मायावती ने पूर्वांचलियों को मैसेज देने के लिए किए ताबड़तोड़ ट्वीट, PM मोदी-CM योगी को किया टारगेट
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मायावती ने पूर्वांचलियों को मैसेज देने के लिए किए ताबड़तोड़ ट्वीट, PM मोदी-CM योगी को किया टारगेट

मायावती ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की भी अति-गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन को दूर करने में थोड़ा भी सफल नहीं हो सका, जो घोर वादाखिलाफी है.

Lok sabha elections 2019 :  इस बार के चुनाव में मायावती और पीएम मोदी के बीच खूब जुबानी हमले हुए.

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) के लिए रविवार को आखिरी चरण की वोटिंग होगी. इस चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वर्चस्व के इलाके गोरखपुर में भी वोट डाले जाएंगे. इसी को ध्यान में रखते बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने ट्वीट किए हैं, जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे पूर्वांचल के वोटरों से बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की है.

मायावती ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की भी अति-गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन को दूर करने में थोड़ा भी सफल नहीं हो सका, जो घोर वादाखिलाफी है. मोदी-योगी की डबल इंजन वाली सरकार ने विकास के बजाए केवल जाति व साम्प्रदायिक उन्माद, घृणा व हिंसा ही देश को दिया है, जो अति-दुःखद है.

अपने अगले ट्वीट में मायावती ने लिखा, 'पूर्वांचल के साथ यह वादाखिलाफी व विश्वासघात तब हुआ है जब पीएम व यूपी के सीएम इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. योगी को तो गोरखपुर ने ठुकरा दिया है तो क्या ऐसे में पीएम मोदी की जीत से ज्यादा वाराणसी में उनकी हार ऐतिहासिक नहीं होगी? क्या वाराणसी 1977 का रायबरेली दोहराएगा?'

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इससे पहले मायावती ने ट्वीट के जरिए देशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा मानवतावाद के मसीहा तथागत गौतम बुद्ध का शान्ति, अहिंसा, करुणा और दया का संदेश सम्पूर्ण मानवता के लिए ऐसी अमूल्य निधि है, जिसकी बदौलत अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में शान्ति व सद्भाव का वातावरण सृजित किया जा सकता है, जिसकी आज सख्त जरूरत भी है.

बीएसपी सुप्रीमो ने लिखा, 'बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर देशवासियों व ख़ासकर यूपी के लोगों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. तथागत गौतम बुद्ध के शान्ति, अहिंसा, करुणा व दया के सम्बंध में राजनीतिक बयानबाजी से कहीं ज़्यादा उन्हें राष्ट्रजीवन में उतारने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, जिसके बिना समाज व देश बिखर रहा है.'

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