Pakistan Latest Updates: पाकिस्तान और उसके प्यादे तालिबान में लगातार तनाव गहराता जा रहा है. तालिबान को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान अब 17 लाख अफगानियों को अपने देश से निकालने जा रहा है.
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Pakistan Afghan Tension: जिस तालिबान को अपना प्यादा बनाने की चाहत के साथ पाकिस्तान उसे अफगानिस्तान की सत्ता में लेकर आया था, अब उसी के साथ उसके रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं. अपने मुल्क में हो आत्मघाती हमलों से परेशान पाकिस्तान काउंटर स्ट्राइक करते हुए 17 लाख अफगान अवैध प्रवासियों को देश से निकालने जा रही है. इसके लिए 31 अक्टूबर तक प्रवासियों से खुद ही पाकिस्तान छोड़ देने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी गई है.
'चरणबद्ध तरीके से होगा देश निकाला'
पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि 17 लाख अफगान नागरिकों (Afghans) समेत अवैध प्रवासियों को चरणबद्ध और व्यवस्थित तरीके से देश से निकाला जाएगा. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि नई नीति केवल अफगान नागरिकों को लक्षित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम पिछले 4 दशकों से अफगान शरणार्थियों की उदारता से मेजबानी कर रहे हैं. आज भी इस नीति में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन यह कार्रवाई अवैध प्रवासियों को लेकर है.’
'पंजीकृत शरणार्थियों को नहीं होगी दिक्कत'
बलोच ने कहा कि 1979-1989 की अवधि में सोवियत कब्जे के दौरान इनमें से लाखों लोग अफगानिस्तान छोड़कर चले आए थे. उन्हें से कई लाख लोगों ने शरणार्थी का दर्जा लिया जबकि लाखों बिना इस दर्जे के ही देश में रहने लगे. जिससे अब अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं. उन्होंने कहा कि उन 14 लाख अफगान नागरिकों (Afghans) को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, जो पाकिस्तान में शरणार्थी के रूप में पंजीकृत हैं.’
'अवैध शरणार्थियों को छोड़ना होगा देश'
प्रवक्ता ने दावा किया, ‘हमारी नीति केवल उन व्यक्तियों के लिए है, जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं, चाहे उनकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो. लेकिन, दुर्भाग्य से यह एक गलतफहमी या गलत बयानी हुई है, जिसके चलते लोगों ने इसे अफगान शरणार्थियों के साथ जोड़ना शुरू कर दिया है.’
माना जा रहा है कि पाकिस्तान (Pakistan) विदेश मंत्रालय ने यह बयान अंतरराष्ट्रीय चिंताओं और अफगान शरणार्थियों के बीच पनपे डर को दूर करने के लिए दिया है. पाकिस्तान के अवैध प्रवासियो (Afghans) को निकालने की घोषणा के बाद बिना दस्तावेजों के रह रहे लोगों में भय बना हुआ है और कई मानव अधिकार समूह इसकी आलोचना कर रहे हैं. उन समूहों का कहना है कि अफगान नागरिकों को जबरन वापस भेजना उनकी जान को खतरे में डालना होगा.
(एजेंसी भाषा)