लोकसभा चुनाव 2019: बालाघाट में बिगड़े सियासी समीकरण के बीच क्या BJP लगा पाएगी जीत का 'छक्का'?
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लोकसभा चुनाव 2019: बालाघाट में बिगड़े सियासी समीकरण के बीच क्या BJP लगा पाएगी जीत का 'छक्का'?

नेताओं और कार्यकर्ताओं के बगावती सुरों के बाद बालाघाट के राजनीतिक समीकरण कुछ हिले-डुले से नजर आ रहे हैं और कांग्रेस इसी का फायदा उठाकर भाजपा के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश में जुटी है.

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हिना कांवरे को हराकर सांसद बने थे बोधसिंह भगत (फोटो साभारः facebook)

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की बालाघाट लोकसभा सीट प्रदेश की उन सीटों में से एक है, जिन पर पिछले 5 लोकसभा चुनावों से भाजपा ही परचम लहराती आई है. 1998 में जीत दर्ज कराने के बाद से लेकर अब तक बालाघाट लोकसभा सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा है, न तो कांग्रेस और न ही कोई अन्य पार्टी, इस सीट को भाजपा से छीनने में नाकाम ही रही हैं, लेकिन कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बगावती सुरों के बाद बालाघाट के राजनीतिक समीकरण कुछ हिले-डुले से नजर आ रहे हैं और कांग्रेस इसी का फायदा उठाकर भाजपा के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश में जुटी है.

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राजनीतिक इतिहास
बालाघाट में पहली बार लोकसभा चुनाव 1951 में हुए. जिसमें कांग्रेस को जीत मिली. इसके बाद के चुनाव में भी कांग्रेस ही इस सीट से विजयी रही, लेकिन 1962 के चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा. 1967 में कांग्रेस ने वापसी की और इसके बाद 1998 तक वही इस सीट पर विजयी रही, लेकिन 1998 में भाजपा की पहली जीत के साथ ही कांग्रेस की हार का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि अब तक खत्म नहीं हो सका है. बता दें पिछले 5 लोकसभा चुनाव से बालाघाट लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. ऐसे में कांग्रेस इस बार पूरी कोशिश में है कि भाजपा के गढ़ को भेद सके और अपनी जीत सुनिश्चित कर सके.

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(फोटो साभारः facebook)

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2014 के राजनीतिक समीकरण
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के बोधसिंह भगत ने जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हिना लिखीराम कांवरे को 96,041 वोटों के अंतर से हराया था. 2014 के चुनाव में जहां बोधसिंह को 4,80,594 वोट मिले थे तो वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी हिना लिखीराम कांवरे को 3,84,553 वोट ही मिल सके. बता दें बोधसिंह भगत 2014 में जीतकर पहली बार संसद पहुंचे थे.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड
64 साल के बोधसिंह भगत को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए 25 करोड़ का फंड आवंटित हुआ था, जिसमें से उन्होंने करीब 21 करोड़ की राशि खर्च कर दी, जबकि 4 करोड़ फंड बिना खर्च किए रह गया.

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