Lok Sabha Election Results 2019: कांग्रेस को हाशिये पर धकेल अखिल भारतीय पार्टी बनी BJP
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Lok Sabha Election Results 2019: कांग्रेस को हाशिये पर धकेल अखिल भारतीय पार्टी बनी BJP

90 के दशक में राममंदिर आंदोलन से अपना प्रभाव बढाने की शुरूआत करने वाली भाजपा हिन्दीभाषी प्रदेशों तक ही सीमित थी.

छह अप्रैल 1980 को जब भाजपा की स्थापना हुई तब शायद की किसी ने सोचा होगा कि वह यहां तक पहुंचेगी.

नई दिल्ली: 35 बरस पहले लोकसभा में दो सीट से आम चुनाव में लगातार दो बार बहुमत हासिल करने के सफर में अपनी दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी विचारधारा के साथ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को हाशिये पर धकेलते हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर अंगद की तरह मजबूती से कदम रख दिये हैं. 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन से अपना प्रभाव बढ़ाने की शुरूआत करने वाली भाजपा हिन्दीभाषी प्रदेशों तक ही सीमित थी. पहली बार 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.

भाजपा ने पहली बार 1996 में 13 दिन के लिये और 1998 में 13 महीने के लिये सरकार बनाई जो लोकसभा में सिर्फ एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव हार गई. वाजपेयी के चमत्कारिक नेतृत्व में भाजपा पर लगा ‘अछूत’ का ठप्पा हटा और दूसरे दलों ने उससे हाथ मिलाना शुरू किया. पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

वाजपेयी जहां भाजपा को राजनीतिक मुख्यधारा में लाये तो नरेंद्र मोदी ने उसे विजयी तेवर दिये. पहली बार 2014 में पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया और हिन्दीभाषी प्रदेशों के बाहर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

छह अप्रैल 1980 को जब भाजपा की स्थापना हुई तब शायद की किसी ने सोचा होगा कि वह यहां तक पहुंचेगी. जनसंघ और जनता पार्टी का 1977 में विलय हुआ लेकिन तीन साल बाद वे अलग हो गए.

भाजपा ने 1984 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा तो सिर्फ दो सीटें उसके खाते में आई. उसके बाद तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने हिंदुत्व को पार्टी की विचारधारा बनाया तथा पार्टी ‘छद्म धर्मनिरपेक्षता’ और ‘मुस्लिम तुष्टिकरण ’ जैसे जुमलों के दम पर हिंदू मतों का धु्वीकरण करने में कामयाब रही.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदुत्व विचारधारा पर आधारित भाजपा की राजनीति का 1989 के चुनाव में फायदा मिला जब पार्टी ने 85 लोकसभा सीटें जीती. इसके बाद 1990 में आडवाणी ने रथयात्रा निकाली और 1991 आम चुनाव में भाजपा की सीटें बढकर 120 हो गई.

पार्टी का मत प्रतिशत 1984 में 7.4, 1989 में 11.4 और 1991 में 20.1 हो गया. फिर 1996 आम चुनाव में पहली बार भाजपा लोकसभा में 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार बनाने का दावा पेश किया .

वाजपेयी के मार्गदर्शन में भाजपा नीत सरकार 13 दिन ही चली, क्योंकि सदन में बहुमत साबित नहीं हो सका. अगले आम चुनाव में 1998 में भाजपा को 182 सीट मिली और राजग की गठबंधन सरकार बनी . यह सरकार 13 महीने चली और एक मत से अविश्वास प्रस्ताव हार गई.

इसके एक साल बाद राजग फिर 270 सीटों के साथ सत्ता में आया और भाजपा ने 182 सीटें जीती. वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. इस बार भाजपा सरकार पांच साल तक चली. इसके बाद वह लगातार दो चुनाव हार गई.

फिर भारत की राष्ट्रीय राजनीति में मोदी युग का पदार्पण हुआ. वाजपेयी के बाद मोदी पार्टी का चेहरा बने और उनके नेतृत्व में भाजपा ने 282 सीटें जीती. यह तीन दशक में पहली बार था जब भाजपा ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया.

उत्तर प्रदेश में पार्टी के शानदार प्रदर्शन को देखकर राज्य के प्रभारी अमित शाह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया. फिर शुरू हुई मोदी शाह युग की शुरूआत जिन्होंने विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को एक के बाद एक जीत दिलाना शुरू किया.

(इनपुट-भाषा)

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