Pakistan: कर्ज में दबे पाकिस्तान के अंदर स्वास्थ्य सेवाएं भी बीमार, फूल रहीं अस्पतालों की सांसें
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Pakistan: कर्ज में दबे पाकिस्तान के अंदर स्वास्थ्य सेवाएं भी बीमार, फूल रहीं अस्पतालों की सांसें

Pakistan Crisis: शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के प्रसूति वॉर्डों में एक ही पालने में तीन से चार बच्चों को रखा जा रहा है. इससे बच्चों में संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. डिलिवरी के लिए भर्ती हुईं महिलाओं के लिए डॉक्टरों की भी नहीं है व्यवस्था. मेडिकल अटेंडेंट के सहारे डिलिवरी.

प्रतीकात्मक इमेज

Pakistan Economic Crisis: कर्ज में डूबे पाकिस्तान में हर सेक्टर में अव्यवस्था और समस्याएं दिख रहीं हैं. हाल ही में इस्लामाबाद स्थित शहर के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल से जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो इस देश की बदहाली को पूरी तरह बयां करती है. दरअसल, उचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी और बिस्तरों की अनुपलब्धता के कारण, शहर के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के चिकित्सा संस्थान, पीआईएमएस के प्रसूति वॉर्डों में एक ही पालने में तीन से चार बच्चों को रखा जा रहा है. इससे बच्चों में संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.

  1. पाकिस्तान में फंड के अभाव में अधिकतर सरकारी अस्पतालों की हालत खराब
  2. एक बेड पर तीन-तीन मरीजों को रखकर किया जा रहा है इलाज
  3. प्रसूति विभाग में भी बुरी स्थिति, एक पालने में 3-4 बच्चे, बढ़ रहा संक्रमण का खतरा 

वॉर्ड का हाल देखकर हैरान हुई महिला

द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक निजी स्कूल की शिक्षिका सलीमा मेहरबान ने कहा कि वह अपनी पहली तिमाही की स्क्रीनिंग के लिए हाल ही में मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल (एमसीएच) पहुंची थीं. वहां उन्होंने जो कुछ देखा, उससे बहुत हैरान हुईं. वह कहती हैं कि, “यह काफी भयावह दृश्य था. एक बेड पर दो से तीन महिलाएं भर्ती थीं. जबकि बगल के लेबर रूम में असभ्य मेडिकल अटेंडेंट की उपस्थिति में बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की चीख-पुकार गूंज रही थी. जिस तरह उन महिलाओं को कमर से नीचे बिना कपड़ों के रखा गया था, वह और परेशान करने वाला था.” वह कहती हैं कि, “मैं ये सब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी. इसलिए मैंने यह फैसला किया है कि मैं घर पर या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलिवरी कराना पसंद करूंगी.”

अस्पताल में 156 बेड, पर क्राउड कई गुना अधिक 

एमसीएच अस्पताल में काम करने वाली एक स्त्री रोग विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर मीडिया को बताया कि, "इस अस्पताल का विस्तार 1998 में जापानी फंडिंग के साथ शुरू होने के बाद से नहीं किया गया है. यहां मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए हमें परिसर में उपलब्ध सीमित स्थान पर ही जच्चा और बच्चा दोनों को रखना पड़ता है. उन्होंने बताया कि एमसीएच में सिर्फ 156 बिस्तर हैं, लेकिन यहां इस्लामाबाद के साथ-साथ रावलपिंडी, मरी, ऊपरी पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान से भी प्रसूति के मामले आते रहते हैं.

अभी अस्पताल में 300 बेड की है जरूरत

वहीं, PIMS में बदहाली को लेकर इस अस्पताल के निदेशक डॉ खालिद मसूद ने जोर देकर कहा कि अस्पताल राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय के समर्थन से रोगी देखभाल में सुधार करने का प्रयास कर रहा है. “जापानी सहायता एजेंसी JICA, जिसने PIMS में MCH और बच्चों के अस्पताल को स्थापित करने में मदद की थी, दोनों जगह सुविधाओं के विस्तार पर काम कर रही है. उम्मीद है कि एमसीएच के बिस्तरों की संख्या दो वर्षों में 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी. हालांकि यह बहुत कम होगा. अभी यहां 300 और बेड की जरूरत है.

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