साउथ कोरिया में मां-बाप खुद को कमरे में कर ले रहे बंद, नए ट्रेंड ने लोगों को शॉक में डाला
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साउथ कोरिया में मां-बाप खुद को कमरे में कर ले रहे बंद, नए ट्रेंड ने लोगों को शॉक में डाला

South Korea Parents: माता-पिता को भी कुछ समय के लिए अकेले रहना पड़ता है. उन्हें एक खाली कमरा दिया जाता है, जहां ना तो कोई चीज़ सजी होती है और ना ही उन्हें कोई फोन या लैपटॉप जैसी डिवाइस इस्तेमाल करने की इजाजत होती है. उन्हें खाना सिर्फ दरवाजे के एक छोटे से छेद से दिया जाता है.

 

साउथ कोरिया में मां-बाप खुद को कमरे में कर ले रहे बंद, नए ट्रेंड ने लोगों को शॉक में डाला

South Korea New Trend: साउथ कोरिया में माता-पिता अपने बच्चों की परेशानी को समझने के लिए एक अनोखा तरीका अपना रहे हैं. वहां 'खुशी का कारखाना' नाम की जगह है, जहां माता-पिता खुद को तीन दिन के लिए एक कमरे में बंद कर लेते हैं. ऐसा करने का मकसद ये है कि वो अपने बच्चों की तरह अकेलेपन और घबराहट को महसूस कर सकें, जो कि आजकल कई युवा अकेले रहने की वजह से झेल रहे हैं. इस अनुभव से माता-पिता अपने बच्चों की दुनिया को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और उनकी मदद कर सकेंगे.

बच्चों को समझने के लिए किया ऐसा

वहां के कुछ युवा समाज से दूर हो गए हैं. वो ज्यादातर दिन अकेले अपने कमरे में बंद रहते हैं और किसी से बात नहीं करना चाहते. दक्षिण कोरिया में माता-पिता को बच्चों की इस परेशानी को समझने में मदद के लिए एक खास कार्यक्रम चलाया जाता है. इस कार्यक्रम को "अकेले रहने वाले युवाओं के माता-पिता के लिए शिक्षा कार्यक्रम" (Isolated Youth Parent Education Programme) कहते हैं. ये कार्यक्रम 13 हफ्ते का होता है और इसे "ब्लू व्हेल रिकवरी सेंटर" और "कोरिया युवा फाउंडेशन" मिलकर चलाते हैं.

कमरे में खुद को बंद कर रहे पैरेंट्स

इस कार्यक्रम में माता-पिता को भी कुछ समय के लिए अकेले रहना पड़ता है. उन्हें एक खाली कमरा दिया जाता है, जहां ना तो कोई चीज़ सजी होती है और ना ही उन्हें कोई फोन या लैपटॉप जैसी डिवाइस इस्तेमाल करने की इजाजत होती है. उन्हें खाना सिर्फ दरवाजे के एक छोटे से छेद से दिया जाता है.

माता-पिता को रहना पड़ता है अकेला

माता-पिता की मदद के लिए "खुशी के कारखाने" में मानसिक सेहत पर चर्चा भी कराई जाती है. इसमें परिवार, माता-पिता और बच्चों के रिश्ते, और दुनिया से जुड़ाव जैसे विषयों पर बात होती है. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ माता-पिता ये बताते हैं कि उन्हें अपने बच्चों की परेशानी, यानी अकेलेपन और घबराहट को समझना अब आसान हो गया है. 50 साल की एक मां जीन यंग-हे BBC कोरिया को बताती हैं कि उनके बेटे ने खुद को पिछले तीन सालों से अपने कमरे में बंद कर रखा है.

जीन यंग-हे के बेटे ने कॉलेज छोड़ दिया था. इसके बाद से वो अपने कमरे में ही बंद रहता है, अपनी सफाई पर ध्यान नहीं देता और खाना भी नहीं खाता. जीन कहती हैं कि मेरा दिल टूट गया है. तीन दिनों तक खुद को कमरे में बंद रखने और दूसरे अकेले रहने वाले युवाओं की डायरी पढ़ने के बाद जीन को अपने 24 साल के बेटे की भावनाओं को समझने में मदद मिली. जीन का कहना है कि मुझे एहसास हुआ कि वो खुद को बचाने के लिए चुप रहता है क्योंकि उसे लगता है कि कोई उसे नहीं समझता.

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