड प्लस), मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ (जेड), मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री महेश शर्मा और मनोज सिन्हा, पूर्व आईपीएस अधिकारी और भाजपा उम्मीदवार भारती घोष और तृणमूल कांग्रेस के शासन वाले राज्य पश्चिम बंगाल में भगवा पार्टी के कई अन्य लोकसभा उम्मीदवार शामिल हैं.

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एनएसजी सुरक्षा घेरा
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के पास भी 13 वीआईपी लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है. इसके पास केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिह, अखिलेश यादव और मायावती जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों और योगी आदित्यनाथ तथा एन चन्द्रबाबू नायडू जैसे मौजूदा मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. भारत-तिब्बत पुलिस बल, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी (जेड प्लस), जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे लगभग 16 वीआईपी लोगों की सुरक्षा में लगी है. देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होगा और मतगणना 23 मई को होगी.

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