नीतीश के इस बगावती खेल के बाद अपने सहयोगी के साथ विरोधियों को अहसास करा दिया कि बिहार में अभी भी उनका सिक्का चलता है. साथ ही, चिराग को बता दिया कि राजनीति में नीतीश अभी सबसे बड़े खिलाड़ी हैं.
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Patna: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में जो खेला आज के समय में हो रहा है, उसकी पटकथा तो बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही लिखी जाने लगी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार चुनाव के दौरान चिराग की रणनीति से पार्टी के अंदरखाने में कोई खुश नहीं था. इसका फायदा JDU ने उठाया है.
सियासी दांव-पेंच में नीतीश का जवाब नहीं!
लोजपा के वो नेता जो चिराग के समर्थन में हैं, वो आरोप लगा रहे हैं कि इस खेल के पीछे की कहानी JDU ने लिखी है. बिहार का विपक्ष भी मानता है कि JDU ने ही बंगले में खेला कर दिया है. यदि यह बात सच है तो JDU ने एक तीर से दो निशाना साधा है. एक तो नीतीश कुमार के इस बगावती खेल के बाद अपने सहयोगी के साथ विरोधियों को अहसास करा दिया कि बिहार में अभी भी उनका सिक्का चलता है. दूसरा ये कि सीएम ने चिराग को बता दिया कि राजनीति में नीतीश अभी सबसे बड़े खिलाड़ी हैं.
LJP के 'चिराग' बुझाने की पीछे कौन?
इस बगवात से असल खुशी तो JDU को मिल रही है. LJP में जो बगावत हुई और बंगला छाप यानी पार्टी पर कब्जे की जो लड़ाई शुरू हुई उसे लग रहा है कि पशुपति पारस ने अंजाम तक पहुंचा दिया है. इस पूरे घटना में इस पटकथा के पीछे हाथ नीतीश के 'हनुमान' कहे जाने वाले ललन सिंह पर लग रहा है. चिराग समर्थक यही आरोप लगा रहे हैं कि JDU ने आरोपों को खारिज किया है.
स्क्रिप्ट पहले लिखी गई, अंजाम अब दिया गया
इसके साथ ही दावा तो ये भी किया जा रहा है कि बगावत की कहानी तो पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही लिखी जानी शुरू हो गई थी. जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया तो इस पर LJP के सांसदों ने आपत्ति जताई थी. लेकिन चुनाव के दौरान रामविलास पासवान के हुए निधन के कारण पार्टी के नेता चिराग पासवान का खुलकर विरोध नहीं कर पाए.
चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा और सबसे ज्यादा नुकसान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को पहुंचाया, जिसके कारण चुनाव में JDU केवल 43 सीट ही जीत सकी.
ऑपरेशन 'बदला' में लग गए थे नीतीश!
चिराग पासवान की पार्टी के द्वारा जनता दल यूनाइटेड को चुनाव में जो नुकसान पहुंचाया गया. इसका बदला लेने के लिए चुनाव के तुरंत बाद नीतीश कुमार की पार्टी ऑपरेशन में लग गई. जदयू नेता आरसीपी सिंह ने इस मामले में कहा भी कि 2019 में हम साथ चुनाव लड़े और 39 सीट जीते. बिना मेहनत पद मिलना आसान होता है लेकिन उसे पचाना आसान नहीं होता है.विधानसभा चुनाव में लोजपा नेता ने अलग लाइन लिया, उनके पार्टी के लोग परेशान थे.
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वहीं, मनोज झा ने कहा कि 2010 में हमारे दल को भी तोड़ने की कोशिश की गई और अब यह पारस जी कुछ भी कहे लेकिन आज की राजनीति में इस तरीके के क्रिया शैली का सोरस स्क्रिप्ट सबको पता है जो थोड़ा बहुत भी राजनीति जानता है.
नेता पारस लेकिन भरोसा नीतीश पर
जानकारी के अनुसार, लोजपा में बगावत के बाद JDU के दिग्गज ललन सिंह ने LJP के सांसदों से मुलाकात की. ललन सिंह के सामने LJP के सांसदों ने ये माना है कि वो नीतीश कुमार पर भरोसा करते हैं और उनके साथ खड़े हैं. इस घटनाक्रम पर लोजपा सांसद महबूब अली कैसर ने कहा कि ललन सिंह मुबारक बाद देने आए थे. हम लोगों को नीतीश जी पर भरोसा है.