सुरक्षा परिषद ने की यूक्रेन पर चर्चा, रूस ने कार्रवाई को ‘उचित’ बताया

रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि यूक्रेन के अपदस्थ राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने अपने देश में कानून एवं व्यवस्था पुन: स्थापित करने और यूक्रेनी लोगों की रक्षा के लिए उससे रूसी सेना का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया था।

संयुक्त राष्ट्र : रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि यूक्रेन के अपदस्थ राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने अपने देश में कानून एवं व्यवस्था पुन: स्थापित करने और यूक्रेनी लोगों की रक्षा के लिए उससे रूसी सेना का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया था।
हालांकि कीव ने इस बात को खारिज करते हुए कहा है कि भगोड़े नेता के पास विदेशी मदद मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन में संकट बढ़ने के मद्देनजर चार दिनों में कल यहां तीसरी बार आपात बैठक बुलाई।
हंगामेदार एवं लंबे सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत विताली चुरकिन ने कथित रूप से यानुकोविच द्वारा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लिखा पत्र दिखाया जिसमें यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप की मांग की गई है।
चुरकिन ने बैठक के बाद संवाददाताओं को पत्र का अनुवादित लेकिन अनाधिकारिक संस्करण पढकर सुनाया। उन्होंने पत्र पढते हुए कहा, ‘यूक्रेन गृह युद्ध की कगार पर है.. देश में अराजगता और अव्यवस्थता का माहौल है।’ उन्होंने यानुकोविच के एक मार्च को लिखे पत्र को पढते हुए कहा, ‘देश स्पष्ट रूप से आतंक और पश्चिम की ओर से प्रेरित हिंसा की गिरफ्त में है। लोगों को राजनीतिक और भाषायी आधार पर परेशान किया जा रहा है।’
चुरकिन ने पत्र पढ़ते हुए कहा, ‘इस संदर्भ में मैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी पुतिन से अपील करता हूं कि वह कानून, शांति, व्यवस्था, स्थिरता और यूक्रेन के लोगों की सुरक्षा के लिए रूसी सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करें।’ संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत यूरी सेरगेयेव ने देश में विदेशी हस्तक्षेप की मांग करने के यानुकोविच के अधिकार को खारिज करते हुए कहा कि विदेशी शक्तियों से सैन्य हस्तक्षेप के बारे में अनुरोध करने का अधिकार केवल यूक्रेनी संसद का हैं।
यानुकोविच के पत्र के बारे में पूछे जाने पर सेरगेयेव ने संवाददाताओं से कहा, ‘यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की दृष्टि से वह इस मामले में बोलने वाले कोई नहीं होते। वह देश से बाहर हैं। संविधान के अनुसार यूक्रेन में एकमात्र कानूनी संस्था संसद है और वही जरूरत पड़ने पर विदेश से सैन्य सहायता मांग सकती है।’
उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन में घुसपैठ के लिए मानवाधिकारों की रक्षा का बहाना बना रहा है लेकिन ‘यह हमारा कर्तव्य है यदि हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हमें बताना चाहिए।’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सत्र के दौरान यूक्रेन में मॉस्को द्वारा सैनिकों की तैनाती को लेकर पश्चिमी राजदूतों और रूसी राजदूत के बीच काफी बहस हुई। चुरकिन ने अपनी सरकार की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि यूक्रेन में रूसी बोलने वाले अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा करना ‘पूरी तरह उचित एवं वैध’ है।
अमेरिकी राजदूत सामंथा पावर ने कहा कि रूसी सैन्य कार्रवाई ‘मानवाधिकार सुरक्षा अभियान नहीं है’ अपितु यह यूक्रेन की सम्प्रभुता एवं अखंडता और रूस की हेलसिंकी प्रतिबद्धताओं एवं संयुक्त राष्ट्र की ओर उसके दायित्वों का उल्लंघन है। ब्रिटेन और फ्रांस ने भी रूस की कार्रवाई पर आपत्ति जताई। (एजेंसी)

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