मुंबई: मुंबई में बिल्लियों का बर्थ कंट्रोल के लिए बीएमसीने नसबंदी का फैसला किया है. जनवरी महीने से यहां बिल्लियों के नसबंदी की शुरुआत की जाएगी. बिल्लियों की नसबंदी के लिए बीएमसी 1 करोड रुपए फंड खर्च करेगी. इस परियोजना के लिए 4 संस्थाओं को चुना गया है. मुंबई में आवारा कुत्तों के बाद अब बिल्लियों की नसबंदी करने का फैसला बीएमसी ने किया है. इससे पहले आवारा कुत्तो से नागरिकों को होनेवाली परेशानी ध्यान में रखकर बीएमसी ने आवारा कुत्तो के बर्थ कंट्रोल के लिए नसबंदी योजना चलाई. पिछले 6 साल में मुंबई में 89 हजार आवारा कुत्तों की नसंबदी की गई.
इसके लिए 8 करोड़ 61 लाख रुपए खर्च किए गए. आवारा बिल्लियों की बढती संख्या से उनके खाने-पीने का ध्यान रखने वाला कोई नही है. ऐसे में मुंबई में बिल्लियों की संख्या को कंट्रोल करने के लिए बीएमसी के स्वास्थ विभाग ने नसबंदी का फैसला किया है. बिल्ली एक बार में 4 से 5 पिल्लों को जन्म देती है. साल में एक बिल्ली 2 से 3 बार पिल्लो को जन्म देती है.
इसी कारन बिल्लियों की संख्या बढी है. बिल्ली के नसबंदी के लिए ऐनिमल वेल्फेअर बोर्ड ऑफ इंडिया ने बीएमसी की अनुमति दी है. बिल्लियों की नसबंदी के लिए बीएमसी ने 1 करोड का फंड भी मंजूर किया है. एक नर बिल्ली के नसंबदी के लिए 800 रुपए तो एक मादा बिल्ली के नसंबदी के लिए 1000 रुपए खर्च होगा. मुंबई की चार संस्थाए इस योजना के लिए चुनी गई है.
परेल का मुंबई वेटरनरी कॉलेज, गोवंडी का डिफेन्स ऑफ एनिमल्स, मालाड में युनिवर्सल ऐनिमल वेल्फेअर, गोरेगाव का ऍनिमल केअर एन्ड रिसर्च सेंटर. मुंबई के चार संस्था में बिल्लीयोंपर नसबंदी होगी. बीएमसी की स्वास्थ समिती के प्रमुख अमेय घोले बताते है कि, पिछले पांच महिने से मुंबई की बिल्लियों की नसबंदी प्रस्ताव बीएमसी के पास था.
इस प्रस्ताव पर अभी हमने फैसला किया है. आनेवाले जनवरी महिने से बिल्लियों पर नसबंदी कि जायेगी. इसके लिए 1 करोड रुपए के फंड के लिए बीएमसी ने मंजूरी दे दी है. बीएमसी के स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष ने कहा कि, पेटा की कार्यकर्ता राधिका सूर्यवंशी बताती है कि सड़क पर रहने वाले जानवर होते हैं.
वह भूख या सड़क हादसे में मारे जाते है. इन सड़क पर रहने वाले जानवरों की जिंदगी में कष्ट होते हैं. बीमारी में उनका खयाल रखने वाला कोई नहीं होता है. इसलिए हम बीएमसी के बिल्लीयोंके नसबंदी का समर्थन करती हूं.