क्या आप जानते हैं कि आखिर LAC पर क्यों नहीं होती गोलीबारी?
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क्या आप जानते हैं कि आखिर LAC पर क्यों नहीं होती गोलीबारी?

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर लाठी-डंडों और पत्थरों से जंग होती है. लेकिन, यहां गोलीबारी क्यों नहीं होती? इस सवाल का जवाब जानने के लिए इस खास रिपोर्ट को पढ़िए..

क्या आप जानते हैं कि आखिर LAC पर क्यों नहीं होती गोलीबारी?

नई दिल्ली: लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर हिंसक झड़प के बाद चीन का चरित्र एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है. इस साजिश में कई भारतीय जवान शहीद हो गए. ऐसा नहीं है कि इस झड़प में नुकसान केवल भारत का हुआ. चीन के सैनिक भी बड़ी संख्या में मारे गए.

  1. जानिए LAC पर क्यों नहीं होती गोलीबारी
  2. 1993 में हुए समझौते से बंधे दोनों देश
  3. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में हुआ था समझौता

एलएसी पर क्यों नहीं होती गोलीबारी

LAC पर हुई इस घटना में दोनों तरफ से गोली तो नहीं चली लेकिन लाठी और पत्थरों का इस्तेमाल जरूर हुआ. चीनी सैनिक कील लगे डंडों और कंटीले तार लिपटे लोहे की रॉडों से लैस थे. क्या आपको इस बात की जानकारी है कि आख‍िरकार भारत-चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर झड़प में गोलीबारी क्यों नहीं होती है? सवाल तो ये भी है कि आखिर परमाणु हथियारों से संपन्न दो देश 14 हजार फीट की ऊंचाई पर हथियारों की बजाय लाठी-डंडों और पत्थरों से झड़प क्यों करते हैं.

1993 में हुए समझौते से बंधे दोनों देश

भारत-पाकिस्तान सीमा पर यानी नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी होनी आम बात जैसी है, लेकिन भारत और चीन के बीच LAC पर चाहें जितने भी गंभीर हालात बन जाए. बड़े से बड़े तनाव के बावजूद बात हाथापाई तक ही सीमित रहती है, इसके पीछे की वजह एक समझौता है. 3500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी नहीं होने वाला समझौता साल 1993 में हुआ था

नरसिम्हा राव के कार्यकाल में हुआ था समझौता

साल 1993 की बात है जब चीन यात्रा के दौरान उस वक्त के भारतीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने एक समझौता किया था. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर 1993 की इसी यात्रा के दौरान राव ने दोनों देशों के बीच शांति बरकरार रखने को लेकर अहम समझौता किया था.

आपको बता दें कि इस समझौते के जरिए कई मुख्य मुद्दों को लेकर आम सहमति बनी थी. इन्हीं में से एक समझौता ये था कि LAC पर हथियारों का इस्तेमाल ना किया जाए. यहां आपको 1993 में हुए इस समझौते के बारे में तफसील से जानकारी देते हैं.

एलएसी पर नहीं चली एक भी गोली

- भारत और चीन के बीच हुए इस समझौते की सबसे पहला बिंदु ये था कि भारत-चीन सीमा विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किये जाने पर जोर दिया जाएगा. साथ ही उस वक्त ये भी तय था कि कि दूसरे पक्ष के खिलाफ सेना प्रयोग और बल की धमकी नहीं दी जाएगी.

- दोनों देशों (चीन और भारत) की सेनाओं की गतिविधियां लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से आगे नहीं बढ़ेंगी. यदि किसी भी पक्ष के जवान LAC को पार करते हैं, तो उधर से संकेत मिलते ही तुरंत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में वापस चले जाएंगे.

- चीन और भारत के बीच मित्रता के संबंधों को स्थापित रखने के लिए LAC पर दोनों ही पक्ष से कम से कम सैन्य बल की तैनाती रखी जाएगी.

- लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सैन्य बलों की सीमा, इसकी तादाद को बढ़ाने और अन्य अहम मुद्दों के लिए दोनों देशों के बीच आपसी सलाह-मशविरा करके ही फैसला लिया जाएगा.

- LAC पर सहमति से पहचाने गए इलाकों में दोनों देशों के किसी भी पक्ष की सेना अभ्यास के स्तर पर काम एक्टिविटी नहीं करेगी.

- लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के आस पास सैन्य अभ्यास के पहले एक दूसरे को सूचित करना आवश्यक होगा.

- दोनों देशों (भारत और चीन) की वायुसेना LAC घुसपैठ न करे और वायुसीमा पार न करे इसके लिए भी मानक तय किया गया.

इस तरह के तमाम समझौतों के बावजूद LAC पर जवानों के शहीद होने की खबर आई. करीब 15 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित गालवन घाटी में सोमवार को करीब 8 घंटे हिंसा हुई. कंटीले तार लगे लोहे की रॉड और कील लगे डंडों से लैस चीनी सैनिकों ने साजिश रचकर भारतीय जवानों पर हमला किया. ये घटना तब हुई जब भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच 6 जून को इस बात पर सहमति बन गई थी कि दोनों सेनाएं मौजूदा स्थिति से 2-3 किलोमीटर पीछे हटेंगी.

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इसके तहत चीन के सैनिकों को एलएसी की पोस्ट-1 पर जाना था. यह प्रक्रिया सात दिन से जारी थी. इसी बीच चीन ने दगा किया और भारतीय सैनिकों पर हमला बोला. बॉर्डर पर डेढ़ महीने से चल रहे विवाद को शांति से निपटने के लिए 6 जून को हुई सीनियर कमांडरों की बैठक में चीनी सेना ने पीछे हटने की बात कही थी, लेकिन महज 10 दिन में चीन ने धोखे से खूनी साजिश रच डाली.

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