सुल्तानपुर लोकसभा सीट: क्या इस वजह से BJP ने वरुण गांधी की जगह मेनका पर खेला दांव
Advertisement
trendingNow1529274

सुल्तानपुर लोकसभा सीट: क्या इस वजह से BJP ने वरुण गांधी की जगह मेनका पर खेला दांव

सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के विश्वनाथ शास्त्री को छोड़ कर कोई भी इस सीट पर दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब नहीं रहा है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट पर 56.64 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 2014 में यहां बीजेपी और बीएसपी के बीच टक्कर रही.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) अपने अंतिम दौर में है और 23 मई को चुनावी नतीजों के साथ तय हो जाएगा कि देश में किसी सरकार बनेगी. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट  चर्चाओं में बनी हुई है. दरअसल, इस सीट पर बीजेपी के निवर्तमान सांसद वरुण गांधी को पार्टी ने इस बार पीलीभीत से प्रत्याशी घोषित बनाया है. बीजेपी ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर वरुण गांधी की मां और पार्टी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया है. 

कांग्रेस के गढ़ से सटी सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का ही कब्जा हुआ करता था. लेकिन, साल 2014 में वरुण गांधी ने करिश्मा दिखाते हुए सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर 16 वर्षों से जारी सूखे को खत्म कर दिाय. 2014 के चुनावी रण में बीजेपी ने वरुण गांधी पर और लोगों ने अपना विश्वास जताया और उन्हें अपनी प्रतिनिधि बनाकर संसद तक पहुंचाया. 

2014 में ऐसा था मत
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट पर 56.64 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 2014 में यहां बीजेपी और बीएसपी के बीच टक्कर रही. लेकिन, वरुण गांधी ने बीएसपी के पवन पाण्डेय को चुनावी दंगल में मात दी. वरुण गांधी ने बीएसपी उम्मीदवार को 1 लाख 78 हजार 902 वोटों से मात दी थी. साल 1998 के बाद बीजेपी इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब हुई थी.

लगातार दो बार नहीं बना कोई बी सांसद
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के विश्वनाथ शास्त्री को छोड़ कर कोई भी इस सीट पर दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब नहीं रहा है. इसके कारण ही इस सीट पर किसी एक नेता का दबदबा नहीं रहा है. कांग्रेस यहां से 8 बार जीती, लेकिन हर बार चेहरे अलग रहे. इसी तरह से बसपा दो बार जीती और दोनों बार अलग-अलग प्रत्याशी थे. जबकि बीजेपी चार बार जीती जिसमें तीन चार चेहरे शामिल रहे.

ऐसा है राजनीतिक इतिहास
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और तीन बार उपचुनाव हुए हैं. पहली बार साल 1951 में बीवी केसकर यहां से पहले सांसद चुने गए. कांग्रेस ने इस क्षेत्र में लगातार 5 बार जीत हासिल की. साल 1977 में जनता पार्टी के जुलफिकुंरुल्ला कांग्रेस को हराकर सांसद बने. हालांकि, इस सीट पर 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और 1984 में दोबारा जीत मिली. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपनी जीत का आगाज किया और लगातार 3 बार बीजेपी के नेता यहां से सांसद बने. 

लेकिन साल 1999 में इस सीट से बीएसपी ने बाजी मारी और साल 2004 में भी इस सीट पर बीएसपी ने खाता खोला. साल 2009 में इसी सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ और अरसे बाद यहां कांग्रेस जीती और डॉ. संजय सिंह यहां से एमपी चुने गए, लेकिन साल 2014 में ये सीट बीजेपी ने उनसे छीन ली और वरुण गांधी यहां के सांसद बने.

Trending news