सियाचिन: जहां गाड़ियों के टायरों से लपेटनी पड़ती है जंजीर, अंडे-टमाटर बन जाते हैं 'पत्थर'
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सियाचिन: जहां गाड़ियों के टायरों से लपेटनी पड़ती है जंजीर, अंडे-टमाटर बन जाते हैं 'पत्थर'

- 40 डिग्री में डीजल-पेट्रोल जम जाने की वजह से गाड़ियों का इंजन हमेशा स्टार्ट रखा जाता है.

सियाचिन ग्लेशियर पर सेना के वाहन के टायरों में लपेटी गई जंजीर.

अदिति त्यागी/सियाचिन: दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में तापमान माइनस 40 डिग्री है. सियाचिन में करीब 3 से 4 हजार भारतीय सैनिक तैनात हैं. जिस ग्लेशियर पर सांस लेना भी एक चुनौती है, वहां सेना के जवान देश की हिफाजत करते हैं. बर्फीले तूफानों का मुकाबला करने वाले सैनिकों के खाने-पीने का सामान पत्थर की तरह कठोर हो जाता है. यही नहीं, सेना के वाहनों के टायरों में लोहे की जंजीर लपेटकर रखी जाती है.

76.4 किलोमीटर लंबे सियाचिन ग्लेशियर पर उतार-चढ़ाव के दौरान सेना के वाहनों को फिसलने से बचाने के लिए टायरों में जंजीर लपेटी जाती हैं ताकि टायरों की बर्फीली जमीन पर पकड़ बनी रहे और फिसलें नहीं.

डीजल-पेट्रोल जम जाता है
इसके अलावा, माइनस डिग्री तापमान में वाहनों का डीजल-पेट्रोल जम जाता है तो इस वजह से गाड़ियों का इंजन हमेशा स्टार्ट रखा जाता है. वहीं अगर डीजल-पेट्रोल जम जाता है तो वाहन के ईंधन टैंक के नीचे केरोसीन का स्टोव जलाकर उसे तरल में तब्दील किया जाता है.

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सब्जियां बन जाती हैं ठोस
ग्लेशियर पर बर्फ में रहने वाले सैनिकों को खाने-पीने को लेकर भी कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सब्जियां-पानी पत्थर या लोहे की तरह कठोर बन जाते हैं. ज़ी न्यूज की एक्सक्यूसिव रिपोर्ट में आप देख सकते हैं कि टमाटर, गोभी और अंडे जमीन पर गिराने के बावजूद टूटते-फूटते नहीं हैं.

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दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन
सियाचिन ग्लेशियर 76.4 किलोमीटर लंबा है. यहां तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. लगभग 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीला तूफान आता है. बर्फीले तूफान से 40 फुट तक बर्फ जमा होती है. सैनिकों को अपने साथ ऑक्सीज़न सिलेंडर लेकर चलना पड़ता है. बेस कैंप से सबसे दूर की चौकी का रास्ता 20-22 दिनों में तय होता है. एक सैनिक की अधिकतम तीन महीने की तैनाती होती है. 

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सियाचिन बैटल स्कूल
1988 में शुरुआत, 2011 में पूरी तरह से शुरू किया गया. सियाचिन ग्लेशियर जाने वाले जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है. एक बैच में 300 जवानों को 3 हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाती है. स्कूल में आइस क्राफ्ट, रॉक क्राफ्ट की ट्रेनिंग. स्कूल में एवलांच रेस्क्यू की भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. 2012 से 2015 तक मिलिट्री ऑपरेशन पर 7,504.99 करोड़ खर्च हुए. सेना को राशन की सप्लाई के लिए 6.8 करोड़ रोज का खर्च. सैनिकों के गर्म कपड़ों पर सालाना 800 करोड़ का खर्च आता है.  

35 साल पहले सियाचिन में साज़िश!
पाकिस्तान सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करना चाहता था. पाकिस्तान की साजिश का हिंदुस्तान को पहले पता लग गया. 13 अप्रैल 1984 को भारत ने 'ऑपरेशन मेघदूत' लॉन्च किया. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में भारत ने पाकिस्तान से लड़ाई लड़ी. 'ऑपरेशन मेघदूत' में तैनात भारत के जवान बाद में भी डटे रहे. सियाचिन ग्लेशियर के प्रमुख हिस्सों पर भारत का कब्जा है. 

सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में कौन-कौन गया?
अब तक सियाचिन में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस जा चुके हैं.

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