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Social Media Viral: सांपों के इस मेले में जाने से पहले लोग मां भगवती के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. ढोल-बाजे के साथ सभी गंडक नदी (Gandak River) तक पहुंचते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि इस तरह से मांगी हुई सारी मन्नतें पूरी हो सकती हैं. आपको बता दें कि बाद में इन सांपों (Snakes) को सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया जाता है.
300 साल पुरानी परंपरा
भक्तों का उत्साह वाकई में देखने वाला होता है. जैसे ही नदी से सांपों को बाहर निकाला जाता है, सभी भक्त (Devotees) खुशी से ताली बजाने लगते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि सांपों को न केवल हाथों से बल्कि मुंह से पकड़कर भी निकाला जाता है. इस तरह का नजारा देखकर कोई भी हक्का-बक्का (Shocked) रह जाएगा. ऐसा माना जाता है कि ये मेला 300 सालों से मनाया जा रहा है.
मेले में आता है श्रद्धालुओं का हुजूम
भारत में बहुत से लोग नाग देवता (Naag Devta) को मानते हैं और उनकी पूजा भी करते हैं. ऐसे में इस मेले के साथ बहुत से लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है. इसीके चलते अनोखे सांपों के इस मेले में जाना शुभ भी माना जाता है. इस अनोखे मेले में कई भक्त आते हैं और नदी में डुबकी लगाकर सांपों को ढूंढते हैं. ये मेला (Fair) हर साल लगाया जाता है और अक्सर इस मेले में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखी जाती है.
पूरी होती हैं मनोकामनाएं
आपको बता दें कि नदी से कई तरह की प्रजातियों (Species) के सांपों को बाहर निकाला जाता है. आप ऐसी बहुत सी जगहों के बारे में जानते होंगे जहां पर जाकर आप जो भी मान्यता मांगे, तो वो पूरी हो जाती होंगी. ऐसा ही कुछ बिहार के इस प्रसिद्ध मेले के लिए भी कहा जाता है. बता दें कि ये मेला बिहार के समस्तीपुर में नागपंचमी (Naag Panchami) के दिन लगता है.
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