What Does Touchwood Mean: दुनिया के कई हिस्सों में लोग पेड़ों की पूजा करते हैं और उनको भगवान का घर मानते हैं. इस तरह इस विश्वास ने जन्म लिया कि लकड़ी को छूने से सौभाग्य हासिल होता है.
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History of Touchwood: अकसर हम लोगों से मिलते हैं. बात करते हैं. बातों ही बातों में उनके मुंह से आपने एक शब्द सुना होगा-टचवुड. लकड़ी को छूकर वह ये शब्द कहते हैं. लेकिन आप जानते हैं कि यह शब्द आया कहां से और इसके पीछे की कहानी क्या है. अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं.
क्या हैं मान्यताएं?
यूं तो कई ऐतिहासिक मान्यताएं हैं. लेकिन जो सबसे अलग है वह एक बुतपरस्त मान्यता है कि पेड़ परियों, आत्माओं और अन्य पौराणिक प्राणियों के घर थे. इसलिए, दो बार लकड़ी पर दस्तक देने की परंपरा थी. पहली दस्तक में पेड़ से एक इच्छा का जिक्र करना शामिल था और दूसरे में उसका धन्यवाद करना.
इसके अलावा, दुनिया के कई हिस्सों में लोग पेड़ों की पूजा करते हैं और उनको भगवान का घर मानते हैं. इस तरह इस विश्वास ने जन्म लिया कि लकड़ी को छूने से सौभाग्य हासिल होता है.हालांकि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि यह विश्वास इतना मजबूत क्यों और कैसे हो गया. कई दंतकथाएं और लोककथाएं संकेत करती हैं कि लकड़ी को छूने से आप वास्तव में पवित्र क्रॉस की लकड़ी को छू रहे हैं, जो सौभाग्य ला सकता है और भगवान से सुरक्षा पाने में मदद कर सकता है.
लकड़ी को छूने या खटखटाने का पूरा आइडिया पेड़ पर रहने वाली दुष्ट आत्माओं का ध्यान भटकाने से जुड़ा है ताकि वे आपकी भविष्य की योजनाओं को न सुन पाएं क्योंकि वे उन्हें सच होने से रोक सकते हैं. बड़ी दिलचस्प बात यह भी है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया के किस हिस्से से हैं या फिर किस धर्म को मानते हैं. ऐसा लगता है कि टचवुड के जैसा एक मुहावरा हर जगह है.
टचवुड जैसे मुहावरे कई देशों में
उदाहरण के तौर पर, ब्राजील में एक मुहावरा है- Bater Na Madeira, जिसका मतलब भी टचवुड जैसा ही है. वहीं इंडोनेशिया में Amit-Amit मुहावरे का मतलब भी यही है. वहीं ईरान में लोग Bezanam Be Tachte का इस्तेमाल करते हैं. ग्रीस में, एक मुहावरा है जिसका शाब्दिक मतलब है लकड़ी पर दस्तक देना और इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब लोग कुछ भी नकारात्मक (जो उन्होंने सुना हो) होने से रोकना चाहते हैं.
आखिर में सार यह है कि किसी भी नकारात्मक भावना (ईर्ष्या और क्रोध) से बचाव और भविष्य के लिए अपनी आशाओं और इच्छाओं की रक्षा करना मानव स्वभाव है.इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि टचवुड ने सदियों का सफर तय किया है और अब भी ये आधुनिक दुनिया में मौजूद है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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