आडवाणी और वाजपेयी की सीट से चुनाव लड़ने के कारण अमित शाह के लिए रण को जीतना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी है कि क्या गांधीनगर की जनता उन्हें पसंद करेगी.
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नई दिल्ली : गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट शुरुआत से ही सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए केंद्र रही है. इस सीट पर बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने एक क्षत्र राज किया है, ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. 998 से 2014 तक के चुनावों में आडवाणी यहां से जीतते आ रहे हैं. उनसे पहले 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी भी यहां से सांसद रह चुके हैं. यानि की शुरुआत से ही यह सीट बीजेपी के खाते में जाती रही है.
इस बार इस सीट से बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह चुनावी मैदान में हैं. उनके सामने कांग्रेस ने गांधीनगर उत्तरी विधानसभा सीट से अपने विधायक सीजे चावड़ा को खड़ा किया है. यह पहला मौका है जब अमित शाह चुनावी मैदान में हैं. आडवाणी और वाजपेयी की सीट से चुनाव लड़ने के कारण अमित शाह के लिए रण को जीतना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी है कि क्या गांधीनगर की जनता उन्हें पसंद करेगी.
1991 के बाद से गांधीनगर सीट से छह बार जीते हैं आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी साल 1996 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर 1991 के बाद से गांधीनगर सीट से छह बार जीते हैं. 1996 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर के साथ ही उत्तर प्रदेश के लखनऊ से भी जीते थे. गांधीनगर लोकसभा सीट के तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं गांधीनगर उत्तर, कलोल, साणंद, घाटलोडिया, वेजलपुर, नारणपुरा और साबरमती.