Orbital Reef Space Station: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS), अंतरिक्ष की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है. पृथ्वी के कोलाहल से दूर, बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद ISS को आखिरी मानव पोस्ट कहा जाता सकता है. 1998 में लॉन्च किया गया ISS अब अपने आखिरी दौर में है. इसे 2031 तक रिटायर करने की तैयारी है. उसकी जगह एक नया स्पेस स्टेशन लेगा जिसे जेफ बेजोस की कंपनी Blue Origin बना रही है. Orbital Reef नामक यह स्पेस स्टेशन, दुनिया का पहला कमर्शियल स्पेस स्टेशन होगा. बेजोस इस स्पेस स्टेशन को स्पेस टूरिज्म के लिए भी यूज करना चाहते हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने इसके लिए 'ब्लू ऑरिजिन' को ठेका दिया है. नए स्पेस स्टेशन को बनाने में Sierra Space, Amazon, Boeing, और अन्य एयरोस्पेस कंपनियां Blue Origin की मदद कर रही हैं. देखिए, नए स्पेस स्टेशन 'ऑर्बिटल रीफ' की मॉडल तस्वीरें. (Photos: Blue Origin/NASA)
Orbital Reef नामक नया स्पेस स्टेशन 8,000 क्यूबिक फीट में फैला हुआ होगा. भविष्य में एस्ट्रोनॉट्स यहीं पर आकर प्रयोग करेंगे. पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 100 बिलियन डॉलर (लगभग 84,67,76,00,00,000 रुपये) है.
नया स्पेस स्टेशन 2027 से पहले तैयार कर लिया जाएगा. इसे उसी साल लॉन्च करने की तैयारी है. यह 2030 तक पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा, ISS के हटने से लगभग एक साल पहले.
Orbital Reef पहला व्यापारिक अंतरिक्ष स्टेशन होगा यानी निजी कंपनियां भी अपने वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में भेजकर रिसर्च करा सकेंगी. बेजोस ने स्पेस स्टेशन को होटल की तरह बनाने का फैसला किया है क्योंकि वह इसे स्पेस टूरिज्म के लिए भी इस्तेमाल करना चाहते हैं.
शुरू में, 'ऑर्बिटल रीफ' स्पेस स्टेशन पर केवल 10 एस्ट्रोनॉट्स के रुकने की व्यवस्था होगी. इसे बाद में धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा. अलग-अलग तरह के प्रयोगों के लिए नए-नए मॉड्यूल इस स्पेस स्टेशन में जोड़े जाते रहेंगे.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 2031 में डी-कमीशन किया जाएगा. उसका ठेका एलन मस्क की कंपनी SpaceX को मिला है. NASA ने ISS को कक्षा से बाहर करने के लिए स्पेसएक्स को 843 मिलियन डॉलर दिए हैं.
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