कई राजनीतिक पार्टियों के बाद अब जया प्रदा को बीजेपी का सहारा
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कई राजनीतिक पार्टियों के बाद अब जया प्रदा को बीजेपी का सहारा

हालांकि एनटीआर ने जय प्रदा को चुनाव लड़ने का भी ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं करते हुए पार्टी के लिए प्रचार की कमान संभाली. 

फाइल फोटो

लखनऊः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha elections 2019) में देशभर की जिन प्रमुख सीटों पर सभी की नजरें हैं उनमें से एक रामपुर लोकसभा सीट भी है. रामपुर से इस बार मुकाबला दो बार की सांसद रहीं बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के बीच है. तेलुगू फिल्मों और बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोह मनवा चुकीं जय प्रदा ने साल 1994 में तेलुगू सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, निर्देशक और राजनेता एनटी रामाराव के कहने पर राजनीति में कदम रखा. साल 1994 में जय प्रदा ने आंध्र प्रदेश में कई सीटों पर चुनाव प्रचार किया था.

हालांकि एनटीआर ने जय प्रदा को चुनाव लड़ने का भी ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं करते हुए पार्टी के लिए प्रचार की कमान संभाली. एनटीआर के बीमार होने के बाद उनकी पार्टी उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने संभाली और साल 1996 में चंद्रबाबू ने जयप्रदा को राज्यसभा सदस्य बनाकर संसद भेजा. इस दौरान जय प्रदा टीडीपी की महिला विंग तेलुगू महिला की भी अध्यक्ष रहीं. 

टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के साथ मतभेदों के चलते जया प्रदा ने पार्टी छोड़ दी और उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. साल 2004 में जया प्रदा ने रामपुर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा. इन चुनावों जया प्रदा ने 85000 वोटों से जीत दर्ज की. ऐसा बताया जाता है कि जया प्रदा की इस जीत में रामपुर के कद्दावर नेता आजम खान का बड़ा योगदान रहा था. 

साल 2009 में जया प्रदा को समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर रामपुर से मैदान में उतारा. यह चुनाव जय प्रदा के लिए काफी मुश्किल भरा रहा, क्योंकि आजम खान ने अमर सिंह के साथ अपने मतभेद के चलते जया प्रदा का साथ नहीं दिया था. इस दौरान कई बार जया प्रदा और आजम खान को लेकर कई तरह की तनातनी सामने आई. जया प्रदा ने आजम खान पर आरोप लगाया कि उन्होंने रामपुर में उनकी अश्लील तस्वीरें बंटवाई है. तमात तरह के विरोधों के बीच भी जया प्रदा एक बार फिर से इस सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुईं और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 30000 से अधिक वोटों से हराया.

साल 2010 में जया प्रदा को उनके मित्र व समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह के साथ ही पार्टी से बाहर कर दिया गया था. समाजवादी पार्टी ने अमर सिंह और जया प्रदा पर आरोप लगाया कि इन दोनों ने सपा की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है. 

सपा से अलग हुई जया प्रदा 
साल 2011 में जया प्रदा और अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोक मंच नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई और 2012 विधानसभा चुनाव में यूपी की 360 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे. इन चुनावों जया प्रदा की पार्टी का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता. मार्च 2014 में जया प्रदा ने अमर सिंह के साथ अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ज्वाइन की. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी ने जया प्रदा को बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. लेकिन मोदी लहर में वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी और वह चौथे नंबर पर रहीं. 

29 मार्च 2019 को जया प्रदा ने बीजेपी ज्वाइन कर ली और लोकसभा चुनाव 2019 में वह रामपुर सीट से बीजेपी प्रत्याशी हैं. सपा ने यहां से आजम खान और कांग्रेस ने संजय कपूर को प्रत्याशी बनाया है. 

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